जंगल के राजा जंगल में ले करके आ गए बरात
हाथी भालू शेर दूल्हे संग ,है बिल्ली दुल्हन के साथ।
गीदड़ लोमड शोर मचाते ,बंदर करते हैं हुड़दंग
आपस की दुश्मनी भूलकर नाच रहे देखो संग संग
कहे भेड़िया जल्दी पहुंचो नहीं तो हो जाएगी रात।
दाल बनाकर खड़ी लोमड़ी ,बिल्ली रोटी सेक रही
चावल चूल्हे चढ़ा बंदरिया पल पल बाहर देख रही
आने को बारात है भैया भालू जी कब देंगे भात।
गाजे बाजो के संग आ पहुंची बरातियों की टोली
धूम धड़ाका हुई पार्टी सज गई रानी की डोली
भालू रोया दुल्हन का देकर दूल्हे के हाथ में हाथ।
डॉ राम गोपाल भारतीय
128 शीलकुंज रुड़की रोड
मेरठ
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