यश और वीरू दोनो गहरे दोस्त थे | दोनो एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे |
दोनो की फुटबॉल के खेल मे बहुत रूचि थी | यश अपने खेल मे काफी माहिर हो चुका था | कोई भी प्रतियोगिता हो हमेशा आगे ही रहता था |
वीरू थोड़ा संकोची स्वभाव का किशोर था | हर वक्त सोचने लगता कि यदि हार गये तो क्या होगा? इसी कारण वह अन्य बच्चों से काफी पीछे था | यश उसे बहुत समझाता था कि अपनी सोच बदलो, आगे बढ़ने की कोशिश करो पर वीरू हिम्मत नहीं जुटा पाता था |
एक दिन वीरू फुटबॉल मैच देख रहाथा | उसमे एक दुबला पतला लड़का बहुत अच्छा खेल रहा था | बाद मे पता चला कि वह पोलियो से ग्रसित था पर अब बिल्कुल ठीक हो गया था |
अचानक ही वीरू के मन मे विचार आया कि वह लड़का जब इतनी हिम्मत जुटा सकता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता? यह विचार आते ही दूसरे दिन से ही उसने अभ्यास करना शुरु कर दिया |
उसने कोचिंग जाना शुरू कर दिया और कोच की देखरेख मे अभ्यास शुरू कर दिया |कुछ ही दिनों मे उसके खेल मे काफी सुधार हो गया था |
अब वह फुटबॉल की छोटी मोटी प्रतियोगिताओं मे भाग लेने लगा था | यह देखकर यश बहुत खुश था |
उसने यश के साथ फुटबॉल मैचों मे जाना आरम्भ कर दिया था | कई पुरस्कार जीते |
यश भी उसका हौसला देखकर उसे प्रोत्साहित करता आगे बढ़ने के लिये |
आखिर वह दिन भी आगया जब वीरू विश्व स्तर का खिलाड़ी बन चुका था |
वीरु यश के पास गया और बोला
मेरे दोस्त, यदि तुमने मझे प्रोत्साहित नहीं किया होता तो आज मैं जिस मुकाम पर हूँ, वहाँ नहीं होता | तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया |
दोनो की फुटबॉल के खेल मे बहुत रूचि थी | यश अपने खेल मे काफी माहिर हो चुका था | कोई भी प्रतियोगिता हो हमेशा आगे ही रहता था |
वीरू थोड़ा संकोची स्वभाव का किशोर था | हर वक्त सोचने लगता कि यदि हार गये तो क्या होगा? इसी कारण वह अन्य बच्चों से काफी पीछे था | यश उसे बहुत समझाता था कि अपनी सोच बदलो, आगे बढ़ने की कोशिश करो पर वीरू हिम्मत नहीं जुटा पाता था |
एक दिन वीरू फुटबॉल मैच देख रहाथा | उसमे एक दुबला पतला लड़का बहुत अच्छा खेल रहा था | बाद मे पता चला कि वह पोलियो से ग्रसित था पर अब बिल्कुल ठीक हो गया था |
अचानक ही वीरू के मन मे विचार आया कि वह लड़का जब इतनी हिम्मत जुटा सकता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता? यह विचार आते ही दूसरे दिन से ही उसने अभ्यास करना शुरु कर दिया |
उसने कोचिंग जाना शुरू कर दिया और कोच की देखरेख मे अभ्यास शुरू कर दिया |कुछ ही दिनों मे उसके खेल मे काफी सुधार हो गया था |
अब वह फुटबॉल की छोटी मोटी प्रतियोगिताओं मे भाग लेने लगा था | यह देखकर यश बहुत खुश था |
उसने यश के साथ फुटबॉल मैचों मे जाना आरम्भ कर दिया था | कई पुरस्कार जीते |
यश भी उसका हौसला देखकर उसे प्रोत्साहित करता आगे बढ़ने के लिये |
आखिर वह दिन भी आगया जब वीरू विश्व स्तर का खिलाड़ी बन चुका था |
वीरु यश के पास गया और बोला
मेरे दोस्त, यदि तुमने मझे प्रोत्साहित नहीं किया होता तो आज मैं जिस मुकाम पर हूँ, वहाँ नहीं होता | तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया |
यश बोला,मै तेरा दोस्त हूँ, शुक्रिया कैसा? तुझे सफलता की बुलंन्दियों पर देखकर मुझे जो खुशी हो रही है उसे बयां नहीं कर सकता |
दोनो एक दुसरे से लिपट गये और खुशी के आँसू बह निकले |
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दोनो एक दुसरे से लिपट गये और खुशी के आँसू बह निकले |
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मंजू श्रीवास्तव
हरिद्वार
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