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रविवार, 26 मई 2019

वसुधा का श्रंगार : विजय चंदेल




 प्राणवायु जीवो को देते ,सब वृक्ष ईश्वर वरदान । 
उदार भाव के होते है तरु,देते शीतल छांव का दान। 
 वारिद -वारि मिले तरु से  ,धरा अनेक औषधि उपजाते । 
श्रृंगार वृक्ष हैं वसुधा के ,जहाँ लख चौरासी जीवन पाते । 
कंद ,मूल ,फल ,पुष्प मनोहर ,जीव- जंतु के भूख मिटाते । 
ऐसे दिव्य महान वृक्ष है ,राहगीर जहां आनंद पाते । 
आओ साथी हम सब मिलकर, खोदे अनेको गड्ढ़े । 
पर्यावरण संतुलन के लिए,लगाए मिलकर  पौधे । 
 हरे -भरे वृक्षों को देख  , करेंगे सभी  जन   याद । 
नव आगन्तुक पीढ़ी से ,हमे  मिलेंगे  साधुवाद   । 

                     रचनाकार 
                   विजय चन्देल (शिक्षक) 
            पंडरिया छत्तीसगढ़ 
            


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