शनिवार, 6 अप्रैल 2019

लालच का दुश्फल : कृष्ण कुमार वर्मा





समीर और रौनक दो दोस्त थे , साथ मे एक ही स्कूल में पढ़ते थे । एक दिन स्कूल में पिकनिक का प्लान बना । सभी बच्चे पिकनिक पर जा रहे थे । समीर की माँ ने उसके पसंद के बेसन लड्डू और नमकीन उसके टिफिन में पैक कर दिए और कहा कि लड्डू ज्यादा डाले है टिफिन में , रौनक के साथ बाटकर खाना ।

फिर समीर पिकनिक पर पहुंचा । दोस्तो के साथ खूब मस्ती किया । दोपहर में जब सभी टिफिन करने बैठे , तो उसके दोस्त रौनक ने उसे हलवा खिलाया । लेकिन समीर ने केवल उसे नमकीन बस दिया और लालचवश पूरा लड्डू अकेले ही खा लिया ।

अचानक थोड़ी देर में घूमते घूमते उसके पेट मे दर्द होने लगा । तब उसे टीचरों ने दवाई देकर बस में ही आराम करने बोल दिया और इस तरह समीर पूरी तरह से पिकनिक में घूम नही पाया और उसे अफसोस हो रहा था कि क्यों उसने इतना सारा खा लिया ।

जब वह घर पहुंचा तो सारी बात माँ को बता दिया । तब माँ ने समझाया कि देखो बेटा - लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है । अगर तुम बाटकर खाते तो तुम्हारे दोस्त को भी लड्डू खाने का आंनंद मिल पाता और तुम्हारा पेट भी खराब नही होता और अच्छे से पिकनिक का पूरा आनंद ले पाते ।
अब समीर को लालच का दुष्फल समझ आ चुका था ।



                                कृष्णकुमार वर्मा
                                चंदखुरी फार्म , रायपुर [ छत्तीसगढ़ ]
                                krcverma@gmail.com
                                 / / 2019

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