बत्तख के बच्चों के मुख से
यही बात बस निकली
कीट-पतंगे तुम ही खाओ
हम खाएंगे मछली।
बत्तख बोली प्यारे बच्चों
कैसे तुम्हें बताऊं
सूख चुके सब ताल -तलैया
मछली कैसे लाऊं।
बच्चे अपनी जिद के पक्के
सौ - सौ आँसू रोए
किए इकठे कीट-पतंगे
व्यर्थ ज़िद में खोए।
माँ ने आँख दिखा बच्चों को
जी भर डांट लगाई
देखा ज़िद में भूखे-प्यासे
सारी रात बिताई।
तुमको भूखा देख मुझे भी
खाना तनिक न भाया
देख-देख मुँह खुला तुम्हारा
दिल मेरा भर आया।
तभी चौंचमें मछली भरकर
बगुला राजा आया
बोला बहना, इन्हें देख मैं
आगे उड़ ना पाया।
बत्तख बोली बकुल तुम्हारा
बहुत - बहुत उपकार
तुम जैसे हो जाएं सब तो
हो जाए उद्धार।
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वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
9719275463
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