मंगलवार, 6 अगस्त 2019

सुशील शर्मा की रचना ओम नमो मोबाइल मामा






 ओम नमो मोबाइल मामा।
 तेरे बिना न पूरन कामा।
 इक इक क्षण तुम बिन है भारी।
तुम बिन बेबस दुनिया सारी।
कलियुग के तुम नाम अधारा।
तुमको नमन करत जग सारा।
 सुबह होत सब तुम्हें पुकारें
 कर कमलों में तुमको धारें।
 मम्मी के तुम प्यारे भैया।
 नाचें तुम संग ता था थैया।
 पापा के तुम प्राणों प्यारे।
 भैया के तुम राज दुलारे।
 बहिना के तुम प्राण अधारा।
 तुम बिन सूना ये जग सारा।
 पब टिकटाक खेल के राजा
 फेसबुकी ये बना समाजा।
 सारे व्यापारी ,संसारी।
 बिन तेरे बन जायँ भिखारी।
 ओ मेरे मोबाइल मामा
 मेरे पूरन कर दो कामा
 सदबुद्धि तुम मुझको देना।
 ज्ञान सुधा मुझ में भर देना।
 ज्ञान का दर्पण मुझे दिखाना ।
 सुंदर बातें मुझे सिखाना।

           सुशील शर्मा

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