गुरुवार, 26 जनवरी 2023

हैप्पी बर्थडे प्रेरणा//प्रिया देवांगन "प्रियू" की रचना

 




          प्रेरणा के लिये आज का दिन बहुत खास था, और होगा भी क्यों नहीं; आखिर आज उसका जन्मदिन जो था। सुबह उठ कर उसने सबसे पहले मम्मी का आशीर्वाद लिया।  भैया बड़ी दूर जगह नौकरी करते थे। वे भी आये हुए थे; साथ में  मामा जी थे।
        
              प्रेरणा के पापा जी दुनिया में नहीं थे। उनकी बहुत याद आ रही थी उसे। मन बड़ा उदास था। पापा के साथ बिताये लम्हें खुशियों में धुँधलापन ले आते। ऐसा लगने लगता, मानो प्रभात का खिला कँवल रवि के अस्तांचल से धुमिल होने लगा हो। आज तो प्रेरणा के दिलो-दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी-"काश ! आज पापा जी होते।"                

           मम्मी ने आज सब के लिये मीठा पकवान बनाया। भला वह कैसे भूलती, अपनी प्यारी बिटिया का जन्मदिन। प्रेरणा भी सुबह जल्दी उठी। नहा भी लिया। पूजा-पाठ भी हो गया। सुबह से ही उसका ध्यान बार-बार मोबाइल की तरफ जा रहा था कि अब किसी का कॉल आने वाला है। बड़ी प्रतीक्षा थी कि कौन उसे सबसे पहले जन्मदिन की बधाई देता है।   

पास जो रहता है न, वही तो ही वो दे सकते हैं न।"


           मम्मी की बातें सुन प्रेरणा बिफर गयी- "कुछ न होगा इन सबसे। जैसे के साथ तैसा ही होना चाहिए।" नन्ही प्रेरणा की आवाज तेज होने लगी। तभी मम्मी गहरी साँस लेते हुए बोली- "कभी ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि उन सब के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाय। नहीं... नहीं....। हमेशा याद रखना बिटिया, हम अपने व्यवहार व संस्कार का ध्यान रखें। आज तुम्हें बहुत बुरा लग रहा है; यह मुझे पता है, लेकिन कभी यह मत सोचना कि कल तुम भी उनके साथ ऐसा ही करोगी। इससे फिर तुम में और उन लोगों में कोई अंतर नहीं रह जायेगा। तुम्हें हम से जो संस्कार मिला है, उसका सदुपयोग करो। तुम क्यों निर्रथक सोच कर परेशान हो रही हो। मैं हूँ न। जिनकी जैसी मर्जी, उन्हें करने दें। हमें फर्क नहीं पड़ता। हमेशा खुश रहना सीखो। मन से प्रफुल्लित रहो, और बदले की भावना भी मत रखो। भगवान सब देख रहे हैं। तुम्हारे साथ तुम्हारे पापा जी भी हैं; और पापा हैं तो भगवान हैं। तुम्हारी हर मनोकामना पूरी होगी। याद रखना, मनुष्य को अपना संस्कार नहीं भूलना चाहिए।" प्रेरणा मम्मी की बातें कान लगाकर सुन रही थी। धारा प्रवाह बोलती हुई मम्मी का गला भर आया। वहाँ से उठ कर चली गयी। प्रेरणा को आज जीवन की महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिली। भीगी पलकें लिए मम्मी के पास गयी। मम्मी के आँसू पोंछते हुए उनसे लिपट गयी; बोली- "मम्मी, मुझे बोलो न.... हैप्पी बर्थडे टू यू...! हैप्पी बर्थडे प्रेरणा....! हैप्पी बर्थडे माय डियर ! अँई बोलो न....!"           

            



लेखिका

प्रिया देवांगन "प्रियू"

राजिम

जिला - गरियाबंद

छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com

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