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मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता लल्लू चाचा







  अभी पूर्व से मुर्गा ऊगा ,
  सूरज ने दे दी है बांग |
  लल्लूजी कवितायें लिखते ,
  ऐसी ही कुछ ऊँट पटांग |

  कौआ भोंक रहा है भों- भों ,
  शेर बोलता म्याऊँ- म्याऊँ |
  चूहा हाथी से बोला है ,
  जल्दी आजा तुझको खाऊँ |

  बकरी चढ़ी पेड़ पर उलटी,
  लाई तोड़कर मीठे आम |
  चींटी ने झाड़ू पोंछा कर ,
  कर डाले घर के सब काम |

  ऐसी कविता लल्लूजी का ,
  लिखने का उद्देश्य विशेष |
  उन्हें देखना था  बच्चों में,
  कितना ज्ञान आज है शेष |

  शोर मचाकर बच्चे बोले,
  यह कविता बिलकुल बकवास |
  लगता है कि लल्लू चाचा ,
  रोज सुबह कहते हैं घास |
 



प्रभूदयाल श्रीवास्तव 

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