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रविवार, 31 मार्च 2024

बहना के झुमके! : वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

 


सोने-चांदी के मशहूर व्यापारी लाला कांतिभूषण सब्बरवाल जिनकी सर्राफा बाज़ार में "आधुनिक आभूषण भण्डार" के नाम से बहुत ही आलीशान दुकान थी। बहुत से नौकर चाकर दिन-  रात लाला जी की सेवा में लगे रहते।

   लाला कांतिभूषण सब्बरवाल बड़े ही शांत स्वभाव, मृदुभाषी, ईमानदार और नेक नीयत इंसान थे। प्रतिदिन धूप बत्ती करके ईश्वर की आराधना के साथ दुकान पर अपनी गद्दी सँभालते।

    दुकान पर आने वाले सभी ग्राहकों को संतुष्ट करने के भरसक प्रयास के साथ ही सही कीमत पर सही माल देते। दुकान पर पधारने के लिए सभी ग्राहकों  का हृदय से धन्यवाद करना भी नहीं भूलते।

 एक दिन लाला जी ग्राहकों का इंतज़ार करते-करते सोच रहे थे कि आज दुकान पर कोई ग्राहक अभी तक क्यों नहीं आया। तभी एक लड़की आई और सामने पड़े सोफे पर बैठते हुए लाला जी से बोली,भाई साहब मुझे कान के झुमके दिखा दीजिए। झुमके लेटेस्ट डिज़ाइन के हों तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

    लाला जी ने ख़ुशी-ख़ुशी भिन्न -भिन्न डिज़ाइन के कई जोड़ी झुमके लड़की के सम्मुख रख कर  पसंद करने की बात कहते हुए, और झुमके निकालकर लाने के लिए भेजे कर्मचारी को देखने अंदर चले गए।

    शीघ्र ही वापस आने पर लाला जी देखा कि पहले दिखाए गए झुमकों में से एक जोड़ी डायमंड के झुमके दिखाई नहीं दे रहे। लाला जी ने संदेह दूर करने के उद्देश्य से ग्राहक लड़की से पूछा, बहना.... एक जोड़ी डायमंड के झुमके आपने पसंद करके अलग रख लिए क्या? अगर आप कहें तो बाकी सारे झुमकों को हटा दिया जाए।

   लड़की ने चालाकी का प्रदर्शन करते हुए कहा, आप तो मुझ पर चोरी का इल्ज़ाम लगा रहे हैं। जब कि मैंने तो उन झुमकों को देखा तक नहीं।

    जैसा कि आप सोच रहे हैं,कि मैं कोई ऐसे-वैसे परिवार की लड़की  हूँ। यह ख़याल तो आप अपने दिमाग़ से निकल ही दें तो अच्छा रहेगा। यह कहते हुए लड़की शोरूम से बाहर जाने का प्रयास करने लगी।

  लालाजी और उनके सुरक्षा कर्मियों ने उसे रोककर तलाशी देने की बात कहते हुए वहीं रुकने की सलाह दी। परन्तु लड़की ने ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर सभी को अपने प्रभाव में लेने की भरपूर कोशिश की।

लड़की का ऐसा रूप देखकर लालाजी ने लड़की से बड़ी ही विनम्रता और शांतिपूर्ण तारीके से बात करते हुए कहा,बहना....... जब आप मेरी दुकान पर आयीं तो आपने मुझे भाई साहब का सम्बोधन देते हुए झुमके दिखाने को कहा।

     मैंने भी आपको बहना कहकर ही झुमके दिखाने शुरू किए। बहना मुझे झुमकों की इतनी चिंता नहीं, जितनी चिंता भाई -बहन के पावन प्यार और विश्वास  की कड़ी के टूटने की है। संसार में भाई - बहन के रिश्ते से बड़ा तो कोई रिश्ता होता ही नहीं है।

    ईश्वर ने मुझे तो कोई बहन नहीं दी है। तभी तो मैं बहन के न होने का दर्द भली भाँति समझता हूँ। मैं यह भी खूब जानता हूँ कि एक बहन अपने भाई के प्यार को कभी कम नहीं होने देगी। क्या आप मेरी बहन बनना पसंद करेंगी।

      क्यों नहीं...... विश्वास करो मेरा भी कोई भाई नहीं है। और आप जैसा....... सुंदर,सुशील,सहनशील,विनम्र भाई जिस बहन को मिले उसका तो जन्म ही सफल हो जाएगा। आज से ही आप मेरे भाई और मैं आपकी बहन कहलाऊंगी।

     इतना कहकर बहन अपने भाई से लिपटकर रोने लगी और अपने पर्स में छुपाकर रखे हुए डायमंड के झुमके निकालकर अपने भाई के हाथों में रखते हुए अपने घृणित कृत्य के लिए बारम्बार क्षमा मांगी।

    भाई ने कहा मुझे ख़ुशी है कि मेरी बहन को अपनी गलती का एहसास हो गया। भूल का प्रायश्चित करना ही तो जीवन की सबसे बड़ी सफलता होती है ।बहन को अपने अंक में भरते हुए भाई ने कहा......

   मैं अपनी सुंदर और भोली-भाली बहन पर ऐसे सैकड़ों झुमके निछावर करता हूँ।बुजुर्गों ने सही कहा है कि..........

    प्यार में ही तो सारी समस्याओं का हल विद्यमान है।

      


        वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

          मुरादाबाद / उ. प्र.

           9719275453

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