बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

सोने की चिड़िया : बेबी नाव्या कुमार







 पास के जंगल में  एक चिड़िया रहती थी।  वह सबकी मदद करती थी।  वह बहुत ही सुंदर यानि कि एक सोने के दिल वाली चिड़िया थी।  अपने कामों से वह अन्य पशु पक्षियों मे मेलजोल के संदेशों को पहुंचाती थी। एक बार एक देवी एक गिलहरी के रूप में धरती पर  यह देखने के लिये आई थी कि धरती पर सब ठीक ठीक है या नहीं ।  देवी ने उस चिडिया के बारे में बहुत कुछ सुना था।।  उसने उस चिडिया को परखने के लिए सोचा।  वह छुपकर चिन्टू बन्दर के पास गई और बोली कि सोन चिड़िया बहुत खराब है मेरा छुपा हुआ दाना चट कर गई है।  चिन्टू बोला कि तुम्हे कोई भ्रम हुआ है वह बहुत अच्छी है  वह बोला एक दिन मै पेड़ की एक टूटने वाली शाख पर खेल खेल में लटकने वाला था कि सोन चिड़िया ने देख लिया और चींचीं कर मुझे आगाह कर दिया और मै चोट खाने से बच गया।

वह गिलहरी फिर बन्टी खरगोश के पास गई और वहाँ भी उसने कहा कि सोन चिड़िया बहुत स्वार्थी है अपने अलावा वह किसी के काम नहीं आती है।. खरगोश कहीं तेजी से जा रहा था रुक गया और बोला नन गिलहरी बहन सोन चिड़िया बहुत ही अच्छा काम करती है वह जंगल के जानवरों की अकेली डाक्टर है उसदिन मुझे चोट लग गई थी तब वह गेन्दा के पत्तों की डाली लाई थी और मेरी मम्मी ने उसका रस मेरे जख्म पर लगाया और मै ठीक हो गया।. कुछ दिन पहले गज्जू हाथी को पानी मे भीगने के बाद छींक आने लगी तब सोन चिड़िया की लाई जड़ी का काढ़ा पीने के बाद वह बिल्कुल सही हो गया।

गिलहरी को अब विश्वास होगया था कि अच्छे-अच्छे कामो के चलते उस चिड़िया को सब सोन चिड़िया कहते हैं अतः संतुष्ट हो कर वहदेवी देवलोक वापस चली गई।





















नाव्या कुमार
कक्षा चार
रेयान अंतरराष्ट्रीय विद्यालय
रोहिणी दिल्ली 

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