भाग्य का मारा बड़ा लाचार हूँ ।
देश के लिए अन्न उगाता हूँ पर ,
खुद भूखा और तंगहाल हूँ ...
निर्मम प्रकृति , सरकारी व्यवस्था
का मारा , कर्ज में डूबा गुलाम हूँ ।
बेटी ब्याह , मरती फसलो की चिंता में ,
जूझता , मरता इंसान हूँ .
..
___________________
✍ कृष्ण कुमार वर्मा , रायपुर
छत्तीसगढ़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें