बुधवार, 16 सितंबर 2020

बंधन (ताटंक छंद) महेन्द्र देवांगन माटी की रचना






जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।
कुछ भी संकट आये हम पर , कभी नहीं घबरायेंगे।।

गठबंधन है सात जनम का, ये ना खेल तमाशा है ।
सुख दुख दोनों साथ निभाये, अपने मन की आशा है।।

प्रेम प्यार के इस बंधन को, भूल नहीं अब पायेंगे।
जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।।



                   महेन्द्र देवांगन "माटी"
                   प्रेषक - (पुत्री - प्रिया देवांगन "प्रियू")
                   पंडरिया
                   जिला - कबीरधाम
                   छत्तीसगढ़

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