"नाना की पिटारी" पत्रिका के प्रकाशन की प्रेरणास्रोत स्व. श्रीमती वीना श्रीवास्तव की 15वीं पुण्यतिथी 27/08 को थी इस अवसर पर उनकी एक अनमोल रचना हम पुन: प्रस्तुत कर रहे है॔
जीवन बसंत का सुआगमन
मन के छोटे से उपवन मे
फूल खिले हैं रंग बिरंगे
जिन्हें देखकर उठती रहती
मन में मेरे नई तरंगे
इन फूलों पर भँवरे मंडराकर
गुनगुनाकरगीत सुना कर
इनका मीठा रस पी जाकर
इठ्लायेंगे मस्ती में
तितलियां झूमेंगीं मन की बस्ती में
स्वछन्द बिहंगजन फुदकफुदक कर
इस डाली से उस डाली पर जाकर
फूलों पे या पत्तों में छुप जाकर
मधुर-मदिर कल्लोल सुनाकर
चिड़ियाँ,भी मेरा मन हर्षाएँगी,
प्रेम सुधा बरसा जाएँगी
सुरभि प्रवाहित मस्त पवन
जीवन बसंत का सुआगमन
सिंचित करदेगा जीवन पौध को
भर देगा हर्षित अनमोल उमंग अनंत
वीना श्रीवास्तव
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