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रविवार, 6 नवंबर 2022

हम खाएंगे मछली! वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की बाल रचना

 


बत्तख के बच्चों के मुख से

यही   बात   बस   निकली

कीट-पतंगे  तुम  ही खाओ

हम        खाएंगे     मछली।


बत्तख  बोली   प्यारे  बच्चों 

कैसे         तुम्हें       बताऊं

सूख चुके सब ताल -तलैया

मछली        कैसे      लाऊं।


बच्चे अपनी  जिद के पक्के

सौ  -  सौ      आँसू      रोए

किए     इकठे    कीट-पतंगे

व्यर्थ     ज़िद     में     खोए।


माँ ने आँख दिखा बच्चों को

जी     भर     डांट     लगाई

देखा  ज़िद   में  भूखे-प्यासे

सारी         रात        बिताई।


तुमको भूखा देख  मुझे  भी

खाना   तनिक    न    भाया

देख-देख मुँह खुला तुम्हारा 

दिल    मेरा    भर     आया।



तभी चौंचमें मछली भरकर

बगुला       राजा       आया

बोला बहना,  इन्हें  देख  मैं

आगे     उड़     ना     पाया।


बत्तख बोली बकुल तुम्हारा

बहुत   -   बहुत     उपकार

तुम जैसे  हो  जाएं सब तो

हो           जाए       उद्धार।

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      वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

         9719275463

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