हिन्दी मे बालसाहित्य का सृजन और प्रसारण के कार्य मे योगदान,"नाना की पिटारी" 04/02/2014 से कर रहा है । अंतर्जाल पर इसे छोटे बच्चों के लिए पत्रिका का स्वरूप दिया गया है । यह पत्रिका नवम वर्ष से निकल कर दशम वर्ष मे प्रवेश कर रही है । इस पत्रिका को कोई भी व्यक्ति विश्व में कहीं भी, गूगल सर्च इंजन मे हिन्दी अथवा अंग्रेजी में 'नाना की पिटारी' Nana Ki Pitari लिख कर पत्रिका अंतर्जाल पर प्राप्त कर सकता है।
' नाना की पिटारी' पत्रिका ने बालसाहित्य के लेखन और प्रसारण के लिए बहुत काम किया । समय-समय पर विभिन्न आदरणीय लेखको और कवियों जैसे डाक्टर प्रदीप शुक्ल, पशुपति पाण्डेय, सुशील शर्मा, श्री शादाब आलम ,वरिष्ठ साहित्यकार प्रभुदयाल श्रीवास्तव, महेंद्र सिंह देवांगन माटी (स्व) , वीरेन्द्र सिंह बृजवासी ,सुश्री अंजू जैन, प्रिया देवांगन प्रियू,,श्रीमती सुरभि श्रीवास्तव, श्रीमती मिथिलेश शर्मा, श्रीमती अर्चना सिंह जया आदि उल्लेखनीय हैं। इन सबों का मै आभार प्रकट कर रहा हूँ, इनके उत्कृष्ठ बालसाहित्य जैसे बाल कविताओं, बाल कथाओं , पहेलियों और चुटकुलों को नाना की पिटारी ने आपके समक्ष प्रस्तुत किया है । 'शामू' धारावाहिक लम्बी कहानी, प्राचीन विश्व के सात अजूबे , नवीन विश्व के सात अजूबे भी अपने नन्हे मुन्ने बच्चों के समक्ष प्रस्तुत किया है। पेरिस का इफेल टावर दिखाया और कभी बर्लिन की दीवार तो कभी जैसलमेर के रेगिस्तान की सैर कराई । हमारे महापुरुषों, हमारे पूर्वजों के बारे में भी बताया ।
नाना की पिटारी के प्रवेशीय वर्षों मे एक ज्ञान वर्धक, बाल मनोरंजक बाल कथाओं की प्रिन्सेज डॉल नामक 21( फेरीटेल्स) की एक सीरीज प्रकाशित की थी । तत्पश्चात उन्हे एक रोचक पुस्तक को दो भागों में ताकि बच्चे बिना बोझ समझे स्वयं उठा कर पढ़ सके, अलग से पुनः मुद्रित और प्रकाशित हुई । आपकी इसी पत्रिका से संग्रहित कर अपनी बालकविताओं को एक रंगीन आकर्षक पुस्तक "चीकू आशी पीहू इन्नू के बालगीत " का रूप देकर विगत वर्ष मे प्रकाशित कराया।
यह पत्रिका के प्रकाशन का दशम वर्ष है आशा है सदैव की तरह इस वर्ष भी आपका भरपूर सहयोग प्राप्त होगा
धन्यवाद
शरद कुमार श्रीवास्तव
संपादक
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