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2020
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जून
(22)
- बचपन की वह रोमांचकारी घटना ** श्याम सुंदर श्रीवास्तव
- प्यारी नानी
- भालू दादा :वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
- जीवन को महकाना सीखो महेन्द्र कुमार वर्मा
- मजदूर
- कौवे और मुर्गी की साझा खेती
- अभिलाषा ( ताटंक छन्द : महेन्द्र देवांगन माटी की...
- सफेद मोतियों वाली माला : मधु त्यागी की बालकथा
- चिड़िया रानी : वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की रचना
- मित्रता : ब्रह्मलीन मंजू श्रीवास्तव की बालकथा (एक...
- जल के ऊपर कविता :वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की रचना
- सरस्वती वंदना : रचना श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
- बालक ध्रुव : शरद कुमार श्रीवास्तव
- गिलहरी : वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की रचना
- उम्मीद की किरण : श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
- पर्यावरण दिवस पर एक बालगीत रचना शरद कुमार श्रीव...
- पर्यावरण बचाओ (दोहा छंद) महेन्द्र देवांगन माटी की ...
- प्रिंसेस डॉल और टिंकपिका का जादूगर : शरद कुमार श...
- " बिल्ली मौसी का ज्ञान " : बालकथा :अंजू जैन गुप्ता...
- अम्मा कब स्कूल खुलेंगे : बालगीत :वीरेन्द्र स...
- विभिन्नता में एकता : रचना अंजू जैन गुप्ता
- "गर्मी की छुट्टियाँ " :बालकथा अंजू जैन गुप्ता की ...
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जून
(22)
शुक्रवार, 26 जून 2020
बचपन की वह रोमांचकारी घटना ** श्याम सुंदर श्रीवास्तव
प्यारी नानी
भालू दादा :वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
जीवन को महकाना सीखो महेन्द्र कुमार वर्मा
हर दुख में मुसकाना सीखो ,
सुख में ख़ुशी लुटाना सीखो।
अन्धकार जब घिर घिर जाए ,
जगमग दीप जलाना सीखो।
संकट की बेला जब आए ,
डटकर तुम भिड़ जाना सीखो।
हम सब में हो भाई चारा ,
सबको मीत बनाना सीखो।
कठिनाई की बेला में भी,
आगे कदम बढ़ाना सीखो।
बगिया के फूलों से भाई ,
जीवन को महकाना सीखो।
महेंद्र कुमार वर्मा
द्वारा ,जतिन वर्मा
E 1---1103 रोहन अभिलाषा
वाघोली ,पुणे [महाराष्ट्र]
पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328
मजदूर
मजदूर है हम देश के , मेहनत करना जानते हैं।
पसीना अपना बहाते हैं , कभी हार नही मानते हैं।।
एक एक ईंट जोड़कर , महलों को बनातें हैं।
दिनभर की मजदूरी करके , रोजी रोटी कमाते हैं।।
एक एक पैसा जोड़ जोड़ कर , बच्चों को पढ़ाते हैं।
नही थकते है कभी भी हम , मेहनत खूब करते हैं ।।
कुटिया में रह कर भी , अपना सपना पूरा करते हैं।
खुद भूखे रहकर भी , बच्चों को खाना खिलाते हैं।।
कभी पत्थर काटते तो कभी ईट को उठाते हैं।
अपनी मेहनत से हम , दूसरों के घर को सजाते हैं।।
मजदूर है हम देश के , मेहनत करना जानते हैं।
पसीना अपना बहाते हैं , कभी हार नही मानते हैं।।
प्रिया देवांगन *प्रियू*
पंडरिया
छत्तीसगढ़
कौवे और मुर्गी की साझा खेती
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गुरुवार, 25 जून 2020
अभिलाषा ( ताटंक छन्द : महेन्द्र देवांगन माटी की रचना
मातृभूमि पर शीश चढाऊँ, एक यही अभिलाषा है ।
झुकने दूंगा नहीं तिरंगा , मेरे मन की आशा है ।।1।
नित नित वंदन करुँ मै माता, तुम तो पालन हारी हो ।
कभी कष्ट ना होने देती , सबके मंगलकारी हो ।।2।।
जाति धर्म सब अलग अलग पर , एक यहाँ की भाषा है ।
मातृभूमि पर शीश चढाऊँ, एक यही अभिलाषा है ।।3।।
शस्य श्यामला धरा यहाँ की , सुंदर पर्वत घाटी है ।
माथे अपने तिलक लगाऊँ, चंदन जैसे माटी है ।।4।।
कभी खेलते युद्ध यहाँ पर , कभी खेलते पासा हैं ।
मातृभूमि पर शीश चढाऊँ, एक यही अभिलाषा है ।।5।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
सफेद मोतियों वाली माला : मधु त्यागी की बालकथा
चिड़िया रानी : वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की रचना
मंगलवार, 16 जून 2020
मित्रता : ब्रह्मलीन मंजू श्रीवास्तव की बालकथा (एक धरोहर)
जल के ऊपर कविता :वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की रचना
सरस्वती वंदना : रचना श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
बालक ध्रुव : शरद कुमार श्रीवास्तव
महाराजा उत्तानपाद की दो महारानियाँ थी । जिनमे बड़ी रानी का नाम था सुनीति और छोटी रानी का नाम सुरुचि था । छोटी रानी महाराजा उत्तानपाद को बहुत प्रिय थी। ध्रुव बड़ी रानी सुनीति के पुत्र थे । रानी सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था। छोटी रानी महाराजा उत्तानपाद को बहुत पसंद थीं इसलिए वो बहुत नकचढ़ी भी थीं । महाराजा उत्तानपाद उनकी सही गलत सब बातों को पसंद करते थे और गलत बातों का कोई प्रतिरोध नहीं करते थे ।
ध्रुव अपने पूर्ण लीन भक्ति के कारण ध्रुवीकरण ध्रुवीय आदि शब्दों के पूरक बन गये उत्तर में स्थित एक तारा का नाम भी आपके नाम से जाना जाने लगा ।हमारे देश में एक हेलीकॉप्टर का नाम भी ध्रुव रखा गया है ।
गिलहरी : वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की रचना
चिक-चिक करती पूंछ हिलाती
रोज़ गिलहरी आती है
खोज-खोज खाने की चीजें
तुरत उठा ले जाती है।
कुतर-कुतर कर सारा खाना
जल्दी - जल्दी खाती है
बड़े प्यार से बैठ के भोजन
करना हमें सिखाती है।
पत्तों के झुरमुट में छुपकर
आँख मूँद सो जाती है
बिल्ली, सांप, नेवले से वह
चौकन्नी हो जाती है।
हरी भरी सब्जी फल खाकर
सेहत रोज़ बनाती है
पेड़ों से फल कुतर-कुतर कर
नीचे खूब गिराती है।
गिरे बीज से फूटे अंकुर
देख - देख हर्षाती है
इसी तरह नित पेड़ उगाकर
पर्यावरण बचाती है।
खाली नहीं बैठती दिन भर
श्रम का साथ निभाती है
सक्रियता जीवन की पूंजी
सबको यह समझाती है।
नाज़ुक रेशों को ले जाकर
घर भी स्वयं बनाती है
साथ सुलाकर सब बच्चों को
जीवन का सुख पाती है।
बिस्कुट, रोटी, सेव, पपीता
आओ सब लेकर आएं
सुंदर धारीदार गिलहरी
के आगे रखकर आएं।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
09/06/2020
उम्मीद की किरण : श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
शनिवार, 6 जून 2020
पर्यावरण दिवस पर एक बालगीत रचना शरद कुमार श्रीवास्तव
आओ मिलजुल हम पेड़ लगाऐं
पर्यावरण बचाऐ पर्यावरण बचाऐं
आओ मिलजुल हम पानी बचाऐं
पर्यावरण बचाऐ पर्यावरण बचाऐं
आओ मिलजुल कूड़ा न फैलाऐं
पर्यावरण बचाऐ पर्यावरण बचाऐं
आओ मिलजुल धुआँ न फैलाऐ
पर्यावरण बचाऐं पर्यावरण बचाऐं
आओ मिलजुल शोर मत मचाऐ
पर्यावरण वचाऐं पर्यावरण बचाऐं
आओ मिलजुल पॉलीथिन हटाऐं
पर्यावरण बचाऐं पर्यावरण बचाऐं
शरद कुमार श्रीवास्तव
पर्यावरण बचाओ (दोहा छंद) महेन्द्र देवांगन माटी की रचना
शुद्ध हवा सबको मिले , पर्यावरण बचाव ।।
पर्यावरण विनाश से, मरते हैं सब लोग ।
कहीं बाढ़ सूखा कहीं, जीव रहे हैं भोग ।।
जब जब काटे वृक्ष को , मिलती उसकी आह ।
भुगत रहे प्राणी सभी , ढूँढ रहे हैं राह ।।
सड़क बनाते लोग हैं , वृक्ष रहे हैं काट ।
पर्यावरण विनाश कर , देख रहे हैं बाट ।।
पेड़ों से मिलती हवा , श्वासों का आधार ।
कट जाये यदि पेड़ तो , टूटे जीवन तार ।।
माटी में मिलते सभी , सोना चाँदी हीर ।
पर्यावरण बचाय के , समझो माटी पीर ।।
दो दिन की है जिंदगी , समझो इसका मोल ।
माटी बोले प्रेम से , सबसे मीठे बोल ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
प्रिंसेस डॉल और टिंकपिका का जादूगर : शरद कुमार श्रीवास्तव
प्रिंसेस डॉल स्कूल से लौट कर आई तो थोड़ा कुछ खा लेने के बाद वह स्कूल का होम वर्क ले कर बैठ गयी। आज मैथ वाली मैम ने उसे 100 अंकगणित ( मैथ) के सवाल कर के लाने को कहा था। वह सवाल करने बैठ तो गयी लेकिन वह एक भी सवाल कर नहीं पा रही थी। उसे ध्यान आया कि क्लास में जब मैथ टीचर सवाल करना सीखा रहीं थी, तब प्रिंसेस और रूपम, कट्टिम कुट्टा का खेल क्लास में खेल रही थी। अब जब सवाल नहीं समझ में आ रहा था तब प्रिंसेस को रुलाई छूट रही थी। वह क्या करे कैसे करे वह सोच रही थी। उसने सोचा की रूपम को फोन लगाए लेकिन रूपम भी तो कट्टिम कट्टा खेल रहजी थी वह क्या बतायेगी. वह रो रही थी कि दीवार पर बैठा मकड़ा उससे बोला रो मत ! मैं, अगर, सब सवाल कर दूँ तो तुम मुझे क्या खाने को दोगी। प्रिंसेस खुश होकर बोली मैं तुम्हे अपनी फेवरिट नट चॉकलेट दूंगी।
मकड़े ने उससे कहा की तुम अपने खिलोनो से खेलो मैं अभी तुम्हारे मैथ के सवाल कर देता हूँ। प्रिंसेस ने अपना मुंह खिलौने की तरफ किया, तब तक मकड़े ने, उसकी कापी के सब सवाल हल कर दिया और चौकलेट उठा कर गायब हो गया।
मैथ की टीचर को बहुत आश्चर्य हुआ । उन्होंने अंग्रेेजी की मैडम से कहा तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ । उन्होंने भी प्रिंसेस को 100 लाइन का ट्रांसलेशन दिया आज भी स्कूल में प्रिंसेस और रूपम साथ साथ खेल रही थी। इसलिए उसे पता ही नहीं लगा । परन्तु जब उसने घर में होम वर्क की कापी खोली तब उसे देख कर रोने लगी। वह मकड़ा फिर आया और बोला आज तो मैं तुम्हारा कलर बॉक्स लूंगा। उसने उसी तरह उसने प्रिंसेस डॉल का ध्यान हटा कर सारे ट्रांसलेशन कर डाले। अब मकड़ा प्रिंसेस डॉल का कलर बॉक्स भी चला गया। दो दिनों के बाद पेरंट टीचर मीटिंग में प्रिंसेस की मम्मी से मैथ की मैम और अंग्रेजी की मैम ने प्रिंसेस की बहुत तारीफ़ किया। लेकिन कहा कि घर से सब सवाल कर लाती है पर क्लास में रूपम से बातें बहुत करती है। कहीं आप तो घर में उसकी मदद तो कहीं नहीं कर देती हैं । ऐसे उसके सवाल कोई दूसरा कर देगा तो आप की प्रिंसेस बुद्धू रह जायेगी उसे तो कुछ नहीं आएगा। प्रिंसेस की माँ को भी दाल में कुछ काला नजर आया। घर आ कर वह जादू से गायब होकर दरवाजे के पीछे छुप कर बैठ गयी। उन्होंने देखा की एक मक्खी और एक मकड़ा आपस में बात कर रहे थे। मकड़ा बोला की मैं टिंकपिका से आया हूँ वहाँ के जादूगर ने भेजा है। प्रिंसेस के सब सवाल मैं कर देता हूँ। धीरे धीरे वह वीक (कमजोर) हो जायेगी तब उसे बुद्धू बना कर टिंकपिका का जादूगर अपने साथ पकड़ कर ले जाये जाएगा और बार्बी डॉल बना कर अलमारी में बंद कर देगा । इससे वह बहुत पावरफुल हो जाएगा , तब उसका कोई कुछ नहीं कर सकता और वह बहुत ताकत वाला बन जाएगा।
प्रिंसेस को ना तो उस मकड़े और मक्खी की बात कुछ सुनाई दे रही थी न तो वह समझ ही पा रही थी कि मकड़ा उसका काम क्यों कर दे रहा है। प्रिंसेस की माँ तो वहाँ जादू से छुपी थीं उन्होंने मकड़े की सब बातें सुन ली थी । वो जाला साफ़ करने वाला एक झाड़ू लेकर आयीं और उन्होंने जाला साफ कर दिया और मकड़े को मार दिया। प्रिंसेस की मम्मी प्रिंसेस से बोली की यह मकड़ा तुम्हारा होम वर्क करके तुम्हे कमजोर कर दे रहा था ताकि तुम्हे बुद्धू बनाकर वह बदमाश जादूगर पकड़कर ले जाय और बार्बी डॉल बना कर अपनी अलमारी में बंद कर दे। अब तुम अपना होम वर्क खुद किया करो जिससे तुम अधिक बुद्धिमान बन सको।
शरद कुमार श्रीवास्तव
" बिल्ली मौसी का ज्ञान " : बालकथा :अंजू जैन गुप्ता की बालकथा
ई
खरगोश,बन्दर और लोमड़ी तीनों जंगल में एक माउंटेन के नीचे रह्ते थे। उन तीनों में गहरी मित्रता थी।खरगोश को गाजर,बन्दर को केला और लोमड़ी को अंगूर बहुत पसंद थे।
एक दिन यूही बातो बातो में उन सबके बीच बहस छिड गई और बन्दर कहने लगा कि केला सबसे अच्छा होता है तभी खरगोश बोला नहीं नहीं गाजर सबसे अच्छी होती हैं और फिर तुरंत ही लोमड़ी बोली रहने दो तुम दोनों तो मूर्ख हो तुम्हे कुछ नहीं पता सबसे अच्छे तो अंगूर होते है। और इसी बात पर वे सब लड़ने लगते है उनका शोर सुनकर बिल्ली मौसी दौड़ती हुई आ जाती है और कहती है अरे भई क्या हुआ तुम सब आपस में लड़ क्यो रहे हो?किस बात पर इतना झगड़ा कर रहे हो ?तब खरगोश बिल्ली मौसी को सारी बात बताते हुए कहता है कि मौसी आप ही बताइए सब से अच्छी गाजर हो ती है ना !
तब मौसी जोरो से हँसने लगती है मौसी को हँसता हुआ देख कर वह सब शांत हो जाते है।
तब मौसी उन्हे समझाते हुए कहती है कि तीनों ही चीजें हमारी सेहत के लिए अच्छी और जरूरी होती हैं। तभी लोमड़ी पूछती है बताइए मौसी कैसे?
तब मौसी कहती है कि केले में कैल्शियम होता है जिससे हमारे दाँत और हड्डियां मजबूत होती है। गाजर में विटामिन-A होता है जो हमारी आँखों की रोशनी को बढाता है और स्वस्थ रखता है। और अंगूरो में विटामिन - c होता है जो हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते है (immunity) अर्थात बीमारियोंसे लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करते है। इसलिए ये तीनों ही चीजें और हमारी सिर्फे ये तीनों ही चीजें नही बल्कि सभी फल और सब्जियाँ हमारी सेहत के लिए अच्छी होती हैं। मौसी की बात अब तीनों को समझ आ जाती है और वे सब आपस में लड़ना छोड़ कर एक साथ बोल पड़ते है कि हाँ भई अब तो हम सभी फल और सब्जियाँ खाया करेंगे।
अंजू जैन गुप्ता
अम्मा कब स्कूल खुलेंगे : बालगीत :वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
अम्मा कब स्कूल खुलेंगे
इतना तो हमको बतला दो
कान पकड़कर कोरोना को
अपनी ताकतभी दिखला दो।
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मोबाइल मत देखो बच्चों
असर पड़ेगा इन आंखों पर
लेकिन ऑनलाइन शिक्षा का
असर न होगा क्याआँखों पर?
चश्मा नहीं लगाना हमको
अध्यापक को भी बतला दो।
अम्मा कब-----------------
अंतर्मन खुश होता सबका
साथ -साथ ही बतियाने में
कितना जी लगताहै सबका
मिल करके शिक्षा पाने में
करके पूजा तुम ईश्वर को
हाल हमारा भी बतला दो।
अम्मा कब----------------
इकिया-दुकियाआंख मिचौनी
खेलें किलकिल कांटी हम
कोड़ा छुपा लगाएं चक्कर
रोकें उठती खांसी हम
खेल-खेल में पढ़ना - लिखना
अम्मा हमको भी सिखला दो।
अम्मा कब------------------
घर में पड़े-पड़े हम यूं ही
कब तक अपना वजन बढ़ाएं
और पार्क में दौड़ लगाने
कब तक अपना मन तरसाऐं
बाधाओं से मुक्ति दिलाने
अम्मा कुछ तो चक्र चला दो।
अम्मा कब------------------
अरे कोरोना अंकल तुम भी
इतना नहीं समझते पाते हो
हमें समझकर बच्चा हमसे
आकर स्वयं उलझ जाते हो
हिम्मत है तो माँ के आगे
हमको छूकर भी दिखला दो।
अम्मा कब------------------
😢---😢---😢
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वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
विभिन्नता में एकता : रचना अंजू जैन गुप्ता
भारत के उत्तर प्रदेश में रामपुर नाम का एक गाँव है। जहाँ पर रामपुर पब्लिक स्कूल है। इस स्कूल में दूर दूर से सभी वर्गो अमीर गरीब सब धर्मो के बच्चे पढ़ने आते है। रोहन,आसिफ और नानकी तीन मित्र थे जो इसी स्कूल में पढते थे।रोहन हिन्दू था व हरियाणा का रहने वाला था।आसिफ मुस्लिम था व मुम्बई का रहने वाला था जबकि नानकी सिक्ख था और पंजाब से यहाँ पढने आया था।
तीनों में गहरी मित्रता थी।टोनी का भी इन्हीं की कक्षा में दाखिला हो जाता है ,परन्तु वह किसी से बात नहीं करता था बहुत घमंडी था क्योंकि वह विदेश से आया था।
एक दिन आसिफ ने कहा, टोनी क्या तुम हमारे मित्र बनोगे? तभी टोनी चिल्लाया " no,no I don't want to be your friend. I m a foreigner and I am so special।".
टोनी के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर रोहन और नानकी भी वहाँ पहुँच जाते है और टोनी को कहते है , why are you shouting? तुम चिल्ला क्यों रहे हो? हम तो तुमसे दोस्ती करने आये है।
टोनी कहता है "नो -नो तुम तीनों तो एक दूसरे से अलग हो।तुम्हारा खाना,पहनना व भाषा भी अलग-अलग है मैं तुमसे दोस्ती नही कर सकता जाओ मुझे पढ़ने दो।"इतना कह कर वह कक्षा से बाहर चला गया।
तभी खेल के मैदान में फुटबॉल के अध्यापक सभी बच्चों को खेलने के लिये कहते है और कुछ देर बाद ही खेल के बीच में अचानक से बारिश शुरू हो जाती है तथा साथ ही छुट्टी की bell हो जाती है । सभी बच्चे घर के लिये चल पढते है। आसिफ को तभी किसी के चिल्लाने की आवाज आती है help -help और तीनों मित्र स्कूल बैग वहीं छोड़ कर मैदान की और भागते है। वहाँ जाकर देखते है की Tony चिल्ला रहा है। उसका पैर फिसल गया था और उसे बहुत चोट भी लगी थी। बारिश के कारण सभी अध्यापक भी अंदर स्टाफ रूप में चले गये थे।
तीनों मित्रों ने उसे सहारा दे कर उठाने की कोशिश किया , किन्तु इसी बीच आसिफ भी फिसल जाता है और उसे खून निकलने लगता है। उसके खून निकलते देख Tony चिल्लाया," खून -खून, खून तुम्हारा भी खून मेरे खून की तरह लाल रंग का है", तभी आसिफ कहता है कि ,हाँ Tony खून तो सबका लाल रंग का ही होता है। फिर तुम हमे अपने से अलग क्यों समझते हो? हम सब तो एक जैसे हैं सिर्फ वेशभूषा ,खाना और भाषा अलग होने से कुछ फर्क नही पडता है। हम चाहें तो एक दूसरे की भाषा भी सीख सकते है ,तभी नानकी बोलता है" तुम्हे पता है रोहन की मम्मी बाजरे की रोटी बहुत स्वादिष्ट बनाती है "और रोहन कहता है ,"कि नानकी की मम्मी सरसों का साग बहुत स्वादिष्ट बनाती है।"
बातें करते -करते वे staff रुम में पहुँच जाते है। अध्यापिका जी उनको first aid दे देती हैऔर Tony को तीनों मित्रों को धन्यवाद कहने को कहती है Tony को अब समझ आ जाता है कि diversity का अर्थ," अलग-अलग होता है", किंतु इससे प्यार व एकता भी बढ़ती है। Tony तभी तीनों को धन्यवाद कहता है और अब उन सबके साथ मिल कर रहता है।
अंजू जैन गुप्ता
गुरुग्राम