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मंगलवार, 6 अगस्त 2019

महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) की रचना तेरी यादें






जैसे सूरज की किरणों से , गर्मी हमको मिलती है ।
और भोर की लाली में ही , कली डाल में खिलती है ।।
बागों में भी फूल देखकर  , तितली भी  इठलाती है ।
वैसे ही मन चहक उठे जब ,   याद तुम्हारी आती है 

जैसे कलियाँ देख देखकर , भौंरे गाना गाते हैं ।
फूलों की खुशबू को पाकर,  लोग सभी सुख पाते हैं ।।
बारिश की पहिली बूँदों से , सौंधी खुशबू आती है ।
वैसे ही मन चहक उठे जब , याद तुम्हारी आती है ।।





महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)

पंडरिया (कबीरधाम) 
छत्तीसगढ़ 
8602407353

mahendradewanganmati@gmail.com

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