यह शिक्षाप्रद मनोरंजक रचना जो बहुत समय पहले काफी लोकप्रिय हुईं थी पर आधारित रचना श्रीमती मंजू श्रीवास्तव नै प्रेषित किया है । अज्ञात कवि की रचना यधावत प्रस्तुत है
लालू कालू थे दो भाई,
एक रसगुल्ले पे हुई लड़ाई।
लालू बोला मैं खाऊँगा,
कालू बोला मैं खाऊँगा ।
झगड़ा सुनकर मम्मी आई,
दोनो के एक एक चपत लगाई।
लालू लगा जोर से रोने,
कालू ने भी तान मे तान मिलाई।
दोनों को किया कमरे मे बन्द,
लालू, कालू का रोना भी बन्द।
मम्मी ने जब दरवाजा खोला,
कालू कान पकड़ के बोला,
नहीं लड़ूँगा, अब नहीं लड़ूँगा।
लालू ने भी हाँ मे हाँ मिलाई।
मम्मी ने दोनों को प्यार किया,
और रसगुल्ला आधा आधा बांट दिया।
प्रेषिका़
मंजू श्रीवास्तव ५०२ प्रांगण
अपार्टमेंट सेक्टर ६२ नोएडा यू़पी
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