प्राची सुबह आंगन में बैठे चाय पी रही थी , तभी उसने देखा कि आँगन में लगें अमरूद के पेड़ पर एक चिड़िया घोंसला बना रही थी । तभी प्राची को शरारत सूझी । उसने लम्बी लकड़ी से उस घोंसला को तोड़ दिया । फिर उसने देखा कि थोड़ी देर बाद चिड़िया फिर से घोंसला बनाने लगी । प्राची फिर से उसे तोड़ दी ।।
अचानक उसकी माँ ने उसे ऐसा करते देख लिया । तब उन्होंने प्राची से कहा - देखो बेटा ! किसी के रहने के घर को नुकसान नही पहुँचाना चाहिए , चाहे वो किसी चिड़िया का हो या फिर किसी जानवर का । सबको दुःख होता है । अगर कोई तुम्हारे आशियाना को तोड़ दे तो तुम्हें कैसा लगेगा ?
तब प्राची को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने जाकर चिड़िया का घोंसला फिर से तैयार कर दिया । और उसमें चावल के कुछ दाने भी दाल दिये । कुछ देर बाद देखा कि चिड़िया उस दाने को खा रही थी तो वह बहुत खुश हुई ।
● सार - किसी को बिना कोई कारण के तंग या नुकसान नही पहुँचाना चाहिए ।
कृष्ण कुमार वर्मा
रायपुर ,
छत्तीसगढ़
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