ब्लॉग आर्काइव

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

प्रिया देवांगन "प्रियू" की रचना : रेल








छुक छुक करती आती रेल ,

छुक छुक करती जाती रेल ।

चिंटू पिंटू मोनू सोनू 

दौड़ लगाये खेले खेल ।


पटरी पर है चलती रेल ,

यात्रियों को भरती रेल ।

इस शहर से उस शहर तक ,

सबको भर ले जाती रेल ।


सौ सौ डिब्बों वाली रेल ,

कभी ना रहती खाली रेल ।

दौड़ लगाती खूब तेजी से, 

जल्दी से पहुँचाती रेल ।


साफ सुथरा अब रहती रेल ,

पंखा  एसी चलती रेल ।

कचरा फेंके जो डिब्बे में, 

उसको तो पहुँचाती जेल ।


चुन्नू मुन्नू चढ़े रेल ,

दिनभर खेले अपना खेल ।

यात्रियों का पेलम पेल ,

एक दूजे से होये मेल ।


 


                           प्रिया देवांगन "प्रियू"

                          पंडरिया  (कबीरधाम )

                          छत्तीसगढ़ 




1 टिप्पणी: