बन्दर मामा पहन सूट वे निकले ले बारात
बैन्ड- बाजा, हाथी घोड़ा, सब थे उनके साथ
सभी बराती नाचते गाते बहुत हो गई थी रात
दूल्हन के घर जा पहुँचे मामा लेकर बारात
दूल्हन देख मामा ललचाए खम्बा देख न पाय
अपने बूट मे फँसे बिचारे गिरे वहीं छितराय
दूल्हन ने जब देखा मामा को गई जरा चकराय
गालो मे पालिश ,कमर मे टाई, शादी कौन रचाय
शरद कुमार श्रीवास्तव
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