बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

त्रिलोक सिंह ठकुरेला की बाल कविता चिड़िया घर









चिड़ियाघर देखने शहर में
नन्हा सोनू ­ आया।
उसे पिता ने बड़े प्यार से,
केला एक दिलाया॥


रंग ­बिरंगी चिड़िया देखी,
देखा मोटू हाथी।
हिरण देख कर सोचा मन में,
खेलूँ बन कर साथी॥


शेर और चीता जब देखा,
तब थोड़ा घबराया।
मोर और बत्तखों ने उसके
मन को खूब लुभाया॥

पर सोनू जब लगा देखने,
बन्दर खड़ा अकेला।
दाँत दिखाता आया बन्दर,
छीन ले गया केला॥



-त्रिलोक सिंह ठकुरेला 
बंगला संख्या-99, 
रेलवे चिकित्सालय के सामने,
आबू रोड-307026 
जिला- सिरोही ( राजस्थान)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें