भोली भाली मुनिया रानी । पीती थी वह दिनभर पानी ।।
दादा के सिर पर चढ़ जाती। बड़े मजे से गाना गाती ।।
दादा दादी ताऊ भैया । नाच नचाती ताता थैया।।
खेल खिलौने रोज मँगाती। हाथों अपने रंग लगाती।।
भैया से वह झगड़ा करती। पर बिल्ली से ज्यादा डरती।।
नकल सभी का अच्छा करती। नल में जाकर पानी भरती।।
दादी की वह प्यारी बेटी । साथ उसी के रहती लेटी।।
कथा कहानी रोज सुनाती। तभी नींद में वह सो जाती।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
बहुत सुंदर।
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