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शनिवार, 6 जनवरी 2018

नया एक्वेरियम



नन्ही के  पापा कल बाजार से एक नया एक्वेरियम  खरीद कर  लाए थे   ।    सब कुछ  नया है उसमे ।  खूबसूरत  पेड़, चट्टानें,   नया  पम्प , बुलबुले  निकालते  हुए  एक  गोताखोर गुड्डा भी था ।   वहीं  उसमे छह-सात  रंगीन  मछलियां भी थीं  ।  नया मछलीघर देख कर  नन्ही  को बहुत  अच्छा  लग रहा था ।     पापाजी  ने लेकिन  उसे चेतावनी  दे  रखी  है  कि  वह एक्वेरियम  के पास   बिल्कुल  नहीं  जाये, नहीं  तो,  ठोकर लगने से  एक्वेरियम  टूट सकता  है  ।


 नन्ही  को  चैन  नहीं  पड़ रही  थी  ।   वह चाहती  थी   कि  वह इन मछलियों  के  पास  जाये और उनसे बातें  करे ।  उनसे वह खेलना भी  चाह रही थी।  सुनहले रंग  वाली  मछली  तो उसे  सबसे ज्यादा  चंचल लगी  और ब्लू वाली  थोड़ा  स्लो  ।   वह अनुमान  लगा  रही थी कि    यह  सुनहरे  रंग   वाली  मछली ही इन मछलियों की राजकुमारी है ।    

 यह एक्वेरियम  बैठक  में  रखा  हुआ  था,  जहाँ  पर  नन्ही  के  दादी बाबा  हर समय बैठे   रहते हैं ।   वे टीवी  पर  प्रसारित  होने  वाले  प्रोग्राम  देखते रहते  हैं ।  दादी बाबा  के  बैठक  में  बैठे  रहने  के  कारण    नन्ही  दूर  से  ही  एक्वेरियम  को देख रही  थी।  एक्वेरियम  को   देखते  हुए उसे एक  झपकी  आ गयी  ।  नींद  मे उसे लगा  कि  उसके भी  डैने  निकल आये हैं  और वह नदी में  तैर  रही  है  ।     छपा छप तैरने में  उसे बहुत  मजा  आ  रहा  है ।    उसके  साथ  और मछलियां  भी  तैर रही  थीं ।   उसके  पास में   एक कछुआ भी तैर रहा था ।     वह कछुआ  गर्दन उठा  कर  नन्ही  की  तरफ लगातार   देख रहा  था  ।  इतने मे  एक सुन्दर  सी  सुनहली मछली नन्ही  के  पास  आई  ।  नन्ही  थोड़ा  डर गई  ।    उस मछली  ने  रोते हुए  कहा  कि  नन्ही  तुम  बहुत  अच्छी  लडकी  हो  ।   प्लीज  मेरी बच्ची  को  कैद से  छुड़ा  लो ।   नन्ही  को  कुछ  समझ  में  नहीं  आया   ।  वह उस मछली से  पूछने लगी  वह  रो क्यों  रही है ।   नन्ही  ने  उस सुनहली मछली  से कहा " अपनी बात ठीक  से समझा  कर  बताओ " ।    मछली तो रोती रही परन्तु  कछुए ने  अपनी  गर्दन  उचका कर कहा कि  तुम्हारे  पापा  जी  आज एक्वेरियम  में जो  सुनहरे  रंग  की   मछली  लाए हैं  वह इसी मछली  की बेटी है ।    उस कछुए  ने फिर  कहा   कि  जरा  पीछे  मुड़  कर  देखो  ब्लू  कलर की  मछली और बहुत  सी  मछलियां   तुमसे कुछ  कह रही है 

उसने जब पीछे  मुड़कर  देखा  तब उसे पता  चला कि  वह  सोफे पर ही  सो गई थी ।    उसे अपने  सपने का ख्याल  आया   तो वह रोने लगी  ।  वह  सिर्फ  रो रही थी  ।    उसे रोता देख कर   उसकी  दादी  ने  चुप  कराने  की  कोशिश  की।   दादी  जी  उसे   उसकी  पसंदीदा  चाकलेट , स्नैक्स  देना  चाह रही  थीं  परंतु  वह  किसी  भी  प्रकार  से  चुप नहीं  हो रही  थी ।   उसने अपनी  दादी  जी से कहा  कि   आप  को एक  प्रामिस करने होगा तब मै चुप होऊंगी   । जब  दादी प्रामिस के  लिए  राजी हो गईं  तब  नन्ही   ने सपने  की  बात  उन्हें  बताई और पापा के  आने पर  वह उसने उन मछलियों  को जब तक नदी में  वापस  नही  छोड़वा दिया  तब तक वह नही मानीं  ।   नदी में जाते समय सब छोटी मछलियाँ उसे प्यार  से टाटा कर रहीं  थीं  ।

           
                            शरद कुमार  श्रीवास्तव      

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