कागज की नाव
कागज की नाव चली
टिंकूजी के गांव चली
सड़क मोहल्ले गली
बहकर पानी मे चली
वो छुपती छुपाते चली
वो बचती बचाते चली
टिंकूजी की नाव चली
कागज की नाव चली
बरसाती पानी में चली
झूमती झामती चली
टिंकूजी की नाव चली
कागज की नाव चली
पिंटू की एक न चली
मन्टू की एक न चली
टिंकू ही की नाव चली
कागज की नाव चली
शरद कुमार श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें