कभी बड़ों की ऐनक छोटे,
बच्चे नहीं लगाते ,
इसे लगाने से आँखों को,
कई रोग हो जाते।
कई छात्र तो, दादीअम्मा,
ऐनक रोज़ लगाते,
इसके बिना एकअक्षरभी,
मुश्किल से पढ़ पाते।
उनके ही ऐनक लगतीजो,
खाने से कतराते,
दूध,दही,फल,मेवाओं को,
देख - देख घवराते ।
हरी सब्जियां,अंडे,मछली,
ऑंखें स्वस्थ्य बनाते,
सदा इन्हें सुंदर रखने की,
शर्ते सभी निभाते।
आँखों केप्रति लापरवाही,
कभी न अच्छी होती,
इन्हेंसाफ-सुथरा रखने से,
नहीं ज्योति कम होती।
पूरी नींद कभी आँखों में,
चुभन न होने देती,
कभी किसीके सर में कोई,
दुखन न होने देती।
तुम्हें तुम्हारे पूज्य गुरूजी,
इतना नहीं सिखाते,
कभी भूल से भीऔरों की,
ऐनक नहीं लगाते।
भूल हो गई दादीअम्मा,
कान पकड़ बतलाते,
नहीं छुएंगे हम यह ऐनक,
कसम आपकी खाते।
वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
9719275453
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