नाना की पिटारी
इन्टरनेट पर छोटे बच्चों के लिए हिन्दी की, जून 2025 को प्रकाशित एकमात्र मासिक निशुल्क पत्रिका
संपादक शरद कुमार श्रीवास्तव, मेरठ उ प्र
ईमेल nanakipitari@gmail.com
शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016
शादाब आलम का बालगीत
ओ रे घोड़े
छप्पक-छप्पक बीच नदी में नहा रहा था एक सपोला घोड़े को चुप खड़ा देखकर बड़े जोर से हँसकर बोला सोंच रहा क्या आजा तू भी साथ नहा ले ओ रे घोड़े नहीं नहाया तो निकलेंगे इस गरमी में फुंसी-फोड़े।
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