जैसे सूरज की किरणों से , गर्मी हमको मिलती है ।
और भोर की लाली में ही , कली डाल में खिलती है ।।
बागों में भी फूल देखकर , तितली भी इठलाती है ।
वैसे ही मन चहक उठे जब , याद तुम्हारी आती है
जैसे कलियाँ देख देखकर , भौंरे गाना गाते हैं ।
फूलों की खुशबू को पाकर, लोग सभी सुख पाते हैं ।।
बारिश की पहिली बूँदों से , सौंधी खुशबू आती है ।
वैसे ही मन चहक उठे जब , याद तुम्हारी आती है ।।
महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
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