गुरुवार, 27 जुलाई 2023
सावन के मजा छत्तीसगढी रचना प्रिया देवांगन "प्रियू
बुधवार, 26 जुलाई 2023
चुटकुले संकलन शरद कुमार श्रीवास्तव
सावन की झड़ी रचना प्रिया देवांगन प्रियू
*मंगल पांडेय* ======== पशुपति पाण्डेय
१९ जुलाई को क्रान्तिकारी मंगल पांडेय की जयन्ती पर एक परिचय
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देश को अंग्रेजों की परतंत्रता से मुक्त करवाने के लिये १८५७ में ज्वाला को धधकाने वाले क्रांतिवीर थे मंगल पांडेय. अंग्रेजी शासन के विरुद्ध चले लम्बे संग्राम का बिगुल बजाने वाले पहले क्रान्ति वीर मंगल पांडेय का जन्म १९ जुलाई १८२७, को ग्राम नगवा (बलिया, उत्तर प्रदेश) में हुआ था.
युवावस्था में ही वे सेना में भर्ती हो गये थे. उन दिनों सैनिक छावनियों में गुलामी के विरुद्ध आग सुलग रही थी. अंग्रेज जानते थे कि हिन्दू गाय को पवित्र मानते हैं, जबकि मुसलमान सूअर से घृणा करते हैं. फिर भी वे सैनिकों को जो कारतूस देते थे, उनमें गाय और सूअर की चर्बी मिली होती थी. इन्हें सैनिक अपने मुंह से खोलते थे. ऐसा बहुत समय से चल रहा था, पर सैनिकों को इनका सच मालूम नहीं था।
मंगल पांडेय उस समय बैरकपुर में ३३वीं हिन्दुस्तानी बटालियन में तैनात थे. वहां पानी पिलाने वाले एक हिन्दू ने इसकी जानकारी सैनिकों को दी. इससे सैनिकों में आक्रोश फैल गया. मंगल पांडेय से रहा नहीं गया. २९ मार्च,१८५७ को उन्होंने विद्रोह कर दिया।
एक भारतीय हवलदार मेजर ने जाकर सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन को यह सब बताया. इस पर मेजर घोड़े पर बैठकर छावनी की ओर चल दिया. वहां मंगल पांडेय सैनिकों से कह रहे थे कि अंग्रेज हमारे धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं. हमें उसकी नौकरी छोड़ देनी चाहिए. मैंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी अंग्रेज मेरे सामने आएगा, मैं उसे मार दूंगा।
सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन ने सैनिकों को मंगल पांडेय को पकड़ने को कहा, पर तब तक मंगल पांडेय की गोली ने उसका सीना छलनी कर दिया. उस की लाश घोड़े से नीचे आ गिरी. गोली की आवाज सुनकर एक अंग्रेज लेफ्टिनेंट वहां आ पहुंचा।
मंगल पांडेय ने उस पर भी गोली चलाई, पर वह बचकर घोड़े से कूद गया. इस पर मंगल पांडेय उस पर झपट पड़े और तलवार से उसका काम तमाम कर दिया. लेफ्टिनेंट की सहायता के लिए एक अन्य सार्जेण्ट मेजर आया, पर वह भी मंगल पांडेय के हाथों मारा गया।
तब तक चारों ओर शोर मच गया. ३४वीं पल्टन के कर्नल हीलट ने भारतीय सैनिकों को मंगल पांडेय को पकड़ने का आदेश दिया, पर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए. इस पर अंग्रेज सैनिकों को बुलाया गया. मंगल पांडेय चारों ओर से घिर गये।
वे समझ गये कि अब बचना असम्भव है. अतः उन्होंने अपनी बन्दूक से स्वयं को ही गोली मार ली, पर उससे वे मरे नहीं, अपितु घायल होकर गिर पड़े. इस पर अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया. जिसके बाद मंगल पांडे पर सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अंग्रेजों को अपने देश का भाग्य विधाता नहीं मानता. देश को आजाद कराना यदि अपराध है, तो मैं हर दण्ड भुगतने को तैयार हूं।’’
न्यायाधीश ने उन्हें फांसी की सजा दी और इसके लिए १८ अप्रैल का दिन निर्धारित किया, पर अंग्रेजों ने देश भर में विद्रोह फैलने के डर से घायल अवस्था में ही ०८ अप्रैल, १८५७ को उन्हें फांसी दे दी।
बैरकपुर छावनी में कोई उन्हें फांसी देने को तैयार नहीं हुआ. अतः कोलकाता से चार जल्लाद जबरन बुलाने पड़े. मंगल पांडेय ने क्रांति की जो मशाल जलाई, उसने आगे चलकर १८५७ के व्यापक स्वाधीनता संग्राम का रूप लिया।
ऐसे महान क्रांतिकारी देश भक्त मंगल पांडेय को उनके जन्म दिवस पर कोटि-कोटि प्रणाम्।
पशुपति पाण्डेय
सहायक महाप्रबंधक ( सेवानिवृत्त)
भारतीय स्टेट बैंक
रविवार, 16 जुलाई 2023
चुनमुन की बरफ मलाई : शरद कुमार श्रीवास्तव
झम झमाझम झम झम
पानी वर्षा और भीगे हम
उसपर खाई बरफ मलाई
चटकारें थीं भरपूर लगाई
मम्मी पापा ने खूब था रोका
बाबा जी ने बहुत था टोका
चुनमुन पर मस्ती थी छाई
अब बिस्तर मे लुढ़की भाई
मम्मी पापा को सच्चा कष्ट
बीमारी से था बच्चा लस्त
डॉक्टर जी ने सुई लगाई
चुनमुन उठकर बैठी भाई
शरद कुमार श्रीवास्तव
नया मछलीघर रचना शरद कुमार श्रीवास्तव
नन्ही के पापा कल बाजार से एक नया एक्वेरियम खरीद कर लाए थे । उसमे खूबसूरत पेड़, चट्टानें नया पम्प , बुलबुले निकालते हुए एक गुड्डा गोताखोर और उसमे छह-सात रंगीन मछलियां भी है । नन्ही को बहुत अच्छा लग रहा है परन्तु पापाजी ने उसे चेतावनी दे रखी है कि वह एक्वेरियम के बिल्कुल पास नहीं जाये नहीं तो ठोकर लगने से एक्वेरियम टूट सकता है ।
नन्ही को लेकिन चैन नहीं है । वह चाहती है कि वह इन मछलियों के पास जाये और उनसे बात करे । सुनहले रंग वाली मछली तो सबसे ज्यादा चंचल है और ब्लू वाली भी अच्छी है पर थोड़ा स्लो है । शायद यह सुनहली वाली मछली ही इनकी राजकुमारी है । यह एक्वेरियम बैठक में रखा हुआ है। यहाँ पर नन्ही के दादी बाबा तो हर समय बैठे हुए रहते हैं ,टीवी पर प्रसारित होने वाले प्रोग्राम देखते रहते हैं । नन्ही चाहकर भी उसके नजदीक जा नहीं सकती है। दूर से ही बैठकर एक्वेरियम को देखते हुए उसे लगा कि उसके डैने निकल आये हैं और वह नदी में तैर रही है । तैरने में उसे बहुत मजा आ रहा है । उसके साथ और मछलियां भी तैर रही हैं। वहीं एक कछुआ गर्दन उठा कर नन्ही की तरफ देख रहा है । इतना मे एक सुन्दर सी सुनहली मछली उसके पास आई । नन्ही थोड़ा डर गई तो उस मछली ने रोते हुए कहा कि नन्ही तुम बहुत अच्छी लडकी हो । प्लीज मेरी बच्ची को कैद से छुड़ा लो । नन्ही को कुछ समझ में नहीं आया । वह उस मछली से पूछने लगी तुम रो क्यों रही हो अपनी बात ठीक से समझा कर बताओ । मछली तो रोती रही परन्तु कछुए ने अपनी गर्दन उचका कर कहा नन्ही से कहा कि तुम्हारे पापा जी आज एक्वेरियम में सुनहरे रंग की जो मछली लाए हैं वह इसी मछली की बेटी है । उस कछुए ने फिर कहा कि जरा पीछे मुड़ कर देखो ब्लू कलर की मछली और बहुत सी मछली तुमसे कुछ कह रही है।
वह बहुत बेचैन हो गई और स्वप्न मे बस रोने लग गई । उसकी दादी ने चुप कराने की कोशिश की। उसकी पसंदीदा चाकलेट , स्नैक्स उसे देना चाह रही थी परंतु वह किसी भी प्रकार से चुप नहीं हो रही थी । कुछ देर बाद उसने अपनी दादी जी से कहा कि दादी जी मैं चुप हो जाती हूँ लेकिन आप को प्रामिस करना होगा । जब दादी प्रामिस के लिए राजी हो गईं तब नन्ही ने सपने की बात उन्हें बताई। फिर उसने और दादी जी ने पापा के आने पर वह उसने उन मछलियों को जब तक नदी में वापस नही छोड़वा दिया तब तक वह नही मानीं । नदी में जाते समय सब छोटी मछलियाँ उसे प्यार से विदा हो रहीं थीं ।
क्वाॅक ब्लॉक फ्लाॅक और टर्र टर्र : शरद कुमार श्रीवास्तव
छोटी बत्तख क्वाॅक सोच रही थी कि मम्मी जब जागेगीं तभी नाश्ता मिलेगा इसलिए तबतक तालाब की एक सैर करके आतो हूँ । माँ को बगैर जगाए दबे पांव वह सरोवर पहुंच गई। सरोवर मे उसे ब्लॉक फ्लाॅक नाम के दो दोस्त बत्तखें भी मिल गई । बस फिर क्या था तीनो मित्र बाते करते तैरते काफी दूर निकल गए। प्यारा मौसम था ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और इधर दोस्तो की लंबी बातें चल रही थीं । ब्लाॅक ने देखा कि पास मे टर्र टर्र नन्हे मेढक का घर है ब्लॉक ने क्वाॅक और फ्लाॅक को साथ लिया और टर्र टर्र के घर निकल गई। टर्र टर्र अपने घर पर ही था और अपनी मम्मी पापा के साथ ब्रेकफास्ट कर रहा था टर्र टर्र की मम्मी पापा ने बत्तखों के बच्चों का खूब स्वागत किया और कहा कि वे लोग भी साथ मे ब्रेकफास्ट करें । बत्तख के बच्चे भूखे बहुत थे परन्तु वे समझ नही पा रहे थे कैसे करे?
टर्र टर्र अपनी बहुत लम्बी और बाहर से अंदर की ओर मुड़ी , चिपचिपी जुबान को झटके के साथ बाहर की ओर निकालता है जिसमे कीड़ा उसकी चिपचिपी जुबान पर चिपक जाता है और फिर टर्र टर्र के मुँह में समा जाता है| लेकिन बत्तखों की जुबान ऐसी नहीं है बल्कि उनके तो लम्बी चोंच (बीक) है । उनका खाना भी वैसा नहीं है । उनका भोजन बिल्कुल अलग है जैसे धान के गिरे हुए अनाज, कीड़े, घोंघे, केंचुए, छोटी मछलियां और शैवाल जैसे जल पौधे इत्यादि।
इन बच्चों को भूख सताए जा रही थी पर मेढक का निमंत्रण स्वीकार नहीं कर पा रहे थे और शिष्टाचार वश आमंत्रण केलिए धन्यवाद कहकर जल्द अपने घर वापस लौट आए जहाँ उन की मम्मियाँ ब्रेकफास्ट पर उनका इंतजार कर रहीं थी
शरद कुमार श्रीवास्तव
बाल कहानी //संगति का असर//प्रिया देवांगन "प्रियू"
शनिवार, 8 जुलाई 2023
भैया की कार बाल रचना : वीरेन्द्र बृजवासी
बंद हुई गाड़ी में भैया,
नित लगवाते धक्का,
चार कदम चलकर रुक जाते,
चारों उसके चक्का।
सुखा- सुखाकर सभी पसीना,
बार - बार धकियाते,
इंजन की निस्तेज चाल को,
देख - देख खिसियाते।
सोहन तू हिम्मत मत हारे,
गोलू ज़ोर लगा रे,
बोल गई यदि एक बार तो,
होंगे वारे - न्यारे।
कल्लू, मल्लू, धक्का मारो,
रखकर दूर पजामी,
चालू होगी इसमें तुमको,
शंका है सरनामी ।
ज़ोर लगाकर सबने अपना,
दूर तलक दौड़ाया,
बोला जब गाड़ी का इंजन,
सबने हर्ष मनाया ।
बैठाकर भैया ने सबको,
चक्कर एक लगाया,
मेहनत का फल होता मीठा,
सबको यह समझाया।
वीरेन्द्र ब्रजवासी
9719275453
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शुक्रवार, 7 जुलाई 2023
तितली रानी : निहाल सिंह
बिजली खंभा