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शनिवार, 26 अगस्त 2017

महेंद्र देवांगन की रचना : जय गणेश




जय गणेश 

बुद्धि के वह देने वाला , सबका मंगल करते ।
भक जनों के संकट को, पल में दूर वह करते ।
एक दंत और लंबा उदर, सूपा जैसे हैं कान ।
जो भी मांगो सच्चे दिल से, रखता है वह ध्यान ।
चूहे की सवारी है और,  लड्डू मोदक भाता ।
लिखने में वह तेज है,  बुद्धि के वह दाता ।

                             महेन्द्र देवांगन माटी 
                             पंडरिया  (छत्तीसगढ़ )

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