शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

खेल भावना की पवित्रता को नमन!

 धन्य  धन्य  नीरज  चोपड़ा 



दो  आशीष  मुझे  भी  माता,

मैं, नीरज   सा   नाम   करूँ,

पाक ज़मीको स्वर्णपदक दे,

जग   में  नूतन   काम  करूँ।


मेहनत का फल मीठा  होता,

अरशद ,  तुझसे   कहती  हूँ,

तू  नीरज  से कम  थोड़ी   है,

पुत्तर-  मैं   सच   कहती   हूँ। 


मेरी   खुशी   बसी   दोनों  में,

किसको   कहूँ    पराया    मैं,

खेल भावना को  जीवन  का,

कहती     हूँ     सरमाया   मैं।


अरशद  की  अम्मी  ने बोला,

दीदी,   तुमने    सही    कहा,

मैंने भी  नीरज   की  खातिर, 

माँगी   दिल  से   यही  दुआ। 


स्वर्ण पदक से भी  महान  हैं, 

मानवता    के    भाव    यहाँ,

सच  कहता  हूँ  भर   जाएंगें,

जीवन  के  हर   घाव    यहाँ।


आज  आपके  आदर्शों   का, 

सकल   विश्व   आभारी    है,

माँ के  आशीषों  की  कीमत,

हर   कीमत   पर    भारी  है।

   


        वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी" 

       मुरादाबाद/उत्तर- प्रदेश 

           9719275453

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