जीवन को तुम जीना सीखो , हर पल खुशी मनाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।
सिक्के के दो पहलू होते , सुख दुख आनी जानी है ।
कभी खुशी तो गम भी आते , सबकी यही कहानी है ।।
होना नहीं उदास कभी भी , गीत खुशी के गाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।
भेदभाव अब करना छोड़ो , सेवा का पथ अपनाओ ।
भूले भटके राह जनों को , सच्चे मारग दिखलाओ ।।
भूखे को भोजन देकर , प्यासे की प्यास बुझाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।
करते हैं जो सच्ची सेवा , कभी नहीं दुख पाते हैं ।
मिलता है आशीष उसी को , खुशियों से भर जाते हैं ।।
बाँटो प्रेम सभी में साथी , हर पल प्यार लुटाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।
माटी का ये जीवन प्यारे , माटी में मिल जायेगा ।
मिट जायेगी सारी हस्ती , नाम यहीं रह जायेगा ।।
नेक काम सब करते जाओ , मन में पाप न लाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।
महेन्द्र देवांगन "माटी" (शिक्षक)
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
वाटसप 8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
ये कुकुभ छंद नही है क्यों कि इसमें अंत में 222 गुरु है ये ताटंक छंद है
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