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रविवार, 6 अगस्त 2023

राही बाल प्रेरक कविता रचना प्रिया देवांगन प्रियू

 






आगे बढ़ते जाना
राह दिखे कांँटे
मत वापस तुम आना।।

हंँस के जीना होगा
जन्म लिए गर तो
विष भी पीना होगा।।

आंँखों में हो सपने
साथ नहीं देते
छल करते हैं अपने।।

कल की छोड़ो बातें
त्याग चलो चिंता
मधुरम होंगी रातें।।

मिलना तुमको माटी 
कर्म करो ऐसा
याद रहें परिपाटी।।

     

      

//रचनाकार//
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़












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