दाने-दाने को मीलों की सैर किया करते,
कभी सुरक्षित घर लौटेंगे सोच-सोच डरते।
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कदम-कदम पर जाल बिछाए बैठा है कोई,
यही सोचकर आज हमारी भूख- प्यास खोई,
पर बच्चों की खातिर अनगिन शंकाओं में भी,
महनत से हम कभी न कोई समझौता करते।
दाने-दाने को----------------
बारी- बारी से हम दाना चुगने को जाते,
कैसा भी मौसम हो खाना लेकर ही आते,
खुद से पहले हम बच्चों की भूख मिटाने को,
बड़े जतन से उनके मुख में हम खाना धरते।
दाने-दाने को-------------------
सिर्फ आज की चिंता रहती कल किसने देखा,
कठिन परिश्रम से बन जाती बिगड़ी हर रेखा।
डरते रहने से सपनों के महल नहीं बनते,
बिना उड़े कैसे मंज़िल का अंदाज़ा करते।
दाने-दाने को---------------------
आसमान छूने की ख़ातिर उड़ना ही होगा,
छोड़ झूठ का दामन सच से जुड़ना ही होगा,
जो होगा देखा जाएगा हिम्मत मत हारो,
डरने वाले इस दुनियां में जीते जी मरते।
दाने-दाने को---------------------
श्रद्धा,फ्योना,अन्वी,ओजस,शेरी बतलाओ,
अडिग साहसी चिड़िया जैसा बनकर दिखलाओ,
छोटाऔर बड़ा मत सोचो धरती पर ज्ञानी,
किसी रूप में भी आ करके ज्ञान दान करते।
दाने-दाने को-------------------
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0- 9719275453
दि0- 23/11/2020
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