शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

शादाब आलम का बालगीत


ओ रे घोड़े


छप्पक-छप्पक बीच नदी में
नहा रहा था एक सपोला
घोड़े को चुप खड़ा देखकर
बड़े जोर से हँसकर बोला

सोंच रहा क्या आजा तू भी
साथ नहा ले ओ रे घोड़े
नहीं नहाया तो निकलेंगे
इस गरमी में फुंसी-फोड़े।







शादाब  आलम

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