मेरी नानी प्यारी नानी देखो हम आ गए
गर्मी की छुट्टियां मनाने तेरे घर आ गये
दिन प्रतिदिन मोबाइल पे थे हम मिलते
कभी गीत, परी के किस्से थे हम सुनते
कोरोना के खातिर , घर में हम बोर हुए
क्लास आनलाईन करने को मजबूर हुए
अब लड्डू खूब मजे से खाने हम आ गये
आइसक्रीम के मजे उड़ाने हम आ गये
नहीं मांगते पैसा कौड़ी ना चांदी ना सोना
हम तो हैं प्यारी नानी तेरे खेल खिलौना
हम प्यारे हैं जैसे तुमको वैसी प्यारी हो
सच कहता बच्चों को जान से प्यारी हो।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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