भालू दादा नेता बनकर
जब जंगल को धाए
जंगल के सारे जीवों ने
तोरण द्वार सजाए।
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उतर कार से भालू दादा
शीघ्र मंच पर आए
कहकर जिंदाबाद सभी ने
नारे खूब लगाए
इतना स्वागत पाकर दादा
मन ही मन मुस्काए।
भालू दादा---------------
सबकी तरफ देख नेताजी
इतना लगे बताने
थोड़ा सब्र रखो बदलूँगा
सारे नियम पुराने
साफ हवा भोजन पानी के
सपने खूब दिखाए।
भालू दादा----------------
जमकर खाई दूध मलाई
खाई मीठी रबड़ी
फल खाने को चुहिया रानी
आकर सब पर अकड़ी
चुहिया रानी को समझाने
सभी जानवर आए।
भालू दादा-----------------
निर्भय होकर सब जंगल में
इधर - उधर घूमेंगे
एक दूसरे के हाथों को
बढ़-चढ़ कर चूमेंगे
साफ - सफाई रखने के भी
अद्भुत मंत्र सुझाए।
भालू दादा----------------
जंगल के राजा को पर यह
बात समझ ना आई
मेरे जीतेजी भालू को
किसने जीत दिलाई
खैर चाहता है तो भालू
तुरत सामने आए।
भालू दादा-----------------
देख रंग में भंग सभी ने
सरपट दौड़ लगाई
सर्वश्रेष्ठ ही बचा रहेगा
बात समझ में आई
भालू दादा भारी मन से
इस्तीफा दे आए
भालू दादा-----------------
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
दिनांक- 20/06/2020
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