बापू बन्दर तीन , बहुत ही धूम मचाते।
उछले कूदे रोज , नाच को सभी नचाते।।
बुरा न देखो आप , सदा सबको बतलाते।
कैसे बढ़े समाज , हमें वे राह दिखाते।।
सुन लो बच्चों बात , झूठ तुम कभी न कहना।
बुरा कभी ना सोंच , सभी से मिलकर रहना।।
बुरा न बोलो आप , सभी को यही सिखाते।
बापू बन्दर तीन , सदा ही राह दिखाते।।
बुरा कभी ना बोल , हमेशा यही सिखाते।
मानो मिलकर बात , सभी को बात बताते।।
बाढ़े अत्याचार , देश को कौन बचाये।
बेटी हुई निराश , कौन अब इसे मनाये।।
बापू बन्दर मौन , रोज चलती अब आँधी।
बुरे यहाँ हालात , सिसक कर रोये गाँधी।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com
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