ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 26 मार्च 2023

माँ कालिका : प्रिया देवांगन "प्रियू"

 



अजब रूप माँ कालिका, दिखती है विकराल।
टूट पड़े गर दैत्य पर, बन जाती है काल।।
एक हाथ खप्पर धरे, दूजे में तलवार।
क्रोध सहे ना कालिका, माने कभी न हार।।

ज्वाला सी क्रोधित सदा, बिखरे लंबे बाल।
लाल लाल जिभिया रहे, मइया रूप विशाल।।
सच्चे मन से प्रार्थना, माता कर स्वीकार।
भक्त खड़े हैं द्वार पर, करते जय -जयकार।।

मुख निकले आवाज जी, गूँज उठे संसार।
असुरों का वो रक्त पी, करती है हुंकार।।
मिलकर देवी देवता, जोड़े दोनों हाथ।
रौद्र रूप अब शांत हो, आये भोलेनाथ।।




प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com

जीवन चक्र एक गणित : प्रिया देवांगन "प्रियू"

 


जीवन एक गणित है प्यारे, सीखो तुम इसमें जीना।
गुणा भाग कर आगे आओ, और रखो ताने सीना।।
छोटी छोटी सी खुशियों को, आहिस्ता से तुम जोड़ो।
बढ़े एकता भाईचारा, इनसे कभी न मुँह मोड़ो।।

आड़े तिरछे रिश्ते नाते, अमर बेल कहलाते हैं।
विषम समय चलता मानव का, चुपके से घट जाते हैं।।
अलग रीत है इस दुनिया की, समझ नहीं हम पाते हैं।
घूम रहे हैं एक वक्र में, आकर फिर मिल जाते हैं।।

नहीं समांतर कोई होते, ना कोई सीधी रेखा।
शेष बचे वे रोते रहते, एक दर्द मैंने देखा।।
मुँह में राम बगल में छूरी, वाणी को तरसाते हैं।
कैसी कैसी रीत जगत की, समझ नहीं हम पाते हैं।।

रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com

भगवान राम के पूर्वजों की ब्रह्मा जी से लेकर क्रमबद्ध वंशावली : शरद कुमार श्रीवास्तव

 


चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का त्योहार  है। इस दिन भगवान  राम ने कौशल्या और  दशरथ जी के पुत्र  के रूप मे अयोध्या मे  जन्म  लिया था ।  इस त्योहार को हम बड़े धूमधाम से मनाते है । यह त्योहार इस वर्ष  30 मार्च 2023 को मनाया जायेगा।    

मर्यादापुरुषोत्तम राम  के पूर्वजों की ब्रह्मा जी से लेकर क्रमबद्ध वंशावली निम्नलिखित है। 


1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,

2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,

3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,

4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,

5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |

6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,

7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,

8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,

9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,

10- अनरण्य से पृथु हुए,

11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,

12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,

13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,

14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,

15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,

16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,

17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,

18- भरत के पुत्र असित हुए,

19- असित के पुत्र सगर हुए,

20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,

21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,

22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,

23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |

24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |

25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,

26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,

27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,

28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,

29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,

30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,

31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,

32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,

33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,

34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,

35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,

36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,

37- अज के पुत्र दशरथ हुए,

38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |

इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | 


शरद कुमार श्रीवास्तव द्वारा अंतर्जाल  से संकलित 

23 मार्च को शहीद दिवस पर विशेष : शरद कुमार श्रीवास्तव






23 मार्च 1931 को शहीद  भगत सिंह  शहीद शिवराम राजगुरू और  शहीद सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फाँसी  पर लटका दिया था  इन तीनो महान शहीदों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि उनके संक्षिप्त परिचय  के साथ निम्नलिखित  पंक्तियों मे दी जा रही  है  । 


अमर  शहीद भगत सिंह 

वर्ष 1907 सितंबर  27 को भारत  का ऐसा  लाल हुआ 
शीश चढाने  भारत  माँ  को  अपने  आप  मिसाल  हुआ 
 
सरदार किशन सिंह,माँ  विद्यावती का प्यारा लाल हुआ 

लायलपुर  के  बंगा गांव  का बेटा इस धरती पर कमाल हुआ 

नाम भगत सिंह सपूत  देश  का  अंग्रेजो  का काल हुआ 

लाला जी पर नृशंसता  का  बदला उन्होने खूब  कमाल लिया 

राजगुरू सुखदेव  संग सन 28 मे सैन्डर्स का काम  तमाम  किया 

 वीर थे खूब भारत  माँ की  खातिर फाँसी को गले लगा लिया  



अमर शहीद सुखदेव थापर 

रामलाल  रल्ली देवी की संतान निराली थी
1907 मई 15 मे जन्मा लुधियाना मे खुशियाली थी

संग भगत सिंह और  शिवराम राजगुरू की टोली बड़ी निराली थी

भारत माँ पर मर मिटने की ललक न मिटनेवाली  थी।

एक ही वर्ष  जन्म  भगत सिंह  संग एक संग शिक्षा पाई थी

शहीद होने की साथ साथ यूं भागीदारी भी खूब निबाही थी

अमर शहीद शिवराम  राजगुरू

जन्म 1908 अगस्त  पार्वती हरिनारायण  का महाराष्ट्र  पुणे मे जाया था
बहुत दूर से वह बनारस  मे पढ़ाई  करने आया था ।   
धधक रही थी लौ भारतमाता पर  न्योछावर  होने वालों की
भारत मां थी बेड़ियों मे जकड़ी फिजां थी  अलबे नवजवान मतवालों की
राजगुरू शिवराम  के रक्त ने भी  ली खूब उबाल  ले डाली थी

 21-22 वर्ष  की  उम्र  में तीनो ने फांसी  को 23 मार्च 1931 को गले लगा  लिया  

हंस के चढ़े  सूली पर वे इक पल भी उफ नहीं किया ।

 

शरद कुमार  श्रीवास्तव 

कौवे और मुर्गी की साझा खेती

 



बच्चों आप जानते हैं कि साझा काम किे से कहते हैं ।  जब दो या कई लोग मिल कर एक काम को करें तो साझा काम कहते है।  साझा काम मे पार्टनर लोगो को अपना अपना साझा लाभ / हानि भी मिलता है। इसी पर आधारित  है यह कहानी :-

एक बार एक पेड़ पर एक कौवा रहता था।  उस पेड़ के नीचे एक मुर्गी भी अपने बच्चों के साथ रहती थी।  मुर्गी बहुत मेहनती थी और कौवा बहुत सयाना और चालाक था।   कौवे ने एक बार मुर्गी से कहा ,बहन अगर हम साझा खेती करें तो कितना अच्छा हो ।  मुर्गी ने कहा हाँ हाँ, मिलजुल कर काम करने मे क्या बुराई है मै तैयार हूँ ।  कौवा बोला मै थोड़ा व्यस्त रहता हूँ जब कोईकाम हो तब आप मुझे बुला लीजियेगा। दोनो मे एक  सहमति बन गई कि उसी पेड़ के नीचे की भूमि पर खेती की जायगी। 

खेती करने के लिये जमीन की जुताई करने का समय आया। मुर्गी ने आवाज लगाई कि भाई आओ जमीन की जुताई करवाओ ।   कौवा बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ।   मुर्गी ने खेतों की जुताई अकेले स्वयं कर ली।

जब जमीन से घास पूस दूर करने का समय आया।  मुर्गी ने आवाज लगाई आओ भाई आओ  जमीन की खर पतवार हटवाओ, कौवा फिर बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ।  मुर्गी इंतजार  करती रही  फिर  उसने खेतों से खर पतवार भी अकेले दूर कर दी ।

अब खेत मे बीज डालने का समय आया।  मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन मे बीज डाले जायें।  कौवा फिर बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ।  मुर्गी ने खेतों मे बीज भी अकेले खुद  बो दिये ।

पौधे निकल आये तब सिचाई करने का समय आया।   मुर्गी ने आवाज लगाई कौवे भाई  आओ जमीन की सिंचाई करवाओ आकर।  कौवा सयानेपन से फिर बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने खेतों की सिंचाई कर ली।

खेतो मे लगे गेहूँ की बालियाँ काटने का समय आया।   मुर्गी ने आवाज लगाई अब तो आओ गेहूँ कटवाओ ।  तब फिर कौवा बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने गेहूँ की कटाई भी स्वयं  कर ली।

गेहूँ की बालियाँ से गेहूँ निकालने का समय आया ।   मुर्गी ने हमेशा की तरह आवाज लगाई आओ गेहूँ निकलवाओ ।   तब फिर कौवा बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने गेहूँ की बालियों से गेहूँ भी निकाल लिया.

गेहूँ पीस कर आटा बनाने का समय आया।  मुर्गी ने आवाज लगाई कौवे महाशय  आओ गेहूँ पिसवाओ।   तब फिर कौवा बोला ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं ।   मुर्गी ने गेहूँ पीस कर आटा भी बना लिया।

मुर्गी आटे से पूड़ी बनाने लगी तब फिर उसने आवाज लगाई आओ पूड़ी बनवाओ । तब फिर कौवा बोला ऊँची डाल पेंर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने आटा सान कर पूड़ी भी बना ली ।

जैसे ही पहली पूडी कड़ाई से निकली कौवा नीचे आगया।  बोला लाओ पूड़ी लाओ बहुत भूख लगी है. मुर्गी ने एक डंन्डा फेक कर कौवे को मारा कि काम कुछ नहीं किया पूड़ी बटाने आ गया। तुझे कुछ नहीं मिलेगा पूड़ी मैं खाऊंगी और मेरे बच्चे खाएगे।  यह सुनकर कौवा रोता हुआ वहाँ से भाग गया।।


शरद कुमार  श्रीवास्तव 

गुरुवार, 16 मार्च 2023

पर्यावरण संरक्षण की दिशा मे नन्हे कदम रचना शरद कुमार श्रीवास्तव

 



नन्ही चुनमुन ने  बगीचे मे एक फूल पर बैठी तितली  को पकडने  के लिये हाथ बढ़ाया तब तुरन्त उसके  सुयश भैया  ने आगे बढ़कर  नन्ही चुनमुन  को इसके लिए  रोक  दिया। दरअसल  सुयश भैया तितली को अपने कैमरे मे कैद करना चाह रहा था ।  आजकल  रंगबिरंगी  तितलियाँ दिखती ही कहाँ है ।   सुयश  पर्यावरण  संरक्षण  का प्रेमी है ।    उसने अपने घर  मे बाल्कनी  के नीचे खाली जगह पर गत्तो से एक सुन्दर  घोंसला  बनाया है  काफी दिनो तक चिड़ियां उस घोंसले  मे नहीं आई तब सुयश ने निराश होकर  उस घोंसले को देखना / निहारना बन्द कर  दिया था।


एक दिन चुनमुन  जब सुबह जल्दी  सोकर  उठी  तो उसके कौतुहल  की सीमा न रही।   दफ्ती के उस डिब्बे से चिड़िया का भरापूरा परिवार दैनिक  दिनचर्या मे लीन है और   ऊषाकाल मे कलरव मचाकर सुन्दर  दिन का आह्वान  कर रहा है ।  चुनमुन तुरन्त  सुयश के पास  गई  और  भाई को बुलाकर   घर  के कंपाउंड मे ले आई ।

सुयश ने जब दफ्ती के चिड़ियाघर   मे चिड़ियों को देखा तब  उसके आनंद  की सीमा न रही।  सुयश और  चुनमुन  ने घर की मुंडेर  पर  कुछ  दाने अनाज और एक  बर्तन मे पानी  रख दिया ताकि इन नये मेहमानो को खाना-पानी  के लिए  इधर उधर  नही जाना पड़े ।   नन्हे सुयश  और  चुनमुन  को  इस काम  मे आनन्द  आने लगा ।    धीरे धीरे वे पक्षी भी इन  बच्चो के हाव-भाव से  परिचित  हो चले थे ।   नन्ही चुनमुन  और  पक्षियो मे मूक संवाद  होने लगा।   नन्ही चुनमुन  पक्षियो से कहती है


  खाने से पहले ब्रश बहुत  जरूरी है

  खाने के लिए इतनी क्या मजबूरी है

   सुबह  सबेरे जल्दी से उठ जाओ

   ओस कणों से मुह धोकर  आओ

   मम्मी से अपनी छोटी करवाओ

   दाना खा कौवे  की शाला जाओ


यह सुनकर  चिड़िया के बच्चे  चुनमुन  को  देखकर  व्यंग भरी नजरों से देखते कि इस  बच्चे को यह नहीं मालूम कि कौवे से तो वे मीठे सुरीले गीत नही सीख  सकते  काँव काँव ही सीख सकते है  और गुरुकुल के लिए उनका घोंसला भी नही होता है ,   हमे तो सुरीला गाना होता  है  । पर वे चुनमुन  से कुछ  नही कहते हैं और  उड् जाते हैं 

तितलियाँ तो अभी आई थी ।  सुयश  चुपके  से मम्मी का मोबाइल  उठा लाया ओर  तितलियों के कई फोटो खीच डाले 


इधर पर्यावरण  संरक्षण  के बारे मे सुयश  के क्लास  मे पढ़ाया  जा रहा था ।   पेड़ों को लगाने के महत्व  को बतलाया  जा रहा था ।   टीचर  जी का कहना है कि हर बीज मे एक पेड छिपा होता  है ।  इस बात से  सुयश  के मन मे उत्सुकता जगी है ।   उसके पापा गर्मी मे खूब आम लाए थे ।  सुयश  कुछ आम की गुठलियों को अपने घर  के बगीचे के कोने मे डाल आया था वहाँ अब आम के दस बारह पौधे  तैयार  हो गये थे ।  सुयश और चुनमुन कालोनी मे वृक्षारोपण  करने का मन हुआ ।  चुनमुन और  सुयश अपनी माँ की सहमति  से घर के माली अंकल  के साथ  कॉलोनी के विभिन्न  जगह पर बरसात  मे वृक्षारोपण  कर आया था।  

इस बात से दोनो बच्चो को बहुत  खुशी हो रही थी कि वृक्षारोपण  कर  के पर्यावरण  संरक्षण  के लिए  उन्होंने एक सराहनीय  काम  किया है




शरद कुमार श्रीवास्तव 






जीना सीखो : प्रिया देवांगन "प्रियू"

 




सुख दुख जीवन के साथी है, इससे ना घबराओ जी।
हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।।

कल क्या होगा किसने देखा, फिर क्यों सोचा करते हो।
सही कर्म की राहे चलते, फिर भी सारे डरते हो।।
मुश्किल आती है जीवन में, उससे भी टकराओ जी।
हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।।

मिट्टी की ये देह बनी है, चूर चूर हो जायेगी।
गिनती की साँसे चलती है, हाथ कभी ना आयेगी।।
खुश रह के तुम जीना सीखो, खुशियाँ भी फैलाओ जी।
हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।।

भोले बाबा ऊपर बैठे, करते हैं लेखा जोखा।
साथ हमेशा रहते हैं वो, नहीं कभी देते धोखा।।
द्वेष कपट को दूर रखो तुम, सबको गले लगाओ जी।
हिम्मत कर के आगे आना, जीवन सफल बनाओ जी।।

रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com


मंगलवार, 7 मार्च 2023

होली का हुड़दंग



 सुयश  घर मे जैसे ही  घुसा सारा घर हँस  पड़ा।   वह बाहर से एकदम काले मुहँ वाला बन्दर बन कर  आया  था       बाहर  रोड  पर   किसी ने  उसके  चेहरे  पर  काला रंग लगा दिया  था ।   सुयश  के  पापा बोले  आप सब क्यों  हँस  रहे  हैं  ।   मनीष  बोल पड़ा  कि किसी  बच्चे  ने सुयश के  चेहरे पर गन्दा वाला  काला रंग पोत  दिया  है  ।  हमारी इस  कालोनी  में  तो सब लोग  सफाई  से होली खेलते हैं कोई  गन्दे रंगों  से नही खेलता  है ।  पापा  बोले कि इस बंदर से पूछो यह मेन  रोड की तरफ होली  खेलने  गया  ही क्यों  था ।

 पापा फिर  बोले कि लोग जाने अनजाने खराब  रंगों  का  इस्तेमाल करते हैं  जिससे स्किन इंफेक्शन  होने  का  डर रहता  है  ।    इसीलिए  मैंने  तुम सब  लोगों  को हाथ  पैरों  और मुंह मे  मास्चराइजर  तथा  बालों  में जैतून  का  तेल   लगवाया था

मनीष  बोला  कि   पापा होली  तो मेल मिलाप और प्रेम - सौहार्द    का त्योहार  है  हमे सूखे  अबीर गुलाल  से  होली खेलना  चाहिए  ।    पापा आगे  बोले  हमे प्राकृतिक  रंग  भी उपलब्ध  हैं  जैसे  टेसू के  फूल इत्यादि   जो  गांवों  में  तो मिल  जाते हैं  और  पंसारी की  दुकानों  पर  भी  मिल  जाते उनका गीला रंग  बना  कर  होली खेलने  का  मजा ही   कुछ  और है  ।  

होली खेलने के बाद सब लोगों ने नहाया धोया मम्मी के बनाए पकवानो का खाने के साथ खाया।


  शाम  को  घर के  सब लोग  दादी  बाबा  के  घर  पर  गये दादी  बाबा  ने सब बच्चों  को  गले लगाया  और होली का  उपहार  दिया


शरद  कुमार  श्रीवास्तव 


फगुनिया दोहे डॉक्टर सुशील शर्मा

 



फागुन में दुनिया रँगी ,उर अभिलाषी आज।

जीवन सतरंगी बने ,मन अंबर परवाज।


आम मंजरी महकती ,टेसू हँसते लाल।

मन पलाश तन संदली ,फागुन धूम धमाल।


नव पल्लव के संग में, महुआ मादक गंध।

फागुन अंबर पर लिखे ,मन के नेह निबंध।

 

है वसंत उत्कर्ष पर ,बिखरे रंग गुलाल।

लोग फगुनिया गा रहे ,ओढ़े लाल रुमाल।


धूप फगुनिया हो गयी ,मन हो उठा अधीर।

देवर बच कर भागते ,भाभी मले अबीर।


धानी चूनर ओढ़ कर ,फागुन गाये गीत।

तन अनंग मन बाँसुरी ,कब आएँगे मीत ?


मादक अमराई हुई ,टेसू फूल अनंग।

ऋतु वसंत है झूमती ,ज्यों पी ली हो भंग।


फगुनाहट की थाप है ,रंगों की बौछार।

अपनेपन से है रँगा ,फागुन का त्यौहार।


*उल्लास और खुशी के रंगों से आपका जीवन आलोकित हो रंगों के पर्व होली पर आप सभी को आत्मीय शुभकामनाएँ।*




सुशील शर्मा

होली

 


आया त्यौहार
बच्चे सभी तैयार
था इंतजार।।

नन्हें बालक
पकड़े पिचकारी
खुश हो जाते।।

पहने टोपी
बनते हैं जोकर
खूब डराते।।

रंग लगाते
लेकर दोनों हाथ
बजाते ताली।।

ढोल बजते
बच्चे सभी झूमते
हर्षित मन।।



प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com

चार मित्र




एक जंगल  मे चार मित्र  रहते थे चूहा,कौवा,हिरन और कछुआ।  उस वन मे भयंकर  सूखा पड़ा ।  नदी तालाब जैसे सब जगह  पानी की कमी थी खाने की कमी हो गई  थी  कछुए ने सोचा कि इस वन मे रहना ठीक नहीं है 

वह सभी मित्रों से बोला कि वन मे रहना खतरे से भरा है अतः मैं दूसरे वन मे चला जाता हूँ और उसके मित्रों ने सोचा वह अकेला रास्ते मे किसी मुसीबत मे न पढ़ जाये वे भी उसके पीछे चल दिये. दूसरे जंगल के तालाबतक वह कछुआ पहुँचा ही था कि एक शिकारी ने उसे पकड़ लिया. कछुआ के मित्र लोगो ने जब कछुए को फँसा हुआ देखा तब उसकेो शिकारी के जाल से बाहर निकाले की योजना बनाने लगे.

कौवे ने चूहे से कहा कि हम तीनो मेआप सबसे बुद्धिमान हैं आपही इसका कोई उपाय निकालिये. चूहे ने कछ देर सोचा फिर बोला ठीक है मैं जैसा कहता हूँ वैसा हम सब करें तब हम अपने मित्र को अवश्य छुड़ा लेगें. चूहे ने हिरन से कहा कि शिकारी से दूर परन्तु उसे दिखाई पड़ जाये इतनी दूर वह मृतक की तरह लेट जाने का ड्रामा करे कौवे भाई तुम उसकी आँख के पास बैठ जाओ . यह देखकर शिकारी जैसे ही मृग के माँस के लालच मे उसकी तरफ जायेगा मै कछुए के जालको काट दूंगा. उसका कहना माँन कर हिरन दूर झाड़ियों के पास एक मरे हुए हिरन की तरह लेट गया कौवा उसके आँख के पास बैठा तब शिकारी भी धोका खा कर हिरन की तरफ जाने लगा. तभीचूहे ने कछुए का जाल काट दिआ और कछुए ने तालाब मे छलांग लगा दी. छपाक की आवाज सुनकर कछुएको फिर पकड़॒ने के लिये जब शिकारी कछुए की तरफ बड़ा तब हिरन और कौआ भाग गये .

बच्चों , देखा सच्चा मित्र वही जो विपत्ति मे काम आये और एकता मे बहुत ताकत होती है वहीं बहेलिये ने भीशिक्षा पाई कि .

आधा छोड़ पूरे पर धावे तो आधी रहे न पूरी पावे

शरद कुमार  श्रीवास्तव