दादा की टोपी
सरर - सरर हवा चली,
बात थी अनोखी।
मेले में दादा की,
उडी नई टोपी।
चिनियां को साथ लिये,
दादाजी भागे।
दौड़ रहे पीछे वे,
टोपी थी आगे।
आई हंसी दादी को,
मुश्किल से रोकी।
टोपी यह ढीली सी,
पापा क्यों लाये।
दादाजी अम्मा पर ,
जी भर चिल्लाये।
गलती यह सब की सब,
पापा पर थोपी।
दादी को अम्मा को,
जी भर फटकारा।
पापा के पास नहीं,
कोई था चारा।
कहते हैं घर भर की
अक्ल बहुत मोटी।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
12, शिवम सुन्दरम नगर छिन्दवाड़ा
मध्य प्रदेश
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