शनिवार, 26 जनवरी 2019

अल्लम बल्लम बम बम बो (बाल कविता) सुशील शर्मा





अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।

बंदर मामा क्यों रोते हो।
मामी के कपड़े धोते हो।
बंदर मामी घुड़क रही है।
मुर्गी दाने कुड़क रही है।
मामा तुम मामी से बचलो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।


हाथी दादा बड़े सयाने।
पर चींटी पर खिसियाने।
गन्ने पर बैठी है चींटी।
हाथी को मारे वो सीटी।
उन्हें देख तुम भी तो हँस लो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।


मछली रानी फिरकी मारे।
पानी में से करे इशारे।
पास बुला कर वो भग जाती।
दूर से फिर वो हमें बुलाती।
मछली कुछ कहती है सुनलो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।


प्पू, सुन्नु, मुन्नू, दुर्गा।
हम सब पीछे बने है मुर्गा।
होम वर्क न करके लाये।
मैडम ने मुक्के बरसाए।
बेटा जी अब तुम सब पढ़ लो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।

जय गणतंत्र दिवस अब आया।
हम सबके मन को ये भाया।
रहे स्वच्छ हम सबका देश।
बापू जी का है सन्देश।
आज प्रतिज्ञा ये सब करलो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।



                       सुशील शर्मा

कृष्ण कुमार वर्मा की रचना : मेरा गांव




जहाँ बैठते है पीपल की छांव में ,
हरियाली से खेतो के बाड़ में ...
जहाँ खेले हम मस्त , निस्वार्थ में
पढ़ाई के बोझ से तन्हा दूर ...
ना कोई चिंता , ना कोई भागमभाग 
सादगी का जीवन , रिवाजो का राग ...
शांति , सुकून और परम्पराओ से भरा ,
ऐसा मेरा गाँव , जहाँ मैंने जीवन को गढ़ा ।





कृष्ण कुमार वर्मा (व्याख्याता) 
                                  चंदखुरी फार्म
                                  रायपुर 

आओ चलो पेड़ लगाऐं : कृष्ण कुमार वर्मा





आओ चलो पेड़ लगाये
बंजर भूमि पर हरियाली फैलाये ...
पर्यावरण को स्वच्छ , समृध्द बनाये 
शुद्ध ताजी हवा , जी भर के पाये ...

पेड़ों से जीवन , है सबका विकास
अनेको जीव जंतुओं का है आवास ...
लगाओ पेड़ , रहो प्रकृति के पास 
यही है स्वस्थ जीवन की आस ...
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                                  कृष्ण कुमार वर्मा (व्याख्याता)
                                  चंदखुरी फार्म
                                  रायपुर 

गणतन्त्र दिवस : रचना - प्रिया देवांगन प्रियू




गणतंत्र दिवस मनायेंगे, 
 तिरंगा हम फहरायेंगे।
वंदे मातरम का नारा लगा के ,
देश को हम जगायेंगे ।

वंदे मातरम वंदे मातरम ,
वंदे मातरम गायेंगे ।
स्कूल हम सब जायेंगे।
तिरंगा हम लहरायेंगे,

देश के लिए जियेंगे और।
देश के लिए मरेंगे ,
देश के लिए कुर्बान हुये,
उसको शीश नवायेंगे ।।


                                 प्रिया देवांगन "प्रियू"
                                 पंडरिया 
                                 जिला - कबीरधाम  (छत्तीसगढ़)

महेन्द्र देवांगन माटी की रचना :तीन रंग का प्यारा झंडा , आज सभी फहरायेंगे




तीन रंग का प्यारा झंडा  , आज सभी फहरायेंगे ।
कभी नहीं हम झुकने देंगे , आगे बढ़ते जायेंगे ।।
कोई दुश्मन आँख उठाये , उनसे ना घबरायेंगे ।
चाहे कुछ हो जाये फिर भी , हम तो इसे बचायेंगे ।।
भारत माँ के बेटे हैं हम , गीत प्यार के गायेंगे ।
कभी नहीं हम झुकने देंगे , आगे बढ़ते जायेंगे ।।

आँधी आये तूफाँ आये , रूक नहीं हम पायेंगे ।
कफन बाँध कर सीना ताने , वंदे मातरं गायेंगे ।।
अपना है ये प्यारा झंडा , चोटी पर लहरायेंगे ।
कभी नहीं हम झुकने देंगे  , आगे बढ़ते जायेंगे ।।

भारत माता सबकी माता  , सुंदर इसे बनायेंगे ।
भेदभाव हम नहीं करेंगे  , सबको हम अपनायेंगे ।।
शांति प्रेम से आगे आकर  , नये तराने गायेंगे ।
कभी नहीं हम झुकने देंगे  , आगे बढ़ते जायेंगे ।।
तीन रंग का प्यारा झंडा  , आज सभी फहरायेंगे ।
कभी नहीं हम झुकने देंगे  , आगे बढ़ते जायेंगे ।।




                             महेन्द्र देवांगन माटी 
                             पंडरिया छत्तीसगढ़ 
                             8602407353

मंजू श्रीवास्तव की रचना की रचना : गणतन्त्र दिवस




गणतंत्र दिवस
२६ जनवरी को हम सब मिलकर.
गणतंत्र दिवस का पर्व मनाते |
इसी दिन संविधान बना था,
और आया हमारे सामने |
इसमें जन जन के हित वाली,
बातें कई बताई हैं|
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब हैं भाई भाई |
किसी मे नहीं कोई भेद भाव
यही बात है सिखलाई |
संविधान को हम पढ़कर,
मानवता का पाठ पढें |
अपने अधिकारों को जानें,
और कर्तव्यों को भी पहचाने |
जाति पाति का द्वन्द मिटाकर,
भाई चारे का सबक सिखायें |
कोई अज्ञानी रह न जाये
सबको साक्षरता का पाठ पढ़ायें |
हम सब भारतवासी मिलकर,
आपस मे सब एक हो जायें |
पूरे विश्व को हम सब मिलकर,
शांति का सुन्दर पाठ पढ़ायें|

जय हिन्द,  जय भारत


                                 मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार 

बुधवार, 16 जनवरी 2019

प्रिन्सेज डाॅल और मोनिका डॉल : शरद कुमार श्रीवास्तव






प्रिन्सेज डाॅल आज बहुत खुश है । उसके चाचा चाची, अपनी प्यारी बेटी मोनिका डॉल के साथ, अमेरिका से आये हैं । मोनिका, प्रिन्सेज के बराबर के उम्र की ही है । चाचा जी प्रिन्सेज डाॅल के लिए बहुत सारे गिफ्ट्स भी लाए हैं । इलेक्ट्रॉनिक खिलौने तो अपने इन्डिया में भी मिलते हैं लेकिन अमेरिका से आये खिलौनो की बात ही अलग है । प्रिन्सेज ने वैसा रोबोट पहले कभी नहीं देखा था । मास्क ऐसा कि पहनने के बाद एकदम रूप बदल जाऐ कोई पहचान नहीं सकता था कि प्रिन्सेज है कि कोई विच (चुडैल ) है । इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन के इंजन भी अलग है अपने देश में तो ऐसे इंजन नहीं होते हैं। चाकलेट कैन्डीज बहुत डेलिशस हैं ।
प्रिन्सेज को यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि चाचाजी और चाचीजी भारत के खाने को बहुत चाव से खा रहे हैं । वे लोग काफी सालों के बाद भारत आए हैं उसके जन्म के बाद शायद पहली बार ही वे आए हैं । उसने तो पहले कभी नहीं देखा था इन लोगों को । मोनिका हिन्दी जानती है पर ठीक से बोल नहीं पाती है । प्रिन्सेज को कोई तकलीफ नहीं है वह तो अंग्रेजी जानती है उसके स्कूल में अंग्रेजी में ही पढाई लिखाई की जाती है । बच्चे भी आपस में अंग्रेजी में ही बातचीत करते हैं । फिर कोई बाहर से ही क्यों न आया हो प्रिन्सेज के स्कूल के बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होती है । हाँ बोलने के तरीके अलग अलग हैं ।
मोनिका डॉल को भारत आने पर बहुत तकलीफ हो रही थी । यहाँ पर बहुत गर्मी है । लेकिन प्रिन्सेज डाॅल का घर सेन्ट्रली एयरकंडीशन्ड है इसलिए मोनिका को अधिक कष्ट नहीं है । प्रिन्सेज की बिल्ली पूसी आकर मोनिका डॉल की गोद में बैठ गई । मोनिका को बहुत अच्छा लगा । मोनिका डॉल ने प्रिंसेस डॉल को बताया कि अमेरिका में उसके पास भी एक मोटा बिल्ला है जिससे वह खेलती है । पूसी को देखकर वह उदास हो गयी उसे भी अपने बिल्ले की याद आ गई थी। मोनिका डॉल ने प्रिंसेस डॉल से कहा तुम्हारी पूसी तो बहुत छोटी सी है मेरा बिल्ला राबर्ट बहुत स्ट्रांग बिल्ट का है। प्रिन्सेज ने कहा कि लेकिन मेरी पूसी भी कमजोर नहीं है शेर से पंगा ले चुकी है और बदमाश जादूगर की नाक पर भी इसने झपट्टा मारा था । मेरी बहुत मदद करती है । मोनिका को वफादार पूसी पर बहुत प्यार आया । तब तक प्रिन्सेज डाॅल की मम्मी पूसी के लिए एक कटोरी में दूध रोटी ले आई और पूसी ने उसे चपर- चपर खा लिया ।
दोपहर का खाना खाकर सब लोगों ने आराम किया और सब लोग तैयार होकर माॅल घूमने के लिए प्रिन्सेज डाॅल के पापा जी की कार मे चले गए थे। रास्ते में मोनिका ने देखा कि खूब धूल उड़ रही है । उसको अजीब सा लगा । उसके अमेरिका में तो धूल बहुत कम उड़ती है । मोनिका ने अपनी मम्मी से पूछा । मोनिका की मम्मी के जवाब देने से पहले ही प्रिन्सेज डाॅल के पापा जी बोले कि तुम्हारे यहाँ धूल के कण भारी होते हैं इसलिए वे नहीं उड़ते हैं लेकिन यहाँ पर गर्मी के कारण हल्के होते हैं इसलिए उड़ते हैं । तब तक माॅल आ गया था। कार पार्किंग में खड़ी करने के बाद सब लोग माॅल में गये। मोनिका डॉल और प्रिन्सेज डाॅल माॅल मे बहुत खुश थीं । खूब चहल पहल थी । प्रिन्सेज डाॅल की दोस्त रूपम डॉल भी अपनी मम्मी पापा के साथ वहाँ आई थी । सब बच्चों ने झूले झूले, बच्चों वाली कार चलाई । प्रिन्सेज डाॅल की मम्मी ने सब बच्चों को आइस्क्रीम दिलाई और फिर वे लोग घर आ गये ।।


    शरद कुमार श्रीवास्तव 

मेरी यूरोप की यात्रा : भाग 1: राइनो फाल






हमारी  यूरोप की यात्रा पेरिस  की  यात्रा  से  प्रारंभ  हुई ।  पेरिस   में  मेरी  बड़ी  सुपुत्री  श्रीमती  तूलिका  श्रीवास्तव  के पेरिस  के  निवास   पिछले  सालों  की  "नाना  की  पिटारी" के अंकों  मे नात्रो दैम ,  एफिल  टावर ,पेरिस  के  मोम म्यूजियम  आदि  के  बारे  में  यात्रा  विवरण  प्रस्तुत  किये  गये  थे  अतः  अपनी यात्रा  के  वृतांत  अगले  यूरोपीय  संघ के  देश  स्विट्जरलैंड  से शुरू  करेंगे ।

यूरोपा- टूर  की बस हम सभी भारतीय  यात्रियों  को  लेकर  31 मई को  प्रातः  लगभग   9 बजे  पेरिस  से स्विट्जरलैड के  लिए  निकली।    पेरिस काफी बड़ा शहर है उसे पार करते करते लगभग डेढ़ घंटे का समय लगा,  और रमणीय पहाडि़यों की श्रृंखलाओं तथा सघन वनो के बीच में होते हुये हम फ्रांस की सीमा पर 2 बजे आस पास थे।  यह समय भोजन का था।  हम लोगों ने सैन्डविच, कुकीज कॉफी वगैरह खाया  जिन्हें मालूम था वे पेरिस से ही  खाने का इन्तजाम कर के चले थे।  और यूरोप-टूर ऑपरेटर के गाइड ने उन्हें फूड पैकेट हैन्ड ओवर किये थे।  फ्रांस की सीमा पार करने के लिए बस वालों को औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विशेष समय नहीं लगा।  इधर हम लोगों ने अपना लन्च समाप्त किया कि बस अगले पडाव के लिए चल पड़ी।   







एक दो जगह रुकते- रुकाते हम अब राइनो फॉल की पहाड़ियों पर थे।  यह निर्झर यूरोप का सबसे बड़ा झरना कहलाता है।। यह Zurich और Schaffhusen के बीच की पहाड़ियों पर  समुद्र तल से 1200 ft ऊपर स्थित है।   इस निर्ज़हर कि ऊँचाई लगभग 75 ft है और चौड़ाई लगभग 500 ft है ।  
इस जल प्रपात का प्रवाह बहुत तेज़ होता है ।   इस प्रवाह में ईल मछली के अलावा कोई और मछली नीचे से ऊपर नहीं चढ़ पाती है ।   पर्यटन की दृष्टि से यह बहुत रमणीय स्थल है ।    एक तरफ पहाड़ी और दूसरी तरफ फोर्ट तथा एकदम सीधी गिरता जल प्रपात बहुत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। 

इन मनोहारी दृश्यों मे कुछ दृश्य उपर दिए गए हैं और कुछ हम आगे भी दिखा रहे हैँ। 



शरद कुमार श्रीवास्तव 








माँ मैंने पैसे बोए थे(बाल कविता) सुशील शर्मा



माँ मैंने पैसे बोए थे।
वो देखो उग आए हैं।
छोटे छोटे पौधे बन कर
देखो वो मुस्काये हैं।

पैसे नही ऊगते बेटा,
माँ हँस करके बोली।
ऊगे हैं माँ वो देखो,
तू कितनी है भोली।

एक चवन्नी का पौधा है,
एक अठन्नी वाला।
दस पैसे के छोटे पौधे,
बीज एक रुपये डाला।

हरदिन इनको पानी देता,
हर दिन खाद चढ़ाता हूँ।
आसपास की घास खोदकर,
इनको रोज बढ़ाता हूँ।

पेड़ बनेंगे जब ये सब,
घर में पैसे बरसेंगे।
चुन्नू ,मुन्नू, सविता, गुड़िया,
मुझसे मिलने को तरसेंगे।

माँ तुझे बाजार घुमा कर,
एक सुंदर साड़ी लाऊंगा।
दादीजी का टूटा ऐनक,
सोने से जड़वाऊंगा।

बाबूजी को मोटर गाड़ी,
मुन्नी को सुंदर लहंगा।
दादा जी को कोट सिला
घर बांधूगा एक महंगा।

माँ सुनकर भोलू की बातें
मन ही मन मुस्काती है।
बच्चों के सपनों को सुनकर।
जीवन आस जगाती है।



                        सुशील शर्मा

ठंडी : बालगीत : प्रिया देवांगन प्रियू


ठंड का मौसम है आया 
चारों तरफ धुआँ है छाया  
सूरज छत पर निकल है आया
अपने संग में धूप है लाया
चारो तरफ कोहरा है छाया 
रास्ते को बंद कराया।

सुबह सुबह सब दौड़ लगाते
व्यायाम करके सेहत बनाते
ठंडी ठंडी हवा है पाते
शरीर को स्वस्थ बनाते
ताजा ताजा फल है खाते
बीमारी  सब दूर भगाते ।।



         प्रिया देवांगन "प्रियू"
         पंडरिया 
         जिला - कबीरधाम (छत्तीसगढ़)


रविवार, 6 जनवरी 2019

नया वर्ष


नया वर्ष आया नई खुशी लाया
आत्मविश्वास से भरी उमंगे
मन मे तुम्हारे अब उठें तरंगें
नई कामना नई भावना लाया
नई खुशियों के उपहार लाया
नया वर्ष आया

नित सुबह मे नई आस की
नई सोंच अपने विकास की
नई किरण अब नई रोशनी
नया हो सूरज नई चाँदनी
नया राग लाया नया वर्ष आया



                            शरद कुमार श्रीवास्तव 

संस्कार : गुराशीश की बालकथा




संस्कार

आज दोपहर स्कूल से वापिस आते हुए, हम सभी बच्चे जब वैन में बैठे तब मेरी नज़र एक अंकल पर पड़ी। अंकल बहुत परेशान दिखाई दे रहे थे। वह बार- बार बच्चों के पास जाकर कुछ पूछ रहे थे। मैं एकटक उन्हीं को देख रहा था कि अचानक से वो हमारी वैन के पास आए और मेरी तरफ देखते हुए बोले - बेटा बड़ा स्केल है क्या तुम्हारे पास ?
मेरे पास स्केल नहीं था । मैंने अपने साथ बैठे बच्चों से पूछा पर स्केल किसी के पास नहीं था । अंकल ने बताया कि वहीं थोड़ी दूरी पर उनकी कार की चाबी एक छोटे से गड्ढे में गिर गई है , जिसे निकालने के लिए उन्हें स्केल चाहिए।  मैं अपनी वैन से उतरकर , उनके साथ दूसरी वैन तक गया जिसमें मेरे दोस्त पास बैठे थे , उनके पास स्केल भी था, उनसे स्केल लेकर, मैंने स्केल से चाबी निकाली और अंकल कों दी । अकल ने प्यार से मेरें सिर पर हाथ रखते हुए आशीर्वाद दिया और कहा- बेटा तुम्हारे संस्कार बहुत अच्छे हैं । मैं बहुत देर से परेशान था, कहीं से सहायता नहीं मिल रही थी , बच्चे भी कन्नी काट कर आगे बढ़ रहे थे पर तुमने मेरी सहायता की, मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा बेटा। अंकल की मदद करने के बाद उन्हें तो राहत मिली ही, मुझे भी अजीब सी संतुष्टि मिली और उस दिन मैंने जाना कि दूसरों की मदद करने से भी खुशी मिलती है।

- गुराशीश
कक्षा दस
एमिटी इंटर नेशनल स्कूल
सैक्टर - 46


मधु त्यागी की बालकथा चिड़ियाघर




        रविवार का दिन था, सोमवार और मंगलवार की भी छुट्टी थी। छुट्टियाँ बिताने शिखर अपने मामा जी के घर गया। मामा जी की अपनी बेटियों इशिता और सान्या को चिड़ियाघर दिखाने ले जा रहे थें शिखर बहुत खुश था क्योंकि उसने भी चिड़ियाघर नहीं देखा था, वह भी मामा जी के साथ चिड़ियाघर गया। मामी जी ने बच्चों के खाने के लिए आलू की सब्ज़ी और पूरियाँ बनाकर दी, मामा जी की छोटी बेटी सान्या और शिखर को चाॅकलेट केक बहुत अच्छा लगता था इसलिए मामी जी ने केक भी बनाकर दिया।
            ग्यारह बजे मामा जी तीनों बच्चों को लेकर चिड़ियाघर पहुँचे। तीनों भागकर अंदर जाने लगे पर मामा जी ने तीनों को रोक लिया। उन्होंने बच्चों को बताया कि पहले टिकट खरीदनी पड़ेगी, टिकट दिखाकर ही अंदर प्रवेश कर सकते हैं। मामा जी ने टिकट खरीदी और सबने चिड़ियाघर में प्रवेश किया।
             चिड़ियाघर बहुत बड़ा था। सबसे पहले तीनों बच्चे चिड़ियों के पिंजरों की तरफ भागे। वहाँ उन्होंने विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ देखीं। विभिन्न रंगों के तोते देखे , अफ्रीका का रंग बिरंगा तोता बच्चों को बहुत अच्छा लगा, उनके पिंजरे में फल और सब्ज़ियाँ भी रखीं थीं। पास ही एक पिंजरे में सफेद पक्षी घूम रहा था। शिखर ने मामा जी से पूछा-यह कौन सा पक्षी है ? मामा जी, देखने में तो यह मोर जैसा है पर इसका रंग तो सफेद है।  मामा जी ने बताया -यह सफेद मोर है। और तभी मोर अपने सुंदर ,सफेद पंख फैलाकर नाचने लगा।
          तीनों बच्चों ने शेर देखा तो डर गए। मामा जी की छोटी बेटी सान्या तो डरकर अपनी दीदी इशिता के पीछे छिप गई तब मामा जी ने समझाया कि शेर बाहर नहीं आ सकते, इनके पिंजरे को बाड़ा कहते हैं। शेरों का बाड़ा बहुत बड़ा होता है। इन्हें बाड़े के अंदर ही खाने के लिए माँस दिया जाता है। बाड़े में तालाब भी है जहाँ येे पानी पीते हैं। बाड़े में बहुत सारे पेड़ और झाड़ियँं भी हैं और गुफानुमा कमरे बनाए गए हैं जहाँ ये आराम करते है।
     तीनों बच्चों ने देखा साथ वाले कुछ पिंजरों में पेड़ों पर साधारण बंदर कूद रहे थे परंतु कुछ पिंजरों में अजीब तरह के बंदर थें। मामा जी ने बताया कि ये अजीब तरह के बंदर चिम्पांजी हैं चिम्पांजी का शरीर छोटा और पूँछ लंबी होती है। ये अफ्रीका में पाए जाते हैं। चिम्पांजी फल और सब्ज़ियाॅं खाते हैं, दूध पीते हैं, ये माँस नहीं खाते।
       तीनों बच्चे तालाब के पास गए तो उन्होंने देखा वहाँ एक दरियाई घोड़ा कीचड़ उछाल उछालकर मस्ती रहा था। पास ही के पिंजरे में भालू बंद थे, भालू कभी कभी दो पैरों पर भी चलता था। हाथी और हिरन पास हीे दो अलग अलग बाड़ों में बंद थे। उनके घूमने फिरने के लिए उनके बाड़े बड़े और खुले बनाए गए थे। बच्चों ने मगरमच्छ भी देखे , कुछ मगरमच्छ सूखी रेत पर आराम कर रहे थे और कुछ तालाब में शिकार ढूँढ रहे थे। 
              चिड़ियाघर बहुत बड़ा था। तीनों बच्चे थक गए थे परंतु वे तीनों बहुत खुश थे। घर लौटते समय भी तीनों पशु पक्षियों की ही बातें कर रहे थे।

                  मधु त्यागी


मंजू श्रीवास्तव का नववर्ष गीत : नव वर्ष







नये साल का आया त्योहार,
खुशियाँ लाया बेशुमार |
नई उमंगे, नई आशायें,
नई तरंगें, नई अभिलाषाये  |
फूल खिले हैं गुलशन, गुलशन,
चारों ओर खुशियाँ नज़र आयेंगी
बीते साल की खट्टी मीठी
यादें बस रह जायेंगी |
आओ बच्चों हम सब मिलकर,
सारे भेद,भाव मिटाकर
गिले शिकवे सब दूर भगाकर
स्वागत करें हम नये साल का
नई ऊर्जा, और नये जोश के साथ |
सबको प्यार से  गले लगाकर बोलें
नव वर्ष की शुभ मंगल कामनायें |
********************************

           मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

प्रिन्सेज डाॅल के फूलदार जूते. शरद कुमार श्रीवास्तव







प्रिन्सेज को नई ड्रेस 👗 और नये जूते पहनने का बडा शौक है । उसके पास नानी जी की दी हुई पावर वाली हेयर क्लिप तो पहले से ही है इसलिए उसे क्लिप्स का ज्यादा शौक नहीं है । उसके पास अच्छी अच्छी फ्राक और ड्रेसेज हैं । उसके पास शूज भी बहुत हैं लेकिन फूलों के प्रिंट वाले जूते प्रिन्सेज डाॅल को बहुत पसन्द हैं । मम्मी उसकी पसंद देख कर उसे वही फूलदार जूते पहना देती है। आज जब फूलदार जूते पहन कर पार्क में गयी तब वहां उसके ऊपर रंग बिरंगी तितलियाँ मंडराने लगी थीं । एक सुंदर सी तितली ने प्रिंसेस डॉल के कानो मे फुसफुसा के कहा , प्रिन्सेज तुम तो बहुत अच्छी हो और बहुत अच्छी लग भी रही हो। तुम्हारे जूते बहुत खूबसूरत हैं । उसपर बने फूल  🌸 तो बहुत सुन्दर हैं । हम तो बार बार इन्हें असली फूल समझ कर धोखा खा जाते हैं ।
प्रिन्सेज ने तितली को पकड़ने की कोशिश की तो वह दूर उड़ गई और एक सुंदर फूल के ऊपर जाकर बैठ गयी । प्रिन्सेज ने बहुत कोशिश की परन्तु वह उसके हाथ में नहीं आ रही थी । बार बार उसके कानो के पास आकर गुनगुना कर अपना प्यारा गीत सुना रही थी जो उसे बहुत पसन्द है और प्रिन्सेज हमेशा उसे देखकर गाती थी ।



तितली रानी
नन्ही नन्ही प्यारी प्यारी
उडती देखो इतनी सारी
रंग बिरंगी गुलाबी पीली
डिज़ाइन दार हरी नीली

आकाश से उडती आती
फूलों पर बैठ ये इठलाती
मैं इसे हूँ छूने जब जाती
डर कर ये दूर उड जाती

तितली बोली मुझे तो तुम्हारा वाला यह बालगीत बहुत पसन्द है । वह फिर बोली जानती हो मै तुम से डर कर क्यों उड़ जाती हूँ ?   तुम बच्चे तितलियों को अगर पकड़ लेते हो जाने अनजाने में पकड़े पकडे़ उसे मार देते हो। काफी कुछ तो हमे नुकसान हुआ है पर्यावरण में फैली दूषित हवा से ! फिर तुम सब बच्चों के खेल से हमें नुकसान हुआ है । प्रिन्सेज ने कहा चलो मैं प्रामिस करती हूँ कि मैं तुम्हें कुछ नुकसान नही पहुचाऊँगी और तुम्हे छुऊँगी भी नहीं पर प्लीज अपने जैसे प्यारे वाले पंख मेरे लिये भी ला दो ,जिससे मै अपनी नानी जी के घर उड़ कर जा सकूं। तुम जानती हो कि मेरी नानी जी का घर बादलों के उस पार परी देश में है । मेरी मम्मी भी परी देश से आकर, अपने पंखों को कहीं खो दी हैं । अगर उनके पास पंख होते तो नानी जी के घर जाकर कभी वो मेरे लिये भी पंख ले आतीं। फिर मै और तुम एक साथ आकाश की सैर करते तब कितना मजा आता ।
तितली रानी ने प्रिंसेस डॉल की बात को ध्यान से सुना फिर बोली , वैसे तो हमे भी मन करता है कि हम तुम्हारी तरह के बच्चे बन जायें। हम स्वतंत्र उड़ भी नहीं सकते हैं । अगर निश्चिंत बेखबर किसी पेड़ पर या पौधे पर बैठ जाते हैं तब कोई बच्चा पकड़ लेता है और मेरे पंख भी बिना कारण के नोचकर हमे अनजाने में ही मार देता है । हमे स्कूल जाकर पढ़ने को नहीं मिलता है । तुम्हारी तरह की सुन्दर फ्राक भी हमारी नहीं है और न तो तुम्हारे प्यारे वाले शू ही मेरे पास हैं। तुम को तो तुम्हारी नानी जी आकर सपने मे परी देश की सैर करा लाती हैं तुम्हे पंखों की क्या जरूरत है । अकेले तो बिना घर मे बताये तो बच्चों को वैसे भी कहीं नहीं चाहिये । यह कह कर तितली उड़ गई और प्रिन्सेज डाॅल अपने घर चली आयीं ।।

                                 शरद कुमार श्रीवास्तव 

महेन्द्र देवांगन द्वारा रचित कविता : पेड़ लगाओ (चौपाई)






मिल जुलकर सब पेड़ लगाओ । ताजे ताजे फल को खाओ ।।
देता है यह सबको छाया । अदभुत इसकी है सब माया ।।

फूल पान औ फल को देता । बदले हमसे कुछ ना लेता ।
 पत्ती जड़ से औषधि बनती । बीमारी को झट से हरती ।।

मिलकर पौधे रोज लगाओ । शुद्ध हवा तुम निशदिन पाओ ।।
सुबह शाम सब पानी डालो । बैठ छाँव में अब सुस्ता लो ।।

बैठे डाली पंछी गायें । मीठे मीठे फल को खायें ।
थककर राही नीचे आते । बैठ छाँव में अति सुख पाते ।।

जंगल झाड़ी कभी न काटो । भाई भाई इसे न बाटो ।।
मिलकर सारे पेड़ लगाओ । धरती को तुम स्वर्ग बनाओ ।।



                         महेन्द्र देवांगन माटी 
                         पंडरिया (कबीरधाम) 
                         छत्तीसगढ़ 
                         8602407353

                   mahendradewanganmati@gmail.com



 देश हमारा

सत्य, अहिंसा, शांति का संदेश देता
तिरंगा है इसकी शान
इसकी गोदी में खेलतीं
गंगा-यमुना जैसी नटखट नदियाँ
सबके नयनों का तारा है देश हमारा

लाल किले के ऊपर 
नाच रहा है, प्यारा तिरंगा हमारा
कुतुब मीनार सें झलकती है
हमारे देश की शान।
सत्य, अहिंसा, शांति का संदेश देता
तिरंगा है इसकी शान




                        - सक्षम आज़ाद
                          कक्षा नौ
                          एमिटी इंटरनेशनल स्कूल
                           सैक्टर - 46
                            गुरुग्राम 

प्रिया देवांगन " प्रियू" का बालगीत : चिडिया



चिड़िया
*********
चींव चींव करती चिड़िया रानी ,
छत पर रोज है आती ।
ची ची ची ची करते करते 
दाना को है खाती।
आसमान की सैर करके
बड़े मजे से आती।
पंख फैला कर चिड़िया रानी
फुदक फुदक कर गाती ।
शाम सबेरे घर में आती 
अपना गीत सुनाती 
छोटे छोटे बच्चों को लेकर 
फुर्र से है उड़ जाती।



          प्रिया देवांगन " प्रियू"
          पंडरिया 
          जिला - कबीरधाम (छत्तीसगढ़)