गर्मी आई, गर्मी आई,
तेज धूप और पसीना लाई |
सर पे सूरज चढ़ता जाता,
और आसमान से,
आग के गोले बरसाता |
टप टप टप टप पसीना बहता,
पल भर को भी चैन न मिलता |
फिर चल जाते पंखे ए. सी
गर्मी की हो जाती ऐसी की तैसी |
आओ बच्चों हम सब मिलकर कुल्फी खायें,.
और आइसक्रीम का भी आनन्द उठायें |
ठंडा पानी और ठंडाई पीकर,
हम सब अपनी प्यास बुझायें |
और गर्मी रानी को दूर भगायें |
मंजू श्रीवास्तव
हरिद्वार
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