एक दिन रिया और टिया की मम्मी ने कहा , बच्चो देखो आज बाहर घनघोर बादल छाए हुए है लगता है कि आज ज़ोरों से वर्षा होने वाली है, मैं जल्दी से बाज़ार जाकर शाम के लिए कुछ फल व सब्जियाँ ले आती हूँ।तब तक तुम्हारे पापा भी दफ़्तर से लौट आएँगे।परंतु मैं जब तक बाज़ार से लौट कर नही आती तुम दोनों अंदर ही रहना।अब चलो जल्दी करो सारे दरवाज़े व खिड़कियाँ भी बंद कर लो।
रिया कहती है , ठीक है मम्मा आप जाओ और जल्दी लौट आना तभी टिया कहती है,सुनो मम्मा आप आते हुए हमारे लिए आइसक्रीम भी ले आना।
मम्मा कहती है ठीक है बच्चो, अब अंदर से घर बन्द कर लो और जब तक मैं नही आती तुम दोनों लड़ना नही। यह कहकर मम्मा चली जाती है।
अब दोनों बहनें ड्राइंगरूम में बैठकर टी.वी.देखने लगती हैं,परंतु कहीं से एक खिड़की खुली रह जाती है और उनके घर में बंदर घुस आते हैं।टिया जैसे ही बंदरों को देखती है वह ज़ोर से रिया दीदी बंदर-बंदर चिल्लाती हुई सोफे के ऊपर चढ़ जाती है और बंदर को देखकर दोनों बहनें डर जाती हैं।
तभी बंदर भी उन बच्चियों को अकेला देखकर तुरंत ही खिड़की के बाहर लौट जाते हैं। और बाहर से ही कहते हैं कि ,"बच्चो तुम हम से डरो नही मैं चंकू और ये मेरा मित्र मंकू है।हम तुम्हें काटने या तंग करने नही आए हैं ।हमें तो ज़ोरों से भूख लगी थी।हमने दो दिन से कुछ खाया भी नही इसलिए हम तो यहाँ खाने के लिए कुछ ढूँढने आए थे।"
तभी टिया बोल पढ़ती है कि, खाना ,खाना है तो अपने घर जंगल में जाकर खाओ ; यहाँ हमारे घर क्यों आए हो?
तभी चंकू कहता है टिया तुम सही कह रही हो ,पर क्या तुम्हें पता है कि आजकल सारे बड़े - बड़े बिल्डरों ने बिल्डिंग और फैक्ट्री लगाने के लिए हमारे जंगलों व पेड़ - पौधे को काट दिया है।अब तुम ही बताओ हम कहाँ जाकर रहे?
टिया कहती है रहने दो चंकू-मंकू तुम हमें बेवकूफ मत बनाओ,तभी रिया बोल पड़ती है नहीं-नहीं बहन ये दोनों तो सही कह रहे हैं।तुम अभी छोटी हो ,तुम्हें पता नही है परंतु गुजरात, फरीदाबाद तथा अन्य जगहों पर भी ऐसा ही हो रहा हैं।कहीं पर जंगलों व पेड़-पौधो को काटकर माॅल बनाए जा रहे हैं तो कहीं पर फैक्ट्री व होटल इत्यादि बनाए जा रहे हैं।
ये सब सुनने के बाद टिया कहती है पर दीदी ये तो गलत है,हमें किसी का भी घर नही तोड़ना चाहिए या किसी के भी रहने की जगह को नष्ट करना गलत है और इससे तो हमारे पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ रहा है और प्रदूषण भी हो रहा है।तभी रिया पूछती है ,पर दीदी कैसे?
रिया समझाती है ,"यदि हम पेड़-पौधो को काट देंगे तो वर्षा नही होगी और यदि वर्षा नही होगी तो हम खेतों में अनाज भी नही उगा पाएँगे। इससे धरती को पानी भी नही मिल पाएगा जिससे कहीं पर सूखा पड़ जाएगा तो किसान अनाज भी नही उगा पाएँगे ।दूसरा इससे पर्यावरण को भी नुकसान होगा,हमें ताज़ी हवा व आक्सीजन भी भरपूर मात्रा में नही मिल पाएगी।"
तभी टिया कहती है, हाँ- हाँ दीदी मेरी मैम भी यही कहती है कि अगर हमें आक्सीजन नही मिलेगी तो हम साँस भी नही ले पाएँगे।
हाँ छुटकी तुम सही कह रही हो जंगल और पेड़ों के कट जाने से ऋतुओं का चरण भी बिगड़ गया हैं और गर्मी में बहुत गर्मी तो सर्दी में बहुत सर्दी होने लगी है ।तभी
चंकू-मंकू कहते है हाँ-हाँ रिया दीदी आप सही कह रहे हो,चलो अब हम भी चलते हैं।
अरे!नहीं-नहीं, चंकू-मंकू रुको टिया तुम्हारे खाने के लिए कुछ लेने गई है।
तभी टिया उनके लिए सेब🍏,केला🍌 व अंगूर 🍇 ले आती हैं और उन्हें दे देती है।वे दोनों खाकर बहुत खुश होते हैं।
रिया कहती है, तुम दोनों चिन्ता मत करो हमारे पापा संपादक हैं तो हम उनसे बोलेंगे कि इस समस्या के बारे में अपने अखबार में छापे ताकि सब व्यक्तियों को जागरूक किया जा सके और इस समस्या का कुछ समाधान निकल पाए।
चंकू, मंकू रिया और टिया को धन्यवाद कहते है ।
तभी दोनों बहनें कहती हैं कि,चंकू, मंकू तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा और जब भी तुम्हें कुछ खाना हो तुम यहाँ आ सकते 👋 बायॅ-बाॅय
~अंजू जैन गुप्ता
गुरूग्राम