रविवार, 6 फ़रवरी 2022

ऋतु बसन्ती" प्रिया देवांगन "प्रियू" की बालकविता

 


ऋतु बसन्त का दौर, देख छायी हरियाली।
करते कोयल शोर, बौर भी लगती डाली।।
पीले पीले रंग, सभी मोहित हैं होते।
सरसों का है फूल, खेत में इसको बोते।।

हरा - भरा चहुँओर, लगे गेहूँ की बाली।
करते पक्षी शोर, बैठती डाली-डाली।।
खुशियाँ चारों ओर, मोरनी पँख फैलाती।
तोता मैना रोज, बाग में वह इठलाती।।

पुष्पों की मुस्कान, सभी के मन को भाती।
करे बसन्ती शोर, हवायें सर सर आती।।
खिलते फूल पलाश, मनो को लगता प्यारा।
होली बनते रंग, खेलते हैं जग सारा।।



प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com


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