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गुरुवार, 12 जून 2025

इला और इमली : अंजू जैन गुप्ता

 





इम्फाल भारत के मणिपुर राज्य की राजधानी है।यह एक खूबसूरत शहर है। यहाँ पर इला नाम की एक लड़की थी । जिसका घर एक तीन मंजिला इमारत में था।  उसके घर के आंगन में इमली के इक्कीस पेड़ लगे हुए थे।  इला कभी भी उन इक्कीस पेड़ों का ध्यान नही रखती थी ।  वह उनको हमेशा नुकसान पहुँचाती रहती थी।  एक दिन इला की मम्मी  को अपने आफ़िस से घर वापिस आने में देर हो गई ।

 इला अपने विद्यालय से वापिस आ गई थी।  परन्तु इला अपनी मम्मी को घर नहीं आई थी ।   मम्मी को घर  पर न पाकर रोने लगी और रोते - रोते  नीचे इमली के बगीचे में चली गई  । तभी उसकी देखभाल के लिए रखी गई  इमसी दौड़ी- दौड़ी उसके पीछे आ गई और  बोली इला इधर आओ ,इधर आओ बोलते हुए नीचे आ गई ।

उनमें से एक पेड़ था इकवीर, वह इला को रोते हुए देखकर उससे पूछता है कि "इला इला तुम रो क्यों रही हो "?इला रोते-रोते कहती है," इकवीर मुझे भूख लगी है और देखो न मम्मा भी अभी तक नही आई हैं। मुझे सिर्फ उन्हीं के साथ खाना खाना है।"

इकवीर इला की बात सुनकर कहता है कोई नही इला तुम अपनी मम्मा का इंतज़ार करो उनकी इच्छा भी घर जल्दी आने की होगी अवश्य उन्हें कोई जरूरी काम आ गया होगा।  जब तक तुम्हारी मम्मा आती है तुम कुछ थोड़ा बहुत खा लो बाकी अपनी मम्मा के साथ खा लेना।इतना कहकर 

इकवीर इला को इमली खाने के लिए देता है ।वह कहता है इला लो इमली खा लो परंतु इला इंकार कर देती है ।वह कहती है मुझे नही खानी ।जब तक मेरी मम्मी नही आएगी मैं कुछ नही खाऊँगी और इतना कहकर वह रोना शुरू कर देती है मम्मा मम्मा ........ इकवीर रोती हुई इला के मुँह में झट से थोड़ी सी इमली डाल देता है जैसे ही वह इमली उसके मुहँ में जाती है इला चुप हो जाती है और कहती 

है wow! इमली तो कितनी अच्छी है मुझे थोड़ी और दो न ।इकवीर कहता है ये लो इला और ले लो , तुम अपनी मम्मी को बोलना इसकी चटनी बना देगी फिर तुम इमली की चटनी को इडली के साथ खाना बहुत स्वादिष्ट लगेगी।

इला कहती है इकवीर तुम सही कह रहे हो इमली तो बहुत अच्छी है । इला कहती है इकवीर मुझे माफ कर दो तुम सब  पेड़ तो कितने अच्छे हो ।हम इंसानो को कितना कुछ देते हो फल ,सब्जियाँ,तरह तरह की चीज़ें और ताज़ी हवा इत्यादि फिर भी मैं तुम्हारा कभी  ध्यान नही रखती थी।

मैं वादा करती हूँ कि अब से मैं तुम्हारा और सभी पेड़ों का ध्यान रखूँगी। इकवीर कहता है हाँ-हाँ इला तुम  सही कह रही हो अब से  मैं भी तुम्हरा मित्र हूँ । तुम जब चाहो मुझसे मिलने आ सकती हो।तभी इला की मम्मी आ जाती हैं। इला इकवीर को bye करती हैं और अपनी मम्मा के साथ  घर चली जाती है।



~ अंजू जैन गुप्ता

सोमवार, 9 जून 2025

ईशान और ईद : अंजू जैन गुप्ता

 



ईशान आज बहुत खुश है।वह आज जल्दी से उठकर तैयार हो जाता है और अम्मी-अम्मी को पुकारता हुआ अम्मी के पास  रसोई में चला जाता है।अम्मी ईशान को तैयार देख बहुत खुश हो जाती है और कहती है वाह !बेटा आज तो तुम इतनी जल्दी तैयार हो गए। ईशान कहता है हाँ अम्मी आज तो ईद है और आपने मुझे कही ले जाने का वादा किया था ना ,लो मैं तो तैयार हूँ । अब चलो कहाँ चलना है।  अम्मी कहती है चलो ईशान मैं भी तैयार हूँ  बस तुम्हारे अब्बू आ जाए फिर हम चलते हैं  । सबसे पहले ईशान अपनी अम्मी वह अब्बू के साथ ईदगाह जाता है वहाँ जाकर वह  सबके साथ ईद मनाता हैं।

अब ईदगाह से बाहर आते ही ईशान देखता है कि कुछ मजदूर  अपने हाथ में ईट लेकर जा रहे होते है वह पूछता है अम्मी ये मजदूर ईंटों का क्या करेगें    तब उसकी अम्मी उसे समझाती  है कि ईशान मजदूर इन ईंटों से मकान बह दुकानें आदि बनाते है ईंटों से बने हुए मकान पक्के और मजबूत होते  हैं । ईशान कहता है ok अम्मी समझ गया मैं, परंतु अब तो बता दो कि हम जा  कहाँ रहे है?   कुछ देर बाद अब्बू कहते है यह लो ईशान हम तो पहुँच भी गए , ईशान ईख के खेत के देखते ही उछलने लगता है और कहता है wow! यहाँ तो कितनी सारी ईख लगी हैं । किसान ईशान को ईख निकाल कर खाने के लिए देता है और कहता है ये लो ईशान तुम ईख खा लो ।ईशान किसान की बात सुनकर हँसने लगता है और कहता है काका इसे तो हाथी खाते है ये हमारे किस काम के ?उसकी ये बाते सुनकर उसके पिताजी उसे बताते है कि बेटा ईख को गन्ना कहते है और इसका प्रयोग चीनी , और गुड़ बनाने में किया जाता है।

गन्ने को आप ऐसे ही खा सकते हो ये फिर इसका जूस बना कर भी पी सकते हो।

इसका जूस पीने से तुम्हें ऊर्जा (energy) मिलती है व डिहाइड्रेशन भी नही होती है। ईख के जूस से हमारा पाचन तंत्र सही रहता है और यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity system)को भी मजबूत करता है।

अपने अब्बू की बात मानकर ईशान ईख ले लेता है और उसे छिलकर खाने लगता है।ईशान को गन्ना बहुत अच्छा लगता है। वह कहता है wow! अम्मी यह तो कितना मीठा और अच्छा है ।आप बहुत सारी ईख ले लो मैं घर जाकर खुद भी खाऊँगा और अपने सभी मित्रों को भी दूँगा।

अम्मी और अब्बू उसको यह बात सुनकर हँस देते हैं और ईशान को घर के लिए भी खूब सारी ईख दे देते है।



~अंजू जैन गुप्ता

रविवार, 8 जून 2025

-गंगा दशहरा : शरद कुमार श्रीवास्तव






पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव आजकल युवा पीढ़ी पर इतना   अधिक है  कि वह वैलेंटाइन डे के साथ  कोई न कोई डे हर  सप्ताह  खोज खोज कर मनाते है।   यह अपनी जगह एक अच्छी बात है ।  लेकिन भारत के तीज त्योहार और उनकी महत्ता को हम भुलाते जा रहे हैं । इसी संदर्भ में  हम  भारत से लुप्त हो रहे त्योहारों के बारे में जानकारी देने के लिये  गंगा दशहरा के बारे में यहां जानकारी दे रहे हैं । जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि  इस वर्ष 05/06/2025 अर्थात  5  जून को है।  इसे हम गंगा-दशहरा पर्व के रूप मे मना रहे हैं ।   कहते है पावन गंगा का अवतरण इसी दिन धरती पर हुआ था । आज के दिन भारतवासी गंगा में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। उसके उपरांत वे भगवान् का ध्यान और दान करते हैं । इससे उन्हें उनके पापों से मुक्ति मिल जाती है । अगर गंगा जी पास मे नहीं है तब किसी भी नदी में स्नान करने और भगवान् का ध्यान करते हुए दान करने से पाप दूर हो जाते है ।
स्कन्द पुराण में गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरित होने की कथा है, वह इस प्रकार है ।
एक बार अयोध्या के नरेश राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ करने के लिये एक घोड़ा छोड़ा । स्वर्ग के राजा इन्द्र को ईर्षा-वश राजा सगर का यह यज्ञ अच्छा नहीं लगा । उन्होंने अश्वमेध के लिए छोड़े हुए घोड़े को पकड़ कर पाताल लोक ले गये और कपिल मुनि के पास बांध दिया । इधर राजा सगर के अश्वमेध के घोड़े के गायब होने की खबर से चारों ओर खलबली मच गई । राजा सगर के सैनिक चारों तरफ दौड़े । राजा के साठ हजार सैनिक पाताल लोक में भी गये । वहाँ उन्हें अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा कपिल मुनि के समीप बंधा हुआ मिला । वे लोग यह देखकर चोर चोर कर चिल्लाने लगे । कपिल मुनि ने जब यह देखा तब उनके क्रोध से सारे साठ हजार सैनिक जलकर समाप्त हो गये । इन साठ हजार लोगों के उद्धार के लिए राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने घनघोर तपस्या की । उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा जी को धरती पर भेजने का निर्णय लिया । इसके पहले ब्रह्मा जी सुनिश्चित होना चाहते थे कि गंगा जी के वेग को धरती संभाल सकेंगी। ब्रह्मा जी ने भागीरथ जी से कहा कि वह भगवान् शिव को प्रसन्न करें ताकि वे गंगा जी को धरती पर अवतरित होने से पहले अपनी जटाओं में संभाल लें। धरती की भी स्वीकृति आवश्यक है । भागीरथ ने खूब तपस्या की और भगवान् शिव को खुश किया । भागीरथ ने अपने अथक प्रयास से गंगा जी को धरती पर लाकर अपने पुरखों का उद्धार किया । इसीलिए गंगा जी को भागीरथी भी कहा जाता है और पूरी चेष्टा से किये गये प्रयास को भागीरथी प्रयास भी कहा जाता है ।




                          शरद कुमार श्रीवास्तव 

खुशी एक परिचय: रचना अंजान

 



बहुत  दिन  बाद 

पकड़  में  आई...

*खुशी*...तो  पूछा ?


कहाँ  रहती  हो  आजकल.... ? 

ज़्यादा  मिलती  नहीं..?


*"यही  तो  हूँ"* 

जवाब  मिला।


बहुत  भाव 

खाती  हो  *ख़ुशी  ?..*

कुछ  सीखो 

अपनी  बहन *"परेशानी"*  से...

हर  दूसरे  दिन  आती  है 

हमसे  मिलने..।


आती  तो  मैं  भी  हूं... 

पर  आप  ध्यान  नही  देते।


*"अच्छा"...?*


शिकायत  होंठो  पे  थी  कि....

*ख़ुशी*  ने  टोक  दिया  बीच  में.

 

मैं  रहती  हूँ..…


कभी.. 

आपकी  बच्चे  की 

*तरक़्क़ियों  में,*


कभी.. 

रास्ते  मे  मिल  जाती  हूँ ..

*एक  दोस्त  के  रूप  में,*

कभी ... 

एक  अच्छी  फ़िल्म 

देखने  में, 


कभी... 

गुम  हो  कर  मिली  हुई 

किसी  चीज़  में,


कभी... 

*घरवालों  और  रिश्तेदारों* 

*की  परवाह  में,*


कभी ...

मानसून  की 

पहली  *बारिश  में,*


कभी... 

कोई  गाना  सुनने  में,


दरअसल...

थोड़ा  थोड़ा  बाँट  देती  हूँ, 

ख़ुद  को…

छोटे  छोटे  पलों  में....

उनके  अहसासों  में।

      

लगता  है  चश्मे  का  नंबर 

बढ़  गया  है  आपका...!

सिर्फ़  बड़ी  बड़ी  चीज़ों  में  ही 

ढूंढते  रहते  हो  मुझे.....!!! 


ख़ैर…

अब  तो  पता  मालूम 

हो  गया  ना  मेरा...?


*ढूंढ  लेना  मुझे  आसानी  से*

*अब  छोटी  छोटी  बातों  में..*

रचयिता : अनजान

संकलन 

अंतर्जाल ( इन्टरनेट) से

तू कितनी अच्छी है : ओ माँ


 

गरीबी एक चित्रण: प्रिया देवांगन "प्रियू"


 



                 
       विनी और बिट्टू दोनों भाई-बहन मैले-कुचैले कपड़े पहने थे। हाथों में छोटी-छोटी बोरियाँ थीं। वे कचरे बीनने जा रहे थे। कचरे के ढेर में झिल्ली, प्लास्टिक, लोहा आदि बीनते थे; और उन्हें बेचकर कर अपने खाने की व्यवस्था कर लेते थे। कभी कचरे के ढेर से रोटी के टुकड़े वगैरह या खाने को कुछ मिल जाता था, उसी से पेट भर लेते थे।
       बिट्टू बोला- "विनी उठो ! आज सबेरे जल्दी जाएँगे, तो हो सकता है कुछ खाने को मिल जाये। कल रात से हम भूखे हैं।"
       "हाँ भैया, मुझे तो रात को भूख के मारे बिल्कुल भी नींद नहीं आयी।" विनी बोली।
       रास्ते में एक आदमी अपने कुत्ते जैली को लेकर मॉर्निंग वॉक कर रहा था। वह कुत्ते को बिस्किट खिला रहा था। आगे-आगे कुत्ता और पीछे-पीछे आदमी।उसके पीछे थे दोनों भाई-बहन- बिट्टू और विनी। दोनों देख रहे थे; कुत्ता बिस्किट्स को नहीं खा रहा था। वह रास्ते में ही गिरा देता था। गिरे हुए बिस्किट को कभी विनी तुरन्त उठा लेती थी; तो कभी बिट्टू उठा लेता। बिस्किट पाकर दोनों खुश हो जाते थे। "आज भूख थोड़ी शांत हुई भैया।" विनी बोली।
         "हाँ विनी, हम रोज ऐसे ही सबेरे जल्दी आया करेंगे। ऐसे ही खाने को हमें रोज मिल सकता है।" तभी अचानक उस आदमी ने पीछे मुँड़ कर देखा कि जैली की गिरे हुए बिस्किट्स दोनों बच्चों के हाथों में है। उसने तुरंत दोनों को बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंकने को कहा। बच्चे डर गए। फिर दोनों ने बड़े मायूस हो कर बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंक दिए।
        "यह कुत्तों के खाने की बिस्किट्स है; इंसानो के लिए नहीं।" कहते हुए उस आदमी ने सारे बिस्किट्स जैली को जबरदस्ती खिला दिया।
        एक-दूसरे के चेहरे देख कर विनी और बिट्टू की आँखें भर आईं। दोनों भाई-बहन भारी मन से घर लौट रहे थे।
                  


प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़









गुल्ली बिल्ली और गिलहरी : अंजू जैन गुप्ता





एक दिन की बात है खूब जोरों से बिजली गरज रही थी और बारिश हो रही थी । गिर के जंगलों मे बहुत से जानवर जैसे गिलहरी,गिरगिट,गधा गाय और गैंडा हाथ मे गमला लिए इधर उधर भाग रहे थे ।तभी वहाँ से गुल्ली नाम की बिल्ली जा रही थी, उसने देखा कि सभी अपने हाथ में एक - एक गमला लेकर भाग रहे हैं गुल्ली उनको देखकर जोरों से हँसने लगी और हँसते- हँसते कहती हैं, कि अरे !भई तुम सभी गमला लेकर क्यों भाग रहे हो?तभी गिलहरी कहती है कि गुल्ली बिल्ली तुम भी एक गमला ले लो और भागो देखो बिजली कितनी जोरों से गरज रही है;

 कहीं तुम्हारे ऊपर न गिर जाए ! यह बात सुनकर गुल्ली और जोरों से हँसने लगती है और हँसते हुए कहती है ,"जब बिजली गरजता है तो हमें किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए जैसे कि किसी इमारत के अंदर या किसी ढके वाहन के अंदर ।  हमें पानी और बिजली की वस्तुओं से भी दूर रहना चाहिए ।

गमला तो मिट्टी का होता है यह तो टूट जाएगा । यह तुम्हारी रक्षा नहीं करेगा बल्कि इससे तुम्हें चोट लग सकती हैं ,तभी गिरगिट   

भी बोलने लगता है," हाँ -हाँ  गुल्ली तुम ठीक कह रही हो हमें शीघ्र ही किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए।"

 गिरगिट और 

गुल्ली की बात  सभी जानवरों को  समझ आ जाती है और सभी तुरंत गमला एक तरफ रख देते हैं । और पास ही एक सुरक्षित स्थान खोज लेते  हैं सभी वहाँ जाकर रुक जाते हैं। 

 जाते- जाते गुल्ली बिल्ली कहती हैं, तुम सबको याद हैं ना कि कल मेरा जन्मदिन है ।

तभी गाय कहती है ,"हाँ -हाँ गुल्ली हम सब आ जाएगे और मैं सबके लिए गाजर का हलवा ले आऊंगी।",गधा कहता है कि ,"मैं गिलास और गाजर का जूस ले आऊंगा । गुल्ली बिल्ली कहती है कि  तुम्हें कुछ लाने की जरूरत नहीं है मैंने पहले से ही ये सब बना लिया है बस तुम सब समय पर आ जाना। "गुल्ली कहती है , अब "मैं भी घर जाकर गुब्बारों से घर को सजा लेती हूं और गेंद भी ढूंढ लेती हूं कहाँ रखी है हम कल गेम्स भी खेलेंगे ।"

तभी मौसम भी सही हो जाता है और सभी अपने अपने घर चले जाते हैं।



अंजू जैन गुप्ता

बुधवार, 7 मई 2025

आप्रेशन सिंदूर पर दो रचनाएं



1 अर्चना सिंह जया, गाजियाबाद की रचना

आतंकवादियों को ललकारने,


दहशत दिल में जगाने आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


मां-बहन-बहुओं के आंसुओं का मान रख,


हुंकार लगाने लो आ गया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


दहशतगर्दों व दोगलों की नींद उड़ानें,


दुश्मनों को धूल चटाने वो आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


छेड़-छाड़ तुमने की है, तो मानवता का


सबक सिखाने पांव पसारा है 'ओप्रेशन सिंदूर'।


नापाक इरादों को मिटा, बुरा का अंजाम बुरा होगा 


जैसे को तैसा मिलेगा समझाया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


पाक का हृदय चीर दुशासनों को रौंदा,


अहम् को चूर चूर करने देखो आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


हिंद देश का हर नागरिक हिंदुस्तानी है,


'गर्व है हम हिन्दू हैं' यह समझाने आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।



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2 अंजू जैन गुप्ता की रचना


आपॅरेशन सिंदूर कोई लड़ाई नही,

अभियान है ;आंतक के खिलाफ 

वीर सैनिकों के अदम्य साहस ,सतर्कता व वीरता से उठी एक आवाज है।


आपॅरेशन सिंदूर कोई लड़ाई नही ,अभियान है।

ये कोई शोरगुल नही ,कश्मीर के पहलगाम में मासूमों की बेदर्दी से की 

गई हत्याओं के खिलाफ उठाई गई न्याय की तलवार है;जहाँ आंतकियों का सफाया कर विश्वभर के लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाने का साहस है।


आपॅरेशन सिंदूर कोई लड़ाई नही, अभियान है।

सलाम है भारतीय जांबाज, पराक्रमी सेना के शूरवीरों को जो निडर हो ,बेखौफ, अनवरत (बिना रूके) हो बढ़ते रहे।

आतंकवाद का कर सामना ,उनके हौंसलों को चूर-चूर कर आम जनता को पल -पल हर पल सुरक्षित कर रहे।

जय हिंद!


~अंजू जैन गुप्ता



आंतकवाद एक बुराई

 




जम्मू-कश्मीर में पहलगाम से थोड़ी दूर एक जगंल था।

उस जंगल का नाम खुशहाल था क्योंकि वहाँ बहुत हरियाली थी और सभी जानवर मिल-जुल कर खुशी से रहते थे।


वहाँ पर शेरा शेर, मिट्ठू तोता, चंकू बंदर तथा उल्लूराज आदि बहुत से जानवर रहते थे। एक दिन उल्लूराज शेरा से कहता है, “महाराज - महाराज! हम सबको पहलगाम ले चलो न, हमें वहाँ की सुंदरता को देखना है और आनंद लेना है।” तभी मिट्ठू तोता और चंकू बंदर भी आ जाते हैं और कहते हैं, “हाँ-हाँ महाराज, please चला न, हमें भी चलना है। वह स्थल बहुत ही मनमोहक है और हमें भी वहाँ घूमने चलना है।”


इन सभी की बात सुनकर शेरा तैयार हो जाता है और कहता है, “अच्छा-अच्छा चलो, अब सब तैयारी कर लो और हम कल सुबह ही वहाँ के लिए निकल पड़ेंगे।”


यह सुनते ही चंकू बंदर उछल कूद करने लगता है और गाने लगता है कि –

“हम तो पहलगाम जाएंगे, खूब मौज मनाएंगे।”


सभी अपने-अपने घर चले जाते हैं, अपना बैग पैक कर अगले दिन की तैयारी में लग जाते हैं।

अगले दिन सुबह होते ही चंकू, मिट्ठू और उल्लूराज तीनों ही शेरा के पास पहुँच जाते हैं और कहते हैं –

“महाराज-महाराज! हम आ गए हैं।” और कहते हैं –

“चलिए अब घूमने चलते हैं।”


महाराज शेरा भी चलने के लिए तैयार थे।

शेरा कहते है, “चलो चलते हैं।” और सभी खुशी-खुशी जीप में बैठ जाते हैं। वे सभी पहलगाम पहुँच जाते हैं। वहाँ का मौसम बहुत सुहावना था। वहाँ बहुत सारे पर्यटक दूर-दूर से घूमने आए थे। सभी बहुत खुश थे – शेरा, मिट्ठू, चंकू और उल्लूराज भी प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे थे, साथ ही खूब मस्ती भी कर रहे थे।तभी दोपहर के समय मिट्ठू को भूख लग जाती है उसे मैगी खाने के मन करता है ,वह जिद्द करने लगता है और कहता  है कि, "महाराज-महाराज मुझे तो मैगी खानी है please ,please अभी चलो न ",शेरा कहता है नही -नही मिट्ठू अभी रुको थोड़ी देर में चलेगें ; किंतु मिट्ठू नही मानता वह जिदद करने लगता है कि अभी चलो ,अभी चलो ,मुझे तो अभी जाना है।

उसकी जिदद को देखकर उल्लूराज कहता है , "महाराज लगता है यह नही मानेगा ,चलो पहले कुछ खा लेते है फिर घूम लेंगे।"

उल्लूराज की बात सुनकर शेरा कहता है अच्छा भई ,अच्छा चलो।

अब पहले कुछ खा लेते है ।वे सब वहाँ से थोड़ा दूर मैगी खाने चले जाते हैं।तभी अचानक से उन्हे गोलियाँ चलने वह कुछ लोगों के चिल्लाने को आवाजें सुनाई देती हैं। 

यह सुनकर मिट्ठू डर जाता है और रोने लगता है । चंकू बंदर कहता है, "तुम डरो नही और रोना बंद कर दो।तुम तो बहादुर।हो न और देखो हम सब साथ है किसी को कुछ नही होगा।"

तभी उल्लूराज कहता है," महाराज लगता है यह एक आतंकी हमला है ,आतंकवादियो ने किया है ।"

तभी मिट्ठू रोते रोते पूछता है आतंकवादी आतंकवादी ये कौन होते है? शेरा बताता है ,कि आतंकवादी कुछ बुरे लोग होते हैं जो कि आम जनता को डराने व नुकसान पहुँचाने का प्रयत्न करते हैं।

आंतक का अर्थ ही' डर' होता है ।तभी मिट्ठू पूछता है कि महाराज  जनता ने इनका क्या बिगाड़ा हैं?फिर ये आम जनता को नुकसान क्यों पहुँचाना चाहते है?


तभी उल्लूराज कहता है, कि मिट्ठू कुछ बुरे लोग होते हैं जो धर्म के नाम पर या राजनैतिक( political) फायदों के लिए लोगो को परेशान करते है और आपस में लड़वाने की कोशिश करते है।


उल्लूराज जल्दी से जीप चलाता है और वे सब तुरंत ही वहाँ से बच निकलते हैं।वे सभी मिट्ठू को धन्यवाद देते हैं और कहते है कि अच्छा हुआ, मिट्ठू हम सब तुम्हारी जिदद के कारण वहाँ से दूर यहाँ मैगी खाने आ गए और बच गए।

हम तो बच गए किंतु लगभग 26 मासूम पर्यटकों की जान चली गई जो हमारी तरह ही यहाँ पर घूमने आए थें।

तभी मिट्ठू चंकू को चुप कराता है, और कहता है चंकू- चंकू तुम भी अब चुप हो जाओ ये सब जो हुआ वह बहुत गलत हुआ है ।ऐसा नही होना चाहिए था।अब हमारे देश को भी यहाँ सुरक्षा बढ़ानी होगी और सख्त करनी होगी ताकि आंतकवादी फिर से गलती से भी हमारे देश में घुसने का प्रयत्न भी न कर सके।


शेरा कहता है मिट्ठू तुम सही कह रहे हो और साथ ही हमें पूरे संसार के लोगो को भी यह समझाना होगा कि धर्म या राजनीति के नाम पर हमें लड़ना नही चाहिए। 

हम सबको मिलकर आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना होगा।

तभी मिट्ठू, चंकू व उल्लूराज बोल पड़ते है ,हाँ महाराज आप सही कह रहे हो ।हम सब भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाएंगे और सबको संदेश देगें कि हमें मिलजुल कर रहना चाहिए। 

धर्म या राजनीति के नाम पर लड़ाइयाँ नही करनी चाहिए। ये जीवन अनमोल होता है इसे अच्छे कार्यो में लगाना चाहिए। 




अंजू जैन गुप्ता 






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स्वर 'अ' की कहानी अमन और अमरूद


 


एक लड़का था उसका नाम था अमन । वह अपने मम्मी-पापा के साथ अली नगर में रहता था।

इस बार अमन गर्मी की छुट्टियों में अपनी नानी के गाँव जाता है।नाना -नानी का गाँव बहुत छोटा सा था मगर अति सुन्दर और अच्छा था।अमन जैसे ही नानी के घर पहुँचता है ,नानी उसे देखकर खुश हो जाती है।

अमन भी नानी को कहता है ,नानी-नानी मैं आ गया ,नमस्ते नाना और नानी भी उसे गले से लगा लेते हैं ।

पर ये क्या अमन के आते ही बिजली (light) चली जाती है। बिजली के चले जाने से अमन उदास हो जाता है और कहता है, ये क्या नानी अब मैं बिना लाईट के  गरमी में कैसे रहूँगा तभी नानू कहते है कोई बात नही न बेटा , तुम  नानी के साथ हमारे खेतों में चले जाना वहाँ फूलों के साथ-साथ अमरूद और अनार के बहुत सारे पेड़ हैं ।पेड़ों के होने से वहाँ ठंडी - ठंडी हवा चलती है और गर्मी भी नहीं होती है। नानी कहती है ,अमन बेटा चलो हम चलते हैं।

तभी नानी को कुछ याद आता है और नानी कहती है अमन बेटा रुको - रुको, "मैं अपनी अदरक वाली चाय भी साथ ले लेती हूँ वहाँ बैठकर पी लूँगी।" अमन कहता है ओके नानी। 

वह कहता है,"नानी मैं भी अपनी हिंदी की किताब ले लेता हूँ मुझे उसमें 'अ' अक्षर लिखना है ,मैं भी वही बैठकर लिख लूँगा।" नानी कहती हैं ,ठीक है बेटा , ले लो।

अब वे दोनों खेत में पहुँच जाते हैं ।अमन वहाँ अमरूद और अनार के बहुत सारे पेड़ देखकर चिल्लाने लगता है," वाह!नानी  यहाँ तो अमरूद और अनार के कितने सारे पेड़ है। नानी -नानी मुझे अमरूद और अनार खाने हैं please -please दो ना।" नानी कहती है अरे -अरे रुको ,मैं देती हूँ। नानी अमन को अमरूद और अनार खाने के लिए दे देती है और साथ ही बैठकर अपनी अदरक वाली चाय भी पीने लगती हैं।

कुछ देर बाद अमन फिर से अमरूद के पेड़ पर ऊपर की तरफ इशारा करके कहता है ,"नानी-नानी मुझे वो वाला अमरूद खाना है ।" नानी पूछती है ,कौन सा?  अमन कहता है, नानी देखो ना   वो..... वाला जो सबसे ऊपर है।

नानी कहती है , "अमन वह अमरूद वह  तो बहुत ऊपर है उसे हम तो नहीं तोड़ सकते ।" नानी के इतना कहते ही अमन उदास हो जाता है ,अमन को उदास देख नानी कहती है,अमन रुको मैं कुछ सोचती हूँ हूँ........हाँ अमन तुम अभी माली काका का इंतज़ार करो वह रोटी- सब्ज़ी और अचार साथ लेकर गए थे ,ज़रूर वह खाना खाने गये  होंगे जैसे ही वह खाना खाकर वापिस आएँगे तुम्हे वो....वाला अमरूद तोड़कर दे देंगे।तभी माली काका भी आ जाते है।जैसे ही अमन माली काका को देखता है , कहता है काका -काका नमस्ते। माली काका भी बोलते है नमस्ते अमन बेटा तुम कब आए और उदास क्यों लग रहे हो? 

अमन कहता है ,देखो न काका मुझे वो ....... वाला अमरूद खाना है पर मैं तो अभी छोटा हूँ तोड़ भी नही सकता ।मैं क्या कँरू?माली काका कहते है बस इतनी सी बात रुको,  और इतना कहते ही माली काका अपनी जादुई छड़ी ले आते है ।

छड़ी को जैसे ही खोलते वह लम्बी हो जाती है और झट से अमन को अमरूद तोड़कर दे देती है। अमन अमरूद पाकर बहुत खुश होता है और काका को कहता है ,काका -काका धन्यवाद, शुक्रिया। 

अब अमन कहता है नानी -नानी 

मैं ना जल्दी से कुछ अमरूद और अनार  मम्मा-पापा के लिए  भी रख लेता हूँ,उनको भी( surprise) सरप्राइज दूगाँ वे दोनों भी खुश हो जाएगें।

नानी कहती है  ठीक है बेटा तुम प्लास्टिक का बैग नही लेना क्योंकि प्लास्टिक अच्छा नही होता है इसीलिए ये लो जूट बैग लेकर लो और सब इसमें रख लो।

अमन सब रख लेता है।

वे दोनों घर चले जाते हैं। तब तक अमन के मम्मी-पापा भी उसको घर वापिस लेने आ जाते हैं ।अमन अपने मम्मी-पापा को सरप्राइज देता है।वे दोनों भी अनार और अमरूद देखकर  खुश हो जाते हैं ।अमन अब मम्मी- पापा के साथ खुशी खुशी घर चला जाता है।



अंजू गुप्ता

नन्ही चुनमुन और शिकारी बिल्ला

 



नन्ही चुनमुन की आँख अचानक एलार्म  सुनकर खुल गई।    नन्ही चुनमुन  ने देखा उसका प्रिय  बिल्ला एक चूहे के बिल  के सामने बहुत  ध्यान  लगाकर बैठा हुआ था।   चुनमुन  को उस नठखट चूहे से कोई  विशेष  लगाव  नहीं था ।  वह चूहा बिना किसी कारण  के चुनमुन का बहुत  नुकसान  पहुंचा रहा है ।   कभी उसकी काॅपी, कभी किताब  तो कभी उसका कोई  साफ्ट ट्वाय अगर अलमारी या शेल्फ  के अंदर बंद  करके नहीं रखा हो , वह काट देता था ।   चुनमुन  उस चूहे को सजा देना चाहती थी ।

बिल्ला (जेजे) बहुत कोशिश  करता था कि किसी तरह (चुसकी) चूहे को पकड़ ले लेकिन  लगातार कोशिश  के बावजूद  उसे पकड़ नहीं पाता था।  बैठे बैठे जेजे बिल्ले को  एक उपाय सूझा ।  वह चुनमुन  की ट्वाॅय टेबल के पास पड़े पुराने खिलौनेे से एक रोबोट उठा लाया ।    जेजे ने ही चुनमुन के कम्प्यूटर से  उसमे प्रोग्रामिंग  की "कि चुसकी चूहे  को बेबी चुनमुन  के सामानों से दूर रखो" ।  फिर  जेजे साॅकेट मे प्लग लगा कर रोबोट को चार्ज  करने लगा ।   चुसकी चूहा , जेजे की हरकतें देख रहा था ।   चुसकी समझ गया जेजे की यह कोई  नई चाल है ।  

रोबोट जब चार्ज  हो गया तो वह चुसकी की ओर भागा ।  चुसकी आगे आगे और रोबोट  उसके पीछे पीछे ।  वह चुसकी को चुनमुन के स्कूल के पास या चुनमुन  के किसी भी सामान के पास फटकने भी नहीं दे रहा था ।  इधर, चुसकी के नथुनों मे, चुनमुन  के बैग के बाहर  रखे टिफिन बॉक्स  से अधखाए पनीर पराठे की खुश्बू आ रही थी ।  उसने मौका मिलते ही रोबोट के ऊपर चुनमुन के दादा जी की छड़ी गिरा दी जिससे रोबोट के अंदर लगी सेल(बैटरी) खिसक गई  और रोबोट  ने काम करना बंद  कर दिया ।   चुसकी ने झट से चुनमुन  के टिफिन बॉक्स  सेणम पनीर  पराठा निकाल कर  खाया और चुनमुन  की टेबल  पर डांस कर  जेजे को चिढ़ाने लगा।

जेजे आँख  बंद कर चुपचाप  पड़ा रहा और  मौका मिलते ही उसने रोबोट  की से ठीक ठाक  की फिर  कम्प्यूटर  पर प्रोग्रामिंग  की इस आतंकवादी चुसकी को छोड़ना नहीं इसे पकड़कर  चूहेदानी मे डाल देना है ।   नई  प्रोग्रामिंग  से लैस रोबोट  ने भागदौड़ कर चुसकी को पकड़ लिया और चूहेदानी मे डाल दिया ।  अब  जेजे की खुश होने की बारी थी ।


शरद कुमार  श्रीवास्तव 




नई सजल!

 

    



 दो-दो  बार  हराया   तुझको,

फिर  भी  बाज  न  आता तू,

भारत भू  पर पग  धरने  का,

दुस्साहस    दिखलाता     तू,


तेरे     पाले     हुए    सपोले,

तुझको    ही   डस    जाएंगे,

शीघ्र  मिला   देंगे   मिट्टी   में,

जिनको   दूध   पिलाता   तू!


भारत  माँ  का  गुस्सा   तेरा,

सर्वनाश    ही    कर     देगा,

चुन-चुन  कर  मारेगा उनको,

जिनसे   हाथ   मिलाता   तू!


बम-परमाणु क्या  कर लेगा?

समय   तुझे   समझा   देगा!

खो देगा  तुझको  दुनिया  से,

जिस  बम  पर  इठलाता  तू!


बड़े - बड़े   आतंकी   आका,

तेरे    काम      न      आएंगे!

बेमतलब   सोने - चांदी   के,

उनको  कौर   खिलाता   तू!


भुला दिया तूने उस  रब  को,

तू     कैसा     रहमानी      है?

अजहर,हाफिज के नामों की,

माला    रोज    हिलाता    तू!


अभी समय है  हद में रह  ले,

बार  -  बार    चेताता       हूँ!

सबको ही मिटने  का डर  है,

क्यों  मन  को  बहलाता   तू?


हम   भारत   माता   के  बेटे,

आदर्शों      में     जीते      हैं!

अल्लाहकी रहमत को पगले,

अक्सर  ही   झुठलाता     तू!

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           वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी" 

              9719275453

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नन्हीं चिड़िया

 





भटक रहे हैं हम बेचारे, कहाँ कहाँ अब जायेंगे।
जरा बताओ हमको मानव, कैसे प्यास बुझायेंगे।।
सूरज दादा नहीं समझते, नीर सभी पी जाते हैं।
ग्रीष्म काल की इस बेला में, हर दिन वे तरसाते हैं।।

नीर भरे नयनों से कोयल, कू कू गीत सुनाती है।
मैना अरु गौरैया रानी, आकर गले लगाती हैं।।
चिंता में पक्षी हैं डूबे, कोई नीर पिलाओ ना।
तड़प तड़प कर मर जायेंगे, मेघ धरा में आओ ना।।

वृक्ष लतायें ठूँठ पड़े हैं, गर्म हवाएँ बहती हैं।
पीर हमारी देख धरा भी, सहमी सहमी रहती है।।
कोयल कहती गौरैया से, शांत रहो छोटी बहना।
हम मानव के घर जायेंगे, व्यथा हमारी तुम कहना।।

साहस भर कर जाते पक्षी, पीड़ा उन्हें सुनाते हैं।
कानन-वन की सारी बातें, चूँ चूँ वे बतलाते हैं।।
हाथ जोड़ते विनती करते, थोड़ा सा रख दो पानी।
प्यास बुझा कर उड़ जायेंगे, हम नन्हीं चिड़िया रानी।।



प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़






चुटकुले

 


1 मोहन — राम चन्द्र जी, ईसा मसीह, गुरुनानक और गांधी जी में क्या समानता है?
सोहन — वेरी सिम्पल ये सब छुट्टी के दिन ही पैदा हुए थे । 😁😁😁

2 शौर्य — कल्पना करो कि तुम चौथी मंजिल पर हो और एक चील तुम पर झपटने वाली है । तुम पहले क्या करोगे ।
आयुष — सबसे पहले मैं कल्पना करना बंद कर दूँगा । 😅😅😅😅😅

3 रमेश — यार लन्दन में सभी पढ़े लिखे हैं
महेश्री — वह कैसे?
रमेश — वहाँ मजदूर भी अंग्रेजी में बात करते हैं  😇😇😇😇😇

4 राकेश — कोई टीचर ठीक से नहीं बताता है बायो के सर कहते हैं कि सेल के माने कोशिका, हिस्ट्री के सर सेल माने जेल , फिजिक्स के सर सेल के माने बैट्री होती है ।
मुकेश — जबकि सबको पता है कि सेल माने मोबाइल होता है । है ना? 😭😭😭😭😭



शरद कुमार  श्रीवास्तव 
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गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

आदिदेव महादेव

 






जटा विराज गंगधार शीश चंद्र सोहते।
निहारते स्वरूप तेज तीन लोक मोहते।।
विराजमान कंठ नाग है त्रिशूल हाथ में।
जहाँ–जहाँ चले शिवा सदैव बैल साथ में।।

लपेट बाघ छाल अंग भस्म देह साजते।
बढ़े महेश पाँव व्योम ताल ढोल बाजते।।
निमग्न भूतनाथ ध्यान बैठ मुक्ति धाम में।
शिवा धरा समीर अग्नि नीर आसमान में।।

शिवा प्रसन्न होय बेलपत्र दूध नीर से।
प्रसून भांग घी दही गुलाल औ अबीर से।।
नमः शिवाय जाप आठ याम सोमवार को।
करे पुकार दर्श देवता लगे कतार को।।

खुले त्रिनेत्र क्रोध ताप विश्व धूम्र सा जले।
कृपा करे महेश तो मनुष्य मोद में पले।।
करे प्रणाम भक्त नीलकंठ के स्वरूप को।
कृपालु तेजपुंज आदिदेवता अनूप को।।





प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़ 


                 
                    

देर आए दुरस्त आए

 





क्षितिज और हर्ष बड़े ही अच्छे मित्र थे।  दोनों हमेशा एक साथ खेलते थे और साथ ही स्कूल भी जाते थे। धीरे-धीरे दोनों की कक्षा और उम्र बढ़ती जा रही थी।क्षितिज पढ़ाई में अच्छा था और हर्ष खेलकूद में।  जैसे ही वे दोनों 13 वर्ष के हुए थोड़े शरारती हो गए।  कभी छोटे बच्चों को तंग करते तो कभी प्लास्टिक की थैलियों को मुँह से फुलाकर गुब्बारे या पंतग बनाकर लापरवाही से सड़क पर कहीं भी फेंक देते थे।उनकी मम्मी उन्हें मना भी करती थी, पर तब भी वे

दोनों नही मानते थे ऐसी शैतानियाँ करते रहते थे।

क्षितिज की माँ ने उसे समझाया," कि बेटा प्लास्टिक गलता नही है ।   यह हमारे पर्यावरण और जानवरों के लिए हानिकारक होता है।" क्षितिज माँ की बात सुनकर हँसने लगता  है और कहने लगा," कि होगा माँ इससे हमें क्या।" यह कहकर वह पार्क की ओर चला जाता है।

अगली सुबह जब वह स्कूल के लिए तैयार हो रहा था तभी दरवाज़े की घंटी बजी उसने दरवाज़ा खोला तो दरवाज़े पर दूधवाले भैया रामू खड़ा था।आज वह दूध नही लाया था।

क्षितिज ने जब देखा कि आज तो रामू भैया दूध ही नही लाए क्षितिज परेशान होकर कहने लगता है कि, काका -काका आज आप दूध नही लाए ;खाली हाथ क्यों आए हो? तब रामू रोने लगा  और बोला कल जब मेरी गाये चरने गई थी तब उन्होंने घास-फूस के साथ-साथ सड़क पर पड़ा हुआ  प्लास्टिक भी खा लिया था और घर  वापिस आते ही उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई थी और वे सभी मर गई इसलिए आज मैं दूध नही ला पाया। इतना कहकर वह फिर से रोने लगा। रामू काका को रोता हुआ देखकर क्षितिज भी दुखी हो गया । वह जल्दी से अंदर गया  और अपनी मम्मा को कहता है कि मम्मा-मम्मा जल्दी इधर आओ ,देखो रामू काका रो रहे हैं। माँ के आने पर क्षितिज सारी बात अपनी मम्मा को बताता है।

क्षितिज की मम्मी  रामू - काका से कहती है कि रामू तुम  अब रोना बंद करो और जाओ ,जाकर नई गायें खरीदकर ले आओ इस पर रामू कहता है," कि मैम मैं तो एक गरीब आदमी हूँ दूध बेचकर ही अपना गुज़ारा करता हूँ ।मेरे पास ज्यादा पैसे भी नही है।अब मैं अपने और बच्चों के खर्चे कैसे पूरे करूँगा।"

यह सुनकर क्षितिज को बहुत बुरा लगता है और वह अपने कमरे में चला जाता है।वह तुरंत ही अलमारी से अपनी गुल्लक से सारे पैसे निकालता है और रामू काका को देते हुए कहता है," काका काका ये लो आप ये सारे पैसे ले लो और अपने लिए नई गाये ले आओ"।  रामू काका बोले नही बेटा," मैं कब तक बार - बार गाये खरीदता रहूँगा लोग फिर प्लास्टिक लापरवाही से सड़कों पर फेंकते रहेंगे और बेज़ुबान जानवर कब तक  इन्हें खाकर मरते रहेंगे।" क्षितिज को भी अब सारी बात समझ आ गई उसने भी अपने मन में निश्चय कर लिया कि अब से वह प्लास्टिक बैग का प्रयोग नही करेगा और अपने मित्रों ,पड़ोसियों व रिश्तेदार आदि सभी को प्लास्टिक का प्रयोग करने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में समझाने का प्रयास करेगा ताकि बाकी सभी भी प्लास्टिक का प्रयोग करना बंद कर दे।

अब क्षितिज की माँ रामू काका को गाये खरीदने के लिए पैसे दे देती है ।क्षितिज कहता है," रामू काका आप चिंता न करो मैं सभी को समझाने का प्रयास करूँगा कि प्लास्टिक का प्रयोग न करें।"

रामू काका क्षितिज को और उसकी माँ को धन्यवाद कहकर अपने घर चले जाते हैं।

अगले दिन क्षितिज ने सारी बातें हर्ष को बताई अब हर्ष ने भी वादा किया कि मैं भी अब से प्लास्टिक बैग का प्रयोग नही करूँगा और अब से वे दोनों दोस्त बाकी सब लोगों से मिलकर उन्हें भी प्लास्टिक बैग का प्रयोग नही करने के  लिए जागरूक करने में लग गए हैं।




~अंजू जैन गुप्ता

बैसाख नन्दन

 



चंपू बन्दर स्कूल से लौट कर  आया ।   वह बहुत खुश था कि अब तो सब परीक्षाएं समाप्त  हो गई और  रिजल्ट  भी आ गया था अब पढ़ने लिखने को कुछ नहीं है ।   मम्मी बार बार  उससे कह रहीं थी कि किताबें लेकर  बैठो और पिछला कोर्स  रिवाइज  करो ।   पढ़ना लिखना बन्द नहीं करना चाहिए।   लेकिन चंपू को मम्मी की अच्छी बातें भी बड़ी कड़वी  लगती थी ।   बस "हाँ मम्मी" कहकर दूसरे बन्दरों के साथ  इधर-उधर बिना बात, घूमता- टहलता समय बर्बाद  करता था।  

चंपू को यही लगता था कि जब  छुट्टियाँ हुईं है तो वो मौज मस्ती के लिए  ही हुई  हैं उसमे पढ़ाई लिखाई  मे क्यों बर्बाद  करें ।   एक्जाम  हो गए, अच्छा  रिजल्ट  भी आ गया अब  पढ़ाई लिखाई  से क्या मतलब  है।   धीरे धीरे छुट्टियाँ ख़त्म  हो गईं।   नये क्लास के लिए, नया स्कूल बैग,  नया टिफिन  बॉक्स  और नई यूनीफॉर्म भी आ गई।  चंपू भी नये उत्साह  से स्कूल  पहुंचा ।    चंपू की क्लास टीचर  गौरैय्या मैडम  ने सब बच्चों  से छुट्टियों के बारे मे पूछा ।  सब बच्चों के रिजल्ट  भी पूछे और चंपू के रिजल्ट  पर खुश भी हुईं ।   जब क्लास  मे पिछले साल  के पढ़े विषयों के बारे मे पूछना शुरू किया तब सब  बच्चों ने कुछ न कुछ  उत्तर  दिया परन्तु चंपू को कुछ भी याद नही आया ।    उसने अपना कोर्स  रिवाइज  नहीं किया था । अगर उसने अपनी मम्मी की बात  मानकर  पढ़ाई लिखाई करता और खेलकूद कर समय बर्बाद नहीं करता, तो वह इस प्रकार  शर्मिंदा नहीं होता और  मैडम उसे बैसाख नन्दन  कहकर  नही बुलाती ।   गौरय्या मैडम ने क्लास  मे बताया कि गधा बसन्त  ॠतु मे सारी हरी घास  चर लेने के बाद  बैसाख  माह मे सोचंता है कि मैने तो सारी घास चर ली है। ये सोचकर वो खुश  होकर  मस्त  हो जाता है




शरद कुमार श्रीवास्तव 

केले का जादू

 





एक दिन कालू बंदर जंगल में अकेले केला खा रहा था तभी अचानक से पूरा आसमान काला हो गया हर ओर काले - काले बादल छा गए। काले -काले बादलों के आ जाने से जंगल में कोलाहल मच गया। अब सभी जानवर इधर-उधर अपने -अपने घरों की ओर कूद - कूद कर जाने लगे तभी अचानक से काले - काले बादल फट गए और जोरों से बारिश करने लगे बारिश का शोर सुनकर सभी जानवर हैरान परेशान हो गए सोचने लगे कि अब हम अपने - अपने घर  कैसे जाएगे अब तो हमे भूख भी लग   रही है।

भूख के कारण माकू हिरण रोने लगा उसके रोने की आवाज सुनकर कालू बंदर आ गया और पूछने लगा अरे माकू क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो ? माकू कहता है देखो न चाचा बाहर कितनी जोरों से बारिश हो रही है अब  हम घर कैसे जाएँगे और खाना कैसे खाँएगे ? यह कहते ही माकू फिर से रोने लगता है।तभी कालू बंदर   कहता है  कि बस इतनी सी बात ! रुको मैं तुम सबके लिए केले लाता हूँ ।इतना सुनते ही माकू हिरण  खुशी से कूदने लगता है तभी  कालू बंदर सबके लिए केले लेकर आ जाता है। केले खाकर सभी जानवर खुश हो जाते हैं और कालू बंदर को धन्यवाद देते हैं ।अब कुछ ही देर में बारिश भी बंद हो जाती है और सभी जानवर अपने -अपने घर चले जाते हैं।



~अंजू जैन गुप्ता

गरीबी





                          

       विनी और बिट्टू दोनों भाई-बहन मैले-कुचैले कपड़े पहने थे। हाथों में छोटी-छोटी बोरियाँ थीं। वे कचरे बीनने जा रहे थे। कचरे के ढेर में झिल्ली, प्लास्टिक, लोहा आदि बीनते थे; और उन्हें बेचकर कर अपने खाने की व्यवस्था कर लेते थे। कभी कचरे के ढेर से रोटी के टुकड़े वगैरह या खाने को कुछ मिल जाता था, उसी से पेट भर लेते थे।
       बिट्टू बोला- "विनी उठो ! आज सबेरे जल्दी जाएँगे, तो हो सकता है कुछ खाने को मिल जाये। कल रात से हम भूखे हैं।"
       "हाँ भैया, मुझे तो रात को भूख के मारे बिल्कुल भी नींद नहीं आयी।" विनी बोली।
       रास्ते में एक आदमी अपने कुत्ते जैली को लेकर मॉर्निंग वॉक कर रहा था। वह कुत्ते को बिस्किट खिला रहा था। आगे-आगे कुत्ता और पीछे-पीछे आदमी।उसके पीछे थे दोनों भाई-बहन- बिट्टू और विनी। दोनों देख रहे थे; कुत्ता बिस्किट्स को नहीं खा रहा था। वह रास्ते में ही गिरा देता था। गिरि हुई बिस्किट को कभी विनी तुरन्त उठा लेती थी; तो कभी बिट्टू उठा लेता। बिस्किट पाकर दोनों खुश हो जाते थे। "आज भूख थोड़ी शांत हुई भैया।" विनी बोली।
         "हाँ विनी, हम रोज ऐसे ही सबेरे जल्दी आया करेंगे। ऐसे ही खाने को हमें रोज मिल सकता है।" तभी अचानक उस आदमी ने पीछे मुँड़ कर देखा कि जैली की गिरी हुई बिस्किट्स दोनों बच्चों के हाथों में है। उसने तुरंत दोनों को बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंकने को कहा। बच्चे डर गए। फिर दोनों ने बड़े मायूस हो कर बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंक दिए।
        "यह कुत्तों के खाने की बिस्किट्स है; इंसानो के लिए नहीं।" कहते हुए उस आदमी ने सारे बिस्किट्स जैली को जबरदस्ती खिला दिया।
        एक-दूसरे के चेहरे देख कर विनी और बिट्टू की आँखें भर आईं। दोनों भाई-बहन भारी मन से घर लौट रहे थे।

                 


प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़









रविवार, 30 मार्च 2025

पोपले की हँसी : शरद कुमार श्रीवास्तव

 


कनखियों मे कहते बच्चे

आइना बोला सच्चे बच्चे

आप अब बाॅल्ड हो गये

नानू आप ओल्ड हो गये 


काले गड्ढे आंखो के तले

केश पके कनपटी तले 

मुंह ऐसे छुआरा हो जैसे

गाल भीतर धंसे हो ऐसे


झट से मैने उसे नकारा

हँसा फिर जोर से डकारा

बात फाउल जचती नहीं

चीजें थोड़ी पचती नही


उम्र को तुम सब मारो गोली

पोपल पर नहीं करो ठिठोली

बिना दाँत बेबी जब हँसती

उस पर मेरी दुनिया बसती







 शरद कुमार श्रीवास्तव