लालबिहारी को अपनी माँ का घर से बाहर का काम करना पसंद नहीं है । उसकी माँ रोज सबेरे लालू को उसकी दादी के पास छोड़कर अपने पति के साथ मजदूरी करने के लिए चली जाती है । लालू अपनी दादी के साथ दिन भर खेलता रहता है परन्तु सरे शाम अपनी माँ के काम से वापस आने के समय से कुछ पहले से ही झोपड़ी के दरवाजे पर छुपकर खड़ा हो जाता है । जैसे ही उसके माता पिता घर वापस आते तो लालू उनसे चिपक जाता है ।
लाल बहादुर के माता पिता काम से लौटते समय लालू के लिये कुछ न कुछ, खाने के लिए लेकर आते हैं । वह उसे बहुत चाव से खाता है और उसका कुछ हिस्सा उसके घर के बाहर खडे टामी कुत्ते को भी देता है । टामी से लालू की बहुत दोस्ती है । टामी को भी लालू के माता पिता के आने की प्रतीक्षा रहती है। वह उन लोगों के आते ही दुम हिलाकर अपनी खुशी प्रदर्शित करता है । लाल बहादुर की दादी को लेकिन लालू की टामी से दोस्ती अच्छी नही लगती है । उन्हें लगता है कि कही टामी छोटे बच्चे को काट न ले। वह इसलिए एक छड़ी लेकर टामी को भगाया करती हैं । लाल बहादुर को टामी के साथ मिलकर खेलना बहुत अच्छा लगता है । वह टामी के साथ सड़क पर दौड़ता रहता है और किनारे बने पार्क तक भाग कर पहुंच जाता है ।
उस दिन रोज की तरह सड़क पर लाल बहादुर खेल रहा था कि सड़क पर एक पतंग कही से कट कर आ गई । रंग बिरंगी पतंग को पकड़ने के लिए लालू दौड़ पड़ा । इस भाग दौड़ में वह सड़क के किनारे खड़ी एक गाडी से टकरा कर गिर पड़ा । लालू को चोट आ गई । उसके हाथ और पांव के घुटने से खून बह रहा था और वह चल नहीं पाया रहा था । टामी भौंकते हुए लालू के घर गया और वहां जाकर वहाँ से उसकी दादी को कपड़े से पकड़ कर अपने साथ ले आया । दादी लाल बहादुर को गोद में लेकर घर ले आयीं । दादी ने टामी को धन्यवाद दिया।. दादी को अब समझ में आ गया कि कुत्ते बहुत वफादार होते हैं ।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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