प्राणवायु जीवो को देते ,सब वृक्ष ईश्वर वरदान ।
उदार भाव के होते है तरु,देते शीतल छांव का दान।
वारिद -वारि मिले तरु से ,धरा अनेक औषधि उपजाते ।
श्रृंगार वृक्ष हैं वसुधा के ,जहाँ लख चौरासी जीवन पाते ।
कंद ,मूल ,फल ,पुष्प मनोहर ,जीव- जंतु के भूख मिटाते ।
ऐसे दिव्य महान वृक्ष है ,राहगीर जहां आनंद पाते ।
आओ साथी हम सब मिलकर, खोदे अनेको गड्ढ़े ।
पर्यावरण संतुलन के लिए,लगाए मिलकर पौधे ।
हरे -भरे वृक्षों को देख , करेंगे सभी जन याद ।
नव आगन्तुक पीढ़ी से ,हमे मिलेंगे साधुवाद ।
रचनाकार
विजय चन्देल (शिक्षक)
पंडरिया छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया रचना बधाई हो
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र देवांगन माटी