ब्लॉग आर्काइव

सोमवार, 26 अगस्त 2019

मेरी यूरोप की यादगार यात्रा





टिटलिस की पहाड़ियों से वापस आकर ज्यूरिख के एक भारतीय रेस्तरां मे भोजन के लिए ले जाया गया जहां हम टूरिस्ट के लिए शाकाहारी और मांसाहारी भोजन की व्यवस्था थी।  तत्पश्चात रात्रि कालीन विश्राम करने के लिए एक अलग होटल मे हमारे टूर संयोजक ले गये।   उस होटल मे आराम करने के बाद और सबेरे के नाश्ते के बाद हम आगे की यात्रा पर निकले दिन था 3 जून 2018 ।.   इस दिन केलिए यात्रा दल की टीमें पृथक पृथक हो गईं थीं।  एक टीम ज्यूरिख मे रुक गई  स्थानीय भ्रमण के लिये और  दूसरी टीम ने यूरोप के सबसे ऊंचे  पर्वत की बर्फीली श्रंखला का आनन्द उठाने केलिए निकल पड़ी।

Jungfraujouch की दुरूह पहाड़ियों पर वर्ष 1912 के पश्चात सैलानियों के लिये चढ़ाई आसान वहाँ पर बिछाई गई रेलवे लाइन के कारण संभव हो पाया है। लगभग 11500 फिट की एकदम खड़ी ऊँचाई पर बना इसका रेलवे-स्टेशन विश्व मे यान्त्रिकी के क्षेत्र में अजूबा ही  है।. भारत मे दार्जिलिंग का रेलवे स्टेशन भी लगभग 7500 फिट  ऊँचाई पर है और वह खड़ी ऊँचाई पर भी नहीं है।   Junghfrajouch  स्टेशन पर जाने की यात्रा टनेलस्  गहरी खाईयों बर्फीली ग्लेशियर के बीच से होती हुई बहुत रोमांचक है ।. रेल की पटरियां विशेष रूप से रेल के पहियों के साथ इन्टरलॉकिंग सिस्टम से बंधी हुई होती हैं जो ट्रेन को खड़ी  ऊचाईयों तक ले जाती है।

इस स्टेशन पर एक  बड़ा रेस्टोरेंट और एक  पोस्ट आफिस भी है



शरद कुमार  श्रीवास्तव 






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