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गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

वाणी (दोहा छन्द). : डॉ सुशील शर्मा








वाणी में माँ शारदा, वाणी खिलती धूप।
वाणी नाद स्वरूप है ,वाणी ब्रह्म  अनूप।

वाणी से ही जानिए,लोगों का व्यवहार।
वाणी से पहचानिए,लोगों का आचार।

वाणी तो अनमोल है,इसको रखिये शुद्ध।
वाणी से ही बन गए,जाने कितने बुद्ध।

शब्द तीर से जब चुभें,रख दें सीना चीर।
शब्द सुमन से जब लगें,हरते सारी पीर।

वाणी संयम से मिटें,सारे कष्ट अपार।
मीठी बोली बोल कर ,जीतो तुम संसार।

कड़वी वाणी शत्रु दे,मीठी वाणी मित्र।
संयत वाणी से सदा,निखरे चाल चरित्र।



                    सुशील शर्मा

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