एक दिन खरबूजा खोजने की खोज मे खप्पू खरगोश जंगल में दूर तक चला गया और खरगोश खरबूजा खोजते- खोजते अपने घर का रास्ता ही भूल गया।
खप्पू खरगोश जंगल में अकेला खड़ा होकर रोने लगा उसे रोता हुआ देखकर राखी बकरी दौड़ी -दौड़ी चली आई और उससे पूछने लगी खप्पू खरगोश ,खप्पू खरगोश तुम रो क्यों रहे हो? ये लो पहले थोड़ा पानी पी लो और कुछ खा लो ।खप्पू खरगोश खाना और पानी देखकर तुरंत ही उछल पड़ा और कहने लगा हाँ- हाँ राखी बकरी मुझे खूब (बहुत) भूख लगी है ,पहले मैं जल्दी से खाना खा लेता हूँ। खाना खत्म होने के बाद खप्पू कहता है राखी बकरी - राखी बकरी मैं तो खरबूजा खोजने आया था और अपने घर का रास्ता ही भूल गया।अब मैं घर कैसे जाऊँगा?
राखी बकरी कहती है कोई बात नही खप्पू तुम मेरे साथ आओ ,मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगी मुझे पता है कि तुम्हारा घर कहाँ है।
खप्पू यह बात सुनकर खूब खुश हो जाता हैऔर कहता है पर राखी
बकरी मेरे खरबूजे का क्या होगा; राखी बकरी खूब हँसती है और कहती है ये लो खप्पू बेटा, अपना खरबूजा, पंरतु मुझसे एक वादा करो कि अब से तुम अकेले कहीं नही जाओगे, हमेशा अपने मम्मी,पापा या किसी बड़े के साथ ही कहीं जाओगे।
खप्पू कहता है हाँ हाँ राखी बकरी मुझे सब समझ आ गया अब से मैं कहीं पर भी अकेले नहीं जाऊँगा।
शाबाश खप्पू बेटा , चलो मैं अब तुम्हे
तुम्हारे घर पहुँचा देती हूँ। खप्पू को देखकर उसके माता-पिता खूब खुश होते हैं और राखी बकरी को कहते हैं कि राखी बकरी ,राखी बकरी आपका खूब - खूब धन्यवाद हो कि आप खप्पू को घर ले आए , हम दोनों भी इसे खोज ही रहे थे।
~अंजू जैन गुप्ता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें