छोटे अंडों पर बैठी है,
छोटी चिड़िया रानी,
भूली सारा सैर - सपाटा,
भूली दाना - पानी।
सुंदर बच्चों की चाहतमें,
कर बैठी नादानी,
आकर कहाचिरौटेने तब,
क्या करती हो रानी?
ऐसे भूखी प्यासी रहकर,
होगी खत्म कहानी,
किसको बोलेंगे,यह बच्चे
अपनी मम्मी रानी।
बोला चिड़ियासेजाकरके,
पी लो ठंडा पानी,
हवा चलरही प्यारी-प्यारी,
दूर करो हैरानी।
मैं अंडों के ऊपर बैठा,
करता हूँ निगरानी,
आकरचिड़ियाने बतलाया,
क्या करते हो जानी?
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सांप चढ़ रहा है डाली पर,
करने को मनमानी,
कोईयुक्ति लगाओ जिससे,
भागे यह अभिमानी।
मिलकरशोर मचाया सबने,
किए वार बलिदानी,
घायल होकर गिरे सांप को,
याद आ गई नानी।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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