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शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

मंजू श्रीवास्तव की कहानी : सुमी का जन्म दिन









सुमी अपने माता पिता की इकलौती संतान थी | बहुत आज्ञाकारी व मृदुभाषिणी बेटी थी |
आजकल वह अपने जन्म दिन को लेकर बहुत उत्साहित थी जो इसी महीने आनेवाला था |
उसके मम्मी पापा ने भी कहा था कि इस बार सुमी का जन्मदिन एक नये अन्दाज़ मे मनायेंगे |
सुमी की उत्सुकता बनी रही कि पापा ऐसा क्या नया करने वाले हैं |
     यही सोचते सोचते आखिर वह दिन भी आ गया जिसका सुमी को इतने दिन से इन्तज़ार था , जन्म दिन |

   आज सुमी बहुत खुश थी | सुबह से ही नई ड्रेस पहनकर पूरे घर मे चहकती घूम रही थी | वह मन मे सोच रही थी आज पापा मेरे लिये खूब सारे गिफ्ट लायेंगे | बहुत मजा आयेगा |
      विचारों मे खोई हुई थी तभी घर के बाहर कार रूकने की आवाज आई | दौड़ती हुई बाहर गई, देखा पापा की कार थी |
         उसने देखा कार मे बहुत सुन्दर सुन्दर गिफ्ट रखे हुए थे | सुमी का मन बल्लियों उछलने लगा | उसने सोचा आज अपनी सहेलियों को बुलाकर खूब जश्न मनायेंगे |
        लेकिन पापा मम्मी सुमी को अपने साथलेकर  आश्रम  की तरफ चल दिये |  सुमी को कुछ समझ नहीं आया | पापा हम लोग कहाँ जा रहे हैं
हैं? सुमी ने पूछा |
        पापा ने कहा बेटा हम सब बच्चों के आश्रम जा रहे हैं | सुमी का मन उदास हो गया | उसे लगा कि उसके सारे सपने टूट गये |
     मम्मी ने उसे समझाया कि हर साल तुम अपनी सहेलियों के साथ जन्म दिन मनाती हो | इस बार इस नये तरीके को अपनाकर देखो, तुम्हें बहत खुशी मिलेगी | इन अनाथ बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखकर तुम्हें हर बार से दुगुनी खुशी मिलेगी  |ये  बच्चे अपना जन्म दिन कहाँ मना पाते हैं | सुमी को मम्मी की बातें समझ मे आ गईं | 
        सब लोग आश्रम पहुँच गये| आश्रम के मालिक ने तीनों का स्वागत किया और बच्चों से मिलवाया |
       सुमी ने एक एक करके सभी बच्चों के  हाथ मे मिठाई का पैकेट और एक एक सूट उपहार स्वरूप दिया|
         बच्चे इतने खुश मानो दुनिया की सारी दौलत मिल गई हो |
           सारे बच्चों ने सुमी को हैप्पी बर्थ डे दीदी , हैप्पी बर्थ डे दीदी कहकर चारों तरफ से घेर लिया |  
        बच्चों को इतना खुश देखकर सुमी की आंखों मे भी  खुशी के आँसू आ गये |

       घर आकर सुमी ने मम्मी से कहा,  सच मे मम्मी आज के जन्म दिन का जश्न हर बार से बहुत अच्छा था | आगे से मै अपना जन्म दिन इसी तरह मनाया करूँगी |

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बच्चों, किसी को कुछ देकर मन मे जो खुशी और आनन्द  का अहसास होता है उसकी किसी से कोई बराबरी नहीं |





                            मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार
    

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