थाली जैसें पांव जमाता
हाथी आया है
टहनी जैसी सूंड़ हिलाता
सबको भाया है।
छोटी-छोटी आँखें इसका
मस्तक है ऊँचा
हैं सचमुच केदाँत बताओ
बच्चों ने पूछा।
ढोलक जैसा पेट पूंछ भी
है कितनी मोटी
गन्ने घास-पात खाकर ही
तबियत खुश होती।
चिंघाडों से डरकर बच्चे
दूर भाग जाते
लाख बुलाने सेभी इसके
पास नहीं आते।
कहा महावत ने बच्चों से
बिल्कुल मत डरना
निर्भयहोकर रोज़ सवारी
हाथी की करना।
वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
9719275453
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