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शनिवार, 6 जुलाई 2019

जीना सीखो ( कुकुभ छंद) : महेन्द्र देवांगन "माटी"




 





जीवन को तुम जीना सीखो , हर पल खुशी मनाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

सिक्के के दो पहलू होते  , सुख दुख आनी जानी है ।
कभी खुशी तो गम भी आते , सबकी यही कहानी है ।।

होना नहीं उदास कभी भी , गीत खुशी के गाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी  ।।

भेदभाव अब करना छोड़ो  , सेवा का पथ अपनाओ ।
भूले भटके राह जनों को , सच्चे मारग दिखलाओ ।।

भूखे को भोजन देकर , प्यासे की प्यास बुझाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

करते हैं जो सच्ची सेवा  , कभी नहीं दुख पाते हैं ।
मिलता है आशीष उसी को  , खुशियों से भर जाते हैं ।।

बाँटो प्रेम  सभी में साथी , हर पल प्यार लुटाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

माटी का ये जीवन प्यारे  , माटी में मिल जायेगा ।
मिट जायेगी सारी हस्ती  , नाम यहीं रह जायेगा ।।

नेक काम सब करते जाओ , मन में पाप न लाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

 
महेन्द्र देवांगन "माटी" (शिक्षक) 
पंडरिया  (कवर्धा) 
छत्तीसगढ़ 
वाटसप 8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

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